दवा के सहारे 50 साल तक जी सकते हैं एचआइवी मरीजविश्व एड्स दिवस आजसंवाददाताभागलपुर : आज भी एड्स लाइलाज बीमारी है. यह एक वाइरल बीमारी है, जो रेट्रो वायरस के कारण होता है. विश्व में आज भी एड्स के पूर्ण रुपेण इलाज के लिए रिसर्च किया जा रहा है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है. बावजूद इसके नयी तकनीक के कारण अब एचआइवी मरीज के इलाज में महत्वपूर्ण सफलता मिली है. आज एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी यानी एआरटी तकनीक से शरीर में एचआइवी के वायरस को रोकता है और उसकी मात्रा को भी कम करता है. नयी रिसर्च का ही परिणाम है कि आज अगर किसी 20 साल के आदमी में एचआइवी पॉजिटिव निकलता है तो वे एंटी एचआइवी दवाइयों की मदद से 50 साल और जी सकता है. एचआइवी के कारणएआरटी सेंटर की मेडिकल ऑफिसर डॉ मोनिका रानी ने बताया कि मौटे तौर पर एचआइवी से संक्रमित होने के प्रमुख कारणों में असुरक्षित यौन संबंध है. इसके अलावा इंजेक्टिंग ड्रग का इस्तेमाल, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, मां के दूध से बच्चे में, असुरक्षित सुई आदि से एड्स फैलता है. यहां बता दें कि यह छुआछूत की बीमारी नहीं है. दाढ़ी बनाने, मच्छर के काटने, साथ बैठकर खाने और हाथ मिलाने आदि से नहीं होता है. एचआइवी के लक्षण एचआइवी के शिकार व्यक्ति को बुखार, पेट खराब, मुंह में छाला, टीबी का लक्षण, शरीर में खुजलाहट, पाचन क्रिया में गड़बड़ी, डायरिया, सिर दर्द, सिर के बाल उड़ना, फंगल होना, शरीर में लाल निशान, डिप्रेशन के अलावा पीड़ित व्यक्ति का वजन भी कम हो जाता है. वैसे एचआइवी मरीजों को चार स्टेज में बांटा गया है. चौथा स्टेज खतरनाक स्टेज होता है. इस स्टेज में वास्टिक सिंड्रोम हो जाता है. जीवन शैली में सुधार व बेहतर खान-पान से कर सकते हैं कंट्रोल काउंसलर आशिष केसरी ने बताया कि बेहतर जीवन शैली के अलावा बेहतर खान-पान के जरिए एचआइवी पर नियंत्रण रख सकते हैं. उन्हाेंने बताया कि एचआइवी मरीजों को सकारात्मक सोच के साथ-साथ सिगरेट व शराब नहीं पीना चाहिए. शरीर को आराम देना चाहिए. बिना डॉक्टर के परामर्श के अन्य दूसरी दवा नहीं लेनी चाहिए. प्रत्येक दिन व्यायाम व योग करना चाहिए. सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए. साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा वेलेंस डाइट लेना चाहिए. प्रॉटीन व विटामिन युक्त भोजन लेना चाहिए. बॉक्स में………………जेएलएनएमसीएच में पिछले चार साल के एचआइवी मरीजों की स्थितिजेएलएनएमसीएच के एआरटी सेंटर में पिछले चार साल में कुल एचआइवी से पीड़ित 92 लोगों इलाज के बाद भी मौत हो गयी. इसके अलवा वर्तमान में 2255 एचआइवी मरीजों का इलाज किया जा रहा है. एआरटी सेंटर से काउंसलर आशीष केसरी ने बताया कि रोजाना 8 से 10 नये मरीज आते हैं, इसके अलावा करीब 90 पुराने एचआइवी मरीज एंटी एचआइवी दवाई की डोज ले रहे हैं. इसके अलावा पिछले चार साल में 105 गर्भवती महिलाएं आयीं, जो एचआइवी से पीड़ित थीं. गौरतलब है कि इस जोन में भागलपुर के अलावा कटिहार, खगड़िया व बेगूसराय में एआरटी सेंटर हैं. जेएलएनएमसीएच में एचआइवी मरीजों की स्थितिवर्ष पुरुष महिला बच्चे(लड़का) बच्ची(लड़की) मृत्यु2012 417 276 31 14 36 2013 258 173 22 12 182014 271 236 38 24 292015 259 181 31 12 09
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दवा के सहारे 50 साल तक जी सकते हैं एचआइवी मरीज
दवा के सहारे 50 साल तक जी सकते हैं एचआइवी मरीजविश्व एड्स दिवस आजसंवाददाताभागलपुर : आज भी एड्स लाइलाज बीमारी है. यह एक वाइरल बीमारी है, जो रेट्रो वायरस के कारण होता है. विश्व में आज भी एड्स के पूर्ण रुपेण इलाज के लिए रिसर्च किया जा रहा है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली […]
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