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जात्रा शैली में अभिनय कर मिलती है संतुष्टि

जात्रा शैली में अभिनय कर मिलती है संतुष्टि-भोजपुरी, बंगाली, तमिल आदि क्षेत्रीय फिल्मों में अभिनेत्री रह चुकी हैं पापिया अधिकारीफोटो नंबर : आशुतोष जीसंवाददाता,भागलपुरभोजपुरी, बंगाली, तमिल आदि क्षेत्रीय फिल्मों में अभिनेत्री रह चुकीं कोलकाता की पापिया अधिकारी को जात्रा शैली में अभिनय कर संतुष्टि मिलती है. बांग्ला फिल्म में मिथुन के साथ अभिनेत्री की भूमिका […]

जात्रा शैली में अभिनय कर मिलती है संतुष्टि-भोजपुरी, बंगाली, तमिल आदि क्षेत्रीय फिल्मों में अभिनेत्री रह चुकी हैं पापिया अधिकारीफोटो नंबर : आशुतोष जीसंवाददाता,भागलपुरभोजपुरी, बंगाली, तमिल आदि क्षेत्रीय फिल्मों में अभिनेत्री रह चुकीं कोलकाता की पापिया अधिकारी को जात्रा शैली में अभिनय कर संतुष्टि मिलती है. बांग्ला फिल्म में मिथुन के साथ अभिनेत्री की भूमिका निभा चुकी पापिया बताती हैं कि हिंदी में टेली फिल्म कितने पास, कितने दूर, शरतचंद रचित चरित्रहीन में भूमिका कर चुकी हैं. रेडियो व थियेटर से अभिनय के शुरूआत की. 18 वर्ष पहले मां कल्याण अधिकारी की प्रेरणा से अभिनय के क्षेत्र में आयी. गुरू ज्ञानेश मुखर्जी से अभिनय की शिक्षा ली. पहले जात्रा में धार्मिक ग्रंथ व कहानी पर आधारित नाट्य मंचन होता था, अब आधुनिक विषय व वर्तमान हालात पर आधारित नाट्य मंचन होता है. तकनीक के विकास के साथ-साथ विषय-वस्तु में भी बदलाव आया है. जात्रा शैली को बचाने में दर्शक की बड़ी भूमिका होगी. चूंकि अभी सिनेमाइ युग में इसे स्थापित करना मुश्किल होगा. कलाकारों को भी दर्शक व श्रोता को अपने संवाद व अभिनय से संतुष्ट करना चुनौती होगा. उपभोक्तावादी युग में लोग घर बैठे मनोरंजन के आदि हो गये हैं.

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