साहित्यकार का कॉलम ::: पुरस्कार नहीं लौटायें, लेखनी को हथियार बनायेंफोटो स्कैन मेंआमोद कुमार मिश्र सम्मान व पुरस्कार लौटानेवाले कवि साहित्यकारों से मेरा निवेदन है कि समर्थ साहित्यकारों के पास प्रखर आयुध उनकी लेखनी होती है. यदि उन्हें किसी विसंगति पर अपनी असहमति, अपना विरोध प्रदर्शित करना है तो वे अपने इस अमोघ आयुध का सशक्त प्रयोग करने के लिये स्वतंत्र है न कि अपनी असमर्थ लेखन शक्ति का परिचय देते हुए प्राप्त सम्मान/पुरस्कार/उपाधि ही लौटा दें. उनका यह कार्य उनकी साहित्यिक असमर्थता को व्यक्त करता है. साहित्यिक अकादमी कोई सरकारी संस्था नहीं है. यह भारतीय जनता की संस्था है. इस संस्था के निर्णायक मंडल द्वारा उन्हें सम्मानित किये जाने का तात्पर्य भारतीय जनता द्वारा किये गये सम्मान से है. सम्मान लौटाये जाने से भारतीय जनता का अपमान हुआ है. सम्मान प्राप्ति के बाद साहित्य जगत से एवं भारतीय जनता से उन्हें जितनी प्रशस्तियां मिली क्या वे उसे लौटा सकते हैं. अत: मेरी प्रार्थना है कि अपनी साहित्यिक प्रतिभा की रक्षा के लिए भारतीय जनता के निर्णय का सम्मान रखने के लिए एवं भारतीय राष्ट्रीयता के सम्मान के लिए आदरपूर्वक अपने साहित्यिक सम्मान को वापस लेने की बौद्धिक कृपा की जाये, अन्यथा उनके साहित्यिक सामर्थ्य पर ही प्रश्न उठना स्वाभाविक है. कुलगीतकार, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर
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साहत्यिकार का कॉलम ::: पुरस्कार नहीं लौटायें, लेखनी को हथियार बनायें
साहित्यकार का कॉलम ::: पुरस्कार नहीं लौटायें, लेखनी को हथियार बनायेंफोटो स्कैन मेंआमोद कुमार मिश्र सम्मान व पुरस्कार लौटानेवाले कवि साहित्यकारों से मेरा निवेदन है कि समर्थ साहित्यकारों के पास प्रखर आयुध उनकी लेखनी होती है. यदि उन्हें किसी विसंगति पर अपनी असहमति, अपना विरोध प्रदर्शित करना है तो वे अपने इस अमोघ आयुध का […]
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