भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अंगीभूत कॉलेजों में हुई विभिन्न सामग्री की खरीदारी की जांच शुरू हो चुकी है. पूजा अवकाश के कारण जांच की प्रक्रिया रुक गयी है, लेकिन अवकाश के बाद पुन: शुरू हो जायेगी.
अब तक हुई जांच में जांच कमेटी को काफी गड़बड़ी मिली है. डीएसडब्ल्यू डॉ गुरुदेव पोद्दार ने बताया कि एसएम कॉलेज में अभी एक ही दिन जांच की गयी है. इसमें कई गड़बड़ी है. कमेटी ने यह निर्णय लिया है कि एसएम कॉलेज में हुई खरीदारी की जांच अभी पूरी नहीं हुई है. फिलहाल यह जारी रहेगी. डॉ पोद्दार ने यह बताने से इनकार कर दिया कि गड़बड़ी किस मद में हुई है. 30 सितंबर को जीबी कॉलेज, नवगछिया और इसके बाद जेपी कॉलेज, नारायणपुर में जांच की गयी.
डॉ पोद्दार ने बताया कि अभी जांच रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया जायेगा. रिपोर्ट सिंडिकेट की बैठक में सौंपी जायेगी. जांच कमेटी में डीएसडब्ल्यू डॉ गुरुदेव पोद्दार, सिंडिकेट सदस्य डॉ सत्यव्रत सिंह व डॉ सुरेंद्र अनल शामिल हैं. सभी 29 अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्यो, सभी पीजी विभागाध्यक्षों व सभी वित्त स्वपोषित पाठ्यक्रमों के संयोजकों के कार्यकाल की जांच होनी है. उक्त अधिकारियों द्वारा संबंधित संस्थान के लिए विभिन्न सामग्री की खरीद में बरते गये नियम व खरीदी गयी सामग्री की उपलब्धता की जांच होगी. इसके लिए 12 अगस्त को सिंडिकेट की बैठक में जांच कमेटी का गठन किया गया था. प्राचार्यो का 2008 से, पीजी हेड व संयोजकों का 2010 से कार्यकाल की जांच होगी.
जांच के लिए जो कमेटी गठित की गयी है, उसमें डॉ सुरेंद्र अनल, डॉ गुरुदेव पोद्दार व डॉ सत्यव्रत सिंह शामिल हैं. कुछ कॉलेजों के प्राचार्य के कार्यकाल में अलमारी, कुरसी, टेबुल, कंप्यूटर आदि की खरीदारी में गड़बड़ी की सूचना मिली थी. इसके बाद जांच कराने का निर्णय लिया गया था और फिर सिंडिकेट ने जांच शुरू करने के निर्णय पर मुहर भी लगा दी. खरीदारी में निविदा की जांच की जायेगी. खरीदी गयी सामग्री उपलब्ध है या नहीं इसकी भी जांच की जायेगी. इससे यह भी पता चल सकेगा कि सामग्री की खरीद नियम के मुताबिक हुई या मनमाने ढंग से. कई कॉलेजों से विश्वविद्यालय को यह सूचना मिली थी कि सामान खरीदा और घर व मित्रों के बीच बांट दिया गया. जेनरेटर, वाटर प्यूरीफायर, जांच परीक्षा के लिए उत्तरपुस्तिका व प्रश्नपत्र के लिए जांच प्रक्रिया का पालन में बरते गये नियम से संबंधित तमाम कागजात की मांग प्राचार्य से की जायेगी.
खरीद से पहले निविदा निकालने की प्रक्रिया, कोटेशन मंगाने के माध्यम, तीनों कोटेशन की तुलनात्मक विवरणी, कॉलेज के विकास समिति से अनुमोदन, परचेज ऑर्डर, खरीद के बाद स्टॉक इंट्री व इशू ऑर्डर, पेमेंट बिल आदि की मांग की जायेगी. फर्नीचर की खरीद खास कर गोदरेज कंपनी से पांच से सात प्रतिशत कमीशन मिलने का साक्ष्य भी प्राचार्यो को प्रस्तुत करना होगा. यह कमीशन कॉलेज के खाते में जाता है. यूजीसी फंड से सामग्री की खरीदारी की भी जांच होगी. इसमें किताब की खरीदारी भी शामिल है. सेंटर ऑफ एक्सेलेंस का दर्जा मिलने के बाद संबंधित कॉलेज को मिली राशि के खर्च की भी जांच होनी है.