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सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी नहीं, जमीन पर दिखे काम

भागलपुर: बिहार सरकार की ओर से जिले में चल रही विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं की अद्यतन स्थिति को लेकर सोमवार को डीआरडीए सभागार में राज्य स्वास्थ्य समिति, पटना के कार्यपालक निदेशक जितेंद्र श्रीवास्तव की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक हुई. बैठक में भागलपुर, मुंगेर, बांका, कटिहार, खगड़िया, लखीसराय, जमुई जिले के सिविल सजर्न, डीपीएम व अन्य स्वास्थ्य […]

भागलपुर: बिहार सरकार की ओर से जिले में चल रही विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं की अद्यतन स्थिति को लेकर सोमवार को डीआरडीए सभागार में राज्य स्वास्थ्य समिति, पटना के कार्यपालक निदेशक जितेंद्र श्रीवास्तव की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक हुई. बैठक में भागलपुर, मुंगेर, बांका, कटिहार, खगड़िया, लखीसराय, जमुई जिले के सिविल सजर्न, डीपीएम व अन्य स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने भाग लिया.

बैठक के पहले कार्यपालक निदेशक जितेंद्र श्रीवास्तव ने खरीक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और नवगछिया साहु परबत्ता के एचइसी उप केंद्र का दौरा किया. आरडीडी डॉ सुधीर महतो ने कहा कि कार्यपालक निदेशक ने खरीक पीएचसी और परबत्ता एचइसी की स्वास्थ्य व्यवस्था को संतोषजनक बताया. दौरे के क्रम में निदेशक ने आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम से बातचीत की. निदेशक ने आशा व एएनएम से पूछा कि आप लोग फिल्ड में किस प्रकार काम करती हैं.

पीएचसी व एचइसी में हल्की-फुल्की जो कमियां थी, उसे जल्द-से-जल्द दूर करने का निर्देश दिया. जगदीशपुर में मिजिल्स और कहलगांव में इसीजी की चल रही कमी को एक महीने के अंदर दूर कर लेने का जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को निर्देश दिया. बांका के सिविल सजर्न द्वारा सवाल का जवाब सही-सही नहीं दिये जाने पर कार्यपालक निदेशक ने जम कर फटकार लगायी.

जमीनी स्तर पर करें काम : राज्य स्वास्थ्य समिति, पटना के कार्यपालक निदेशक जितेंद्र श्रीवास्तव ने भागलपुर, मुंगेर, बांका, कटिहार, खगड़िया, लखीसराय, जमुई जिले में चल रही स्वास्थ्य सेवा योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि केवल हवा-हवाई से काम नहीं चलेगा, बल्कि क्षेत्र में जाकर सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं से लोगों को लाभान्वित करने का प्रयास करना होगा. उन्होंने सभी जिले के सीएस व डीपीएम को कहा कि दवा क्रय में जो दिक्कतें आ रही है, उसे अपने स्तर से दूर करें. निदेशक ने कहा कि जितने बच्चे एमडीएम करते हैं, उतने बच्चों का हेल्थ कार्ड निश्चित रूप से बन जानी चाहिए. यह किसी भी कीमत पर 60 प्रतिशत से कम नहीं हो. इंज्यूरी रिपोर्ट लिखने में डॉक्टरों की लेट लतीफी पर निदेशक ने कहा कि ऐसे डॉक्टरों पर सीएस व डीएम पैनी नजर रखें.

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