भागलपुर: तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश जनार्दन त्रिपाठी के सोमवार को आदेश के बाद दंगे के बरी नौ आरोपियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. अभियोजन पक्ष से अपर विशेष लोक अभियोजक अतीउल्लाह ने कहा कि कोर्ट आदेश पर मंत्रणा करेंगे और उसके बाद अपील पर विचार किया जायेगा. वहीं बचाव पक्ष के वरीय अधिवक्ता अभयकांत झा ने अदालती आदेश को न्यायोचित बताते हुए इसे न्याय की जीत करार दिया.
कड़ी सुरक्षा में चल रही थी गवाही. 24 अक्तूबर 1989 के दंगे पर चल रही सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने तीन वर्ष पूर्व पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में गवाह को डराने-धमकाने की बात कहते हुए सुनवाई को प्रभावित करने की बात कही गयी. दो वर्ष पहले हाइकोर्ट ने याचिका पर आदेश दिया कि कड़ी सुरक्षा के बीच गवाहों की निचली अदालत में सुनवाई करायी जाय. इसमें गवाहों की सुरक्षा की जिम्मेवारी पुलिस के वरीय पदाधिकारियों को दी थी. हाइकोर्ट ने मामले में स्पीडी ट्रायल करने का निर्देश दिया था. दरअसल भागलपुर दंगे में कुल 17 गवाहों के बयान कलबंद हुए, इसमें दो अनुसंधान कर्ता भी थे.
छह अगस्त 2015 से 10 अलग-अलग तिथि में चली बहस. दंगा मामले में 248/91 में छह अगस्त 2015 से बहस शुरू हुई थी. 11 नवंबर को आये आदेश से पहले इस पर 10 अलग-अलग तिथि में बहस की गयी. इस बहस में तमाम गवाही से परीक्षण सहित अन्य न्यायिक कार्य किये गये.
तीन अलग-अलग कमीशन ने दे दी है रिपोर्ट. सरकार की ओर भागलपुर दंगे पर गठित अंतिम कमीशन जस्टिस एनएन सिंह की रिपोर्ट बिहार विस सभा के पटल पर रख दिया गया. इस रिपोर्ट में कमीशन ने दंगे को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री को जिम्मेवार माना है.
एक हजार पृष्ठ की रिपोर्ट में मुख्यमंत्री पर त्वरित कार्रवाई नहीं किये जाने की जिम्मेवारी देते हुए तत्कालीन पुलिस पदाधिकारी को भी निष्क्रिय बताया. 24 अक्तूबर से दो माह तक हुए हिंसा में भागलपुर व आसपास के 250 गांव प्रभावित हुए. 50 हजार परिवार को विस्थापित होना पड़ा था. इससे पहले भागलपुर दंगे पर सरकार ने जस्टिस शमशुल हसन और आरएन प्रसाद कमीशन का गठन हुआ. उन्होंने रिपोर्ट में 1852 लोगों के मारे जाने की बात कही थी और 524 लोग घायल हुए थे. रिपोर्ट में बताया गया था कि 600 पावरलूम, 1700 हैंडलूम और 11 हजार 500 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे. दूसरी तरफ सरकारी आंकड़े में कुल 48 हजार लोग प्रभावित होने की बात का भी उल्लेख किया गया. मालूम हो कि 24 अक्तूबर 1989 से छह दिसंबर 1989 तक भागलपुर में दंगा हुआ. उसके बाद 22 और 23 फरवरी 1990 को भी दो घटनाएं घटी थी.
हाइकोर्ट में दंगा पीड़ित को अतिरिक्त मुआवजा देने पर रिट. पटना हाइकोर्ट में सीडब्लूजेसी 17268/2015 रिट के तहत भागलपुर दंगा पीड़ित को अतिरिक्त मुआवजा देने की बात कही गयी है. रिट में बताया गया कि सरकार ने 16 दिसंबर 2014 को 1984 सिंख दंगा के पीड़ित को मुआवजा तौर पर अतिरिक्त 5 लाख रुपये तक दिये गये. इस तरह दंगा पीड़ित को इतनी ही अतिरिक्त राशि दी जाय.