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तब भी था जल संकट, अब भी है

तब भी था जल संकट, अब भी है-20 वर्ष पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को सांसद अर्जुन सिंह ने लिखा था पत्र-वर्ष 1995 में भी पेयजल के भारी संकट से जूझ रहा था भागलपुर, आज भी समस्या बरकरारफोटो : स्कैन सिटी मेंसंजीव, भागलपुरभागलपुर में पेयजल और बिजली का संकट नया नहीं है. साल 1995 में […]

तब भी था जल संकट, अब भी है-20 वर्ष पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को सांसद अर्जुन सिंह ने लिखा था पत्र-वर्ष 1995 में भी पेयजल के भारी संकट से जूझ रहा था भागलपुर, आज भी समस्या बरकरारफोटो : स्कैन सिटी मेंसंजीव, भागलपुरभागलपुर में पेयजल और बिजली का संकट नया नहीं है. साल 1995 में 11 मई को सांसद सदस्य अर्जुन सिंह ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को पत्र लिख कर भागलपुर में पेयजल व बिजली संकट से अवगत कराया था. तत्काल इस समस्या से निबटने के लिए समुचित कार्रवाई करने का आग्रह किया था. साथ ही उन्होंने भागलपुर के जेता सिंह (तत्कालीन छात्र नेता व वर्तमान में तपोवर्धन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के निदेशक) को भी पत्र भेज कर आग्रह किया था कि वे लोग अपना आमरण-अनशन समाप्त करे और समस्या के निदान के लिए उनकी राज्य सरकार से बात हुई है. उस वक्त समस्या का कितना निदान किया गया, यह तो बीती बात है. लेकिन इस संकट से आज भी भागलपुर परेशान है. कई मुहल्लों को पानी नहीं मिल पाता है. कोई गंगा इसे ढो कर पानी लाते हैं, तो रेलवे स्टेशन के समीप बसा पूरा मुहल्ला प्लेटफॉर्म पर लगी टोटी से पानी लेकर प्यास बुझाता है. दूसरी ओर बिजली आपूर्ति में थोड़ा सुधार है, तो बिजली बिल की समस्या बरकरार है…………………………आजिज हो गये हैं लोग : कभी टायर जलाया, तो कभी किया सड़क जाम28 नवंबर को नाथनगर के कुंडीटोला व पासीटोला के लोग नाला के पानी की निकासी बंद करने को लेकर एनएच 80 जाम कर दिया था. आगजनी की थी. लोगों का कहना था कि सभी वरीय अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया गया है. चापाकल से बदबूदार व कीड़ायुक्त पानी निकलता है, गोशाला परिसर में दो वर्ष पूर्व बना पानी टंकी अभी तक चालू नहीं किया जा सका है. इससे लगभग 25 हजार की आबादी को पानी की समस्या है. सप्लाइ वाटर से लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा. कोतवाली थाना के समीप गोशाला रोड पर दो चापाकल गड़े हैं, लेकिन उससे पानी नहीं निकलता. इमामपुर, शाहजंगी, हबीबपुर, चमेलीचक, सदरुद्दीनचक में पानी संकट है. यहां सप्लाइ वाटर की सुविधा है, लेकिन समय पर पानी नहीं मिलता. बिजली की समस्या रहती है, जिससे पानी कम मिलता है. वर्ष 2015 में ही तीन बार हंगामे हो चुके हैं. हबीबपुर व आसपास के मुहल्ले में अप्रैल-मई में टायर जला कर लोगों ने विरोध किया था. मोटर ठीक किया गया. लेकिन बाद में व्यवस्था पुरानी हो गयी. हबीबपुर के लोग रेलवे स्टेशन से पीने का पानी लेते हैं. इन मुहल्लों में लोग डब्बा लेकर कतारों में खड़े होकर अपनी बारी आने और गैलन में पानी भरने का इंतजार करते हैं………………………………….भागलपुर में पेयजल आपूर्ति का इतिहासभागलपुर में पेयजल आपूर्ति की शुरुआत 1887 में तत्कालीन नगरपालिका के नियंत्रण में वाटर वर्क्स ने की थी. यह भागलपुर नगरपालिका के तत्कालीन उपाध्यक्ष राजा शिव चंद्र बनर्जी की उपलब्धि थी. 1897 में इसका विस्तार चंपानगर तक किया गया. बाद में गंगा की धारा मुड़ गयी और जलस्तर नीचे चला गया. फिर जलसंकट से उबरने के लिए वर्ष 1923 में तत्कालीन गवर्नर सर हेनरी ह्वीलर ने जलापूर्ति में सुधार के लिए सुझाव लेने के लिए एक कमेटी बनायी. 1951 से 1956 तक कई नलकूपों का निर्माण किया गया. नाथनगर व चंपानगर में बोरिंग करायी गयी. बरारी में वाटर वर्क्स को शुरू हुए 100 साल से अधिक हो गये, आबादी बढ़ गयी, लेकिन इस तरह की कोई बड़ी योजना शुरू नहीं हो सकी.साभार – भागलपुर: अतीत एवं वर्तमान पुस्तक, लेखक-डॉ रमन सिन्हा………………………………………..पीजी भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रो एसएन पांडेय बोलेक्यों हुआ है जल संकट : भागलपुर शहर अर्बन मोजाइक हो गया है. जो धरती थी, वह सीमेंट से पट गयी है. मिट्टी पानी सोखती है, लेकिन मिट्टी रहे तभी तो सोखेगी. ग्लोबल वार्मिंग का भी असर है. पेड़-पौधे कम हो गये हैं, जो जल को सोख कर धरती को दिया करता है. तालाब कम हो गये हैं. रैन वाटर हार्वेस्टिगंग 0.1 प्रतिशत भी लागू नहीं हो सका है. यह भूगर्भिक जल का बैलेंस बनाये रखती है. अध्ययन क्या कहता है : इसका हमलोगों ने सर्वे कराया था. बोरिंग की संख्या 100 गुणा बढ़ गयी है. अंडर ग्राउंड वाटर का दोहन हो रहा है, लेकिन धरती को पानी मिल नहीं रहा है. सड़क बन गये, भवन बन गये, नालियां बन गयी, दरवाजे तक पर सीमेंट चढ़ा दिये गये. नतीजा यह हुआ कि पिछले 20 वर्षों में 10 से 20 फीट तक जलस्तर नीचे चला गया. उपाय क्या है : अब तो एक ही उपाय रह गया है कि गंगा जल के इस्तेमाल के लिए बड़ी योजना बने और घर-घर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कड़ाई से लागू हो. ………………………………………………100 लाख गैलन पानी की आवश्यकता 38 लाख गैलन पानी उपलब्ध हो रहा 77 हजार होल्डिंग हैं नगर निगम क्षेत्र में………………………………………………..

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