इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की भीड़फोटो- आशुतोष – चार दिनों से ओपीडी बंद, सभी मरीज इमरजेंसी वार्ड में भरती – बेड खाली नहीं रहने से कई मरीजों का फर्श पर हुआ इलाज संवाददाता,भागलपुर दुर्गा पूजा व मुहर्रम के कारण पिछले चार दिनों से जवाहरलाल नेहरू मेडिकल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की भीड़ बढ़ गयी है. पहले 30 से 40 मरीज रोजाना इमरजेंसी वार्ड में इलाज के लिए पहुंचते थे, वहीं चार दिनों से सौ से अधिक मरीज इमरजेंसी वार्ड में इलाज कराने पहुंच रहे हैं. रविवार को भी इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की इतनी भीड़ थी कि सभी बेड फुल हो गये थे. इमरजेंसी वार्ड पर अचानक दबाव बढ़ने से मरीजों को इलाज कराने में परेशानी हो रही थी. ओपीडी में रोजाना 1000 से अधिक मरीज इलाज कराने आते हैं. इमरजेंसी वार्ड में फर्श पर मरीजों का इलाजइमरजेंसी वार्ड में क्षमता से अधिक मरीज के पहुंचने से कई मरीजों का इलाज वार्ड के बरामदे के फर्श पर किया जा रहा है. फर्श पर इलाज करा रहे मरीज मिरजानहाट चौधरीडीह की अनीशा देवी, सबौर के छट्टू यादव व महावती देवी आदि ने बताया कि मारपीट के कारण वे लोग जख्मी हो गये हैं, लेकिन बेड नहीं रहने से उनलोगों का इलाज फर्श पर ही किया जा रहा है. मरीजों का कहना था कि चादर पतला होने के कारण फर्श पर ठंड लगता है, लेकिन इलाज तो कराना ही है. इंटर्न व एसोसिएट डॉक्टर के हवाले इमरजेंसी वार्ड इमरजेंसी वार्ड में वैसे तो प्रत्येक शिफ्ट के लिए डॉक्टर की ड्यूटी लगायी जाती है. सुबह के शिफ्ट में सीनियर डॉक्टर मौजूद रहते हैं, लेकिन दोपहर एक बजे के बाद सीनियर डॉक्टरों के चले जाने से इमरजेंसी वार्ड के मरीजों का इलाज इंटर्न डॉक्टर ही करते हैं. सामान्य दिनों में तो सभी विभाग में डॉक्टरों की ड्यूटी रहती है, लेकिन छुट्टी व रविवार के दिन किसी भी वार्ड में डॉक्टर के नहीं रहने के कारण इमरजेंसी वार्ड के डॉक्टर ही देखते हैं. ऐसे में छुट्टी व रविवार के दिन इमरजेंसी वार्ड में कोई सीनियर डॉक्टर के नहीं रहने से सीरियस मरीजों की सांसे अटकी रहती है. खासकर बच्चों के लिए बना नीकू वार्ड में हर समय 40 से 50 बच्चे का सीरियस इलाज चलता रहता है, लेकिन इलाज के नाम पर एक भी डॉक्टर नहीं रहते हैं. नर्स की देखरेख में ही इलाज होता है. पूछे जाने पर बताया कि अगर बच्चे की हालत बिगड़ती है तो इमरजेंसी वार्ड से डॉक्टर को बुलाते हैं. सवाल यह है कि जब इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर ही नहीं हो तो फिर नाजुक हालत वाले मरीज का इलाज कौन करेगा. बॉक्स में….इमरजेंसी वार्ड में गंदगी का अंबारजेएलएनएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में रविवार को गंदगी का अंबार लगा था. मुख्य गेट पर ही गंदे कपड़ों का अंबार व इमरजेंसी वार्ड के कई बेड के नीचे गंदे कपड़ों के बड़े-बड़े गट्ठर पड़े थे. इमरजेंसी वार्ड के बरामदे पर मेडिकल कचरा इधर-उधर पड़ा हुआ था. साफ-सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की गयी थी. वार्ड के शौचालय की स्थिति भी काफी बदतर दिखी. वार्ड में भरती मरीजों का कहना था कि वे लोग मजबूरी में शौचालय का इस्तेमाल करते हैं. अगर बाहर के शौचालय तक जाने की शक्ति रहे, तो वे बाहर के शौचालय का इस्तेमाल करने का ही प्रयास करते.
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इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की भीड़
इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की भीड़फोटो- आशुतोष – चार दिनों से ओपीडी बंद, सभी मरीज इमरजेंसी वार्ड में भरती – बेड खाली नहीं रहने से कई मरीजों का फर्श पर हुआ इलाज संवाददाता,भागलपुर दुर्गा पूजा व मुहर्रम के कारण पिछले चार दिनों से जवाहरलाल नेहरू मेडिकल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की भीड़ बढ़ […]
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