फर्जी तरीके से डलवाया गया पता : जीतेंद्र सिंह तोमर के लॉ में नामांकन के समय आवासीय पता मुंगेर जिले के धपरी-गोबड्डा गांव बताया गया था. दिल्ली पुलिस की दो सदस्यीय टीम इंस्पेक्टर अरविंद सिंह के नेतृत्व में धपरी गांव पहुंची और वहां स्थानीय लोगों से जीतेंद्र सिंह तोमर के संदर्भ में बातचीत की. पुलिस टीम प्रखंड उपप्रमुख रामनुग्रह सिंह, वार्ड सदस्य अमरनाथ सिंह, पूर्व मुखिया विवेकानंद सिंह सहित अनेक लोगों से पूछताछ की. पुलिस यह खंगालने में लगी रही कि आखिर जीतेंद्र तोमर ने धपरी-गोबड्डा गांव ही अपने पते में क्यों अंकित कराया था. इस गांव से उनका क्या संबंध हैं. जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने कहा कि यह पता फर्जी तरीके से डलवाया गया था.
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तोमर प्रकरण : धपरी के ग्रामीण बोले जितेंद्र सिंह तोमर को नहीं पहचानते
हवेली खड़गपुर: फर्जी डिग्री के मामले में फंसे दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर के आवासीय पता की पड़ताल करने दिल्ली पुलिस की दो सदस्यीय टीम गुरुवार को खड़गपुर थाना क्षेत्र के धपरी गांव पहुंची. पुलिस ने स्थानीय ग्रामीणों, प्रखंड उपप्रमुख व पूर्व मुखिया से पता के संदर्भ में पूछताछ की. गांव के […]
हवेली खड़गपुर: फर्जी डिग्री के मामले में फंसे दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर के आवासीय पता की पड़ताल करने दिल्ली पुलिस की दो सदस्यीय टीम गुरुवार को खड़गपुर थाना क्षेत्र के धपरी गांव पहुंची. पुलिस ने स्थानीय ग्रामीणों, प्रखंड उपप्रमुख व पूर्व मुखिया से पता के संदर्भ में पूछताछ की. गांव के कोई भी लोग या जनप्रतिनिधि तोमर को पहचानने को तैयार नहीं हुए.
प्राचार्य सहित पांच कर्मियों का बयान दर्ज
विदित हो कि जीतेंद्र सिंह तोमर ने मुंगेर के विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान से लॉ की डिग्री प्राप्त की थी. जिस संदर्भ में दिल्ली पुलिस जांच कर रही है. पिछले दिनों ही पुलिस की टीम तोमर को लेकर मुंगेर के लॉ कॉलेज व भागलपुर के तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ले गयी थी. साथ ही 17 जून को विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान के प्राचार्य सहित पांच कर्मियों का दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के हौजखास थाना में बयान दर्ज किया है.
फर्जी अंक पत्र विवि में ही तो नहीं हुए प्रिंट
भागलपुर: फर्जी डिग्री रैकेट के खुलासे के मामले में यह तथ्य सामने आया है कि छात्रों से मिले फर्जी अंक पत्र पूरी तरह असली दिखते हैं. इस कारण टीएमबीयू प्रशासन ने इस बात की जांच शुरू कर दी है कि कहीं दोनों अंक पत्र विवि में ही तो प्रिंट नहीं हुए. इसे लेकर विवि में रिजल्ट तैयार करनेवाली निजी एजेंसी बाइट सॉफी के मालिक व कर्मचारियों को विवि प्रशासन ने तलब किया. एजेंसी के प्रतिनिधि विवि पहुंचे और उन्होंने यह लिख कर दिया कि एजेंसी के द्वारा अंकपत्र प्रिंटिंग नहीं की गयी है. वैसे इस बात की प्रबल संभावना है कि विवि प्रशासन फर्जी अंक पत्र की प्रिंटिंग की जांच कराने के लिए लैबोरेट्री की मदद ले सकता है.
दो छात्रों से फर्जी अंकपत्र बरामद होने के बाद परीक्षा नियंत्रक डॉ अरुण कुमार सिंह ने लिख कर दिया कि अंकपत्र की प्रिंटिंग में निजी एजेंसी की संलिप्तता लगती है. लेकिन निजी एजेंसी के प्रतिनिधि ने फर्जी अंकपत्र प्रिंट करने से इनकार किया है. फिर भी विवि प्रशासन यह पता लगायेगा कि विवि में फर्जी अंकपत्र की प्रिंटिंग हुई है या नहीं.
प्रो एके राय, प्रतिकुलपति, टीएमबीयू
फर्जी डिग्री रैकेट मामला: निजी एजेंसी पर लगते रहे कई आरोप, हस्ताक्षर पर विवि की निगाहें
फर्जी डिग्री रैकेट में पकड़े गये दोनों छात्रों ने बुधवार को बताया था कि उन्होंने एसके बप्पी नामक छात्र से इसी वर्ष जनवरी में अंक पत्र खरीदा था. अगर अंक पत्र जनवरी 2015 में जारी हुआ है, तो उस पर वर्तमान परीक्षा नियंत्रक डॉ अरुण कुमार सिंह का हस्ताक्षर होना चाहिए. विवि प्रशासन इस बात की भी जांच कर रहा है कि हस्ताक्षर असली है या नकली. अंक पत्र पर परीक्षा नियंत्रक के प्रिंटेड हस्ताक्षर होते हैं, लेकिन टेबलेटर के हस्ताक्षर हाथ से किये हुए होते हैं.
रिजल्ट पेंडिंग बड़ी समस्या
जानकारी के अनुसार पूर्व कुलपति डॉ केएन दुबे ने भागलपुर विश्वविद्यालय में निजी एजेंसी बाइट सॉफी को लाया था. तबसे निजी एजेंसी द्वारा ही रिजल्ट तैयार करने के काम किया जाता रहा. निजी एजेंसी ने जितने रिजल्ट तैयार किये, उनमें अधिकतर रिजल्ट पेंडिंग होते रहे. रोजाना हजारों छात्र रिजल्ट दुरुस्त करवाने के लिए विवि पहुंचने लगे. छात्र संगठनों द्वारा आरोप यह लगता रहा कि रिजल्ट सुधारने में मोटी रकम की कमाई के लिए एजेंसी रिजल्ट पेंडिंग करता है. इसमें परीक्षा विभाग की संलिप्तता का भी आरोप लगता रहा. सच्चई जो भी हो, लेकिन छात्र-छात्रओं के टीआर (टेबलेटिंग रजिस्टर) में कुछ और अंक पत्र में कुछ और अंक होते थे. यही नहीं टीआर में भी अंकों की प्रिंटिंग में भारी गड़बड़ी रहती थी. दिन भर बंद रहा परीक्षा विभाग : दो छात्रों द्वारा अंक पत्र खरीदने, बिचौलिये का नाम उजागर करने के बाद विश्वविद्यालय परिसर में घूमनेवाले बिचौलियों को सांप सूंघ गया है. गुरुवार को छात्रों के अलावा कोई भी संदिग्ध चेहरा नहीं दिख रहा था. आम दिनों में ऐसे चेहरे दिखते थे. परीक्षा विभाग का गेट दिन भर बंद रखा गया था. छात्र अपने-अपने काम को लेकर परीक्षा विभाग पहुंचे, पर उन्हें अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गयी.
किसने दिया था परीक्षा का आदेश, कमेटी कर रही जांच
विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान को एलएलबी के तीनों खंडों के छात्रों की परीक्षा लेने का आदेश किसके द्वारा दिया गया था. परीक्षा हो गयी, तो रिजल्ट प्रकाशन करने का आदेश किसने दिया था. रिजल्ट प्रकाशित हुआ, तो प्रमाणपत्र निर्गत करने का आदेश किसने दिया था. इन सभी बिंदुओं पर अब तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा गठित जांच कमेटी की नजर टिक गयी है. वह इसलिए कि वर्ष 1990 से 2001 तक विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान को एफिलिएशन प्राप्त नहीं होने की बात सामने आ रही है. ऐसे में कमेटी इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए जांच शुरू कर दी है कि अगर एफिलिएशन नहीं था, तो परीक्षा कैसे आयोजित हो गयी. ज्ञात हो कि दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की है, जिसकी अभी जांच चल रही है.
गुरुवार को प्रतिकुलपति प्रो एके राय के कार्यालय में आयोजित जांच कमेटी की बैठक में एफिलिएशन से संबंधित कागजात प्रस्तुत किये गये. इसके अलावा कमेटी के सदस्यों ने मुसलिम माइनॉरिटी कॉलेज व महादेव सिंह कॉलेज में की गयी जांच से संबंधित कागजात भी प्रस्तुत किये. बैठक से पूर्व जांच कमेटी के सदस्य डॉ आशुतोष प्रसाद, डॉ मणिंद्र कुमार सिंह व डॉ विलक्षण रविदास मुसलिम माइनॉरिटी कॉलेज गये थे. दरअसल मुसलिम माइनॉरिटी कॉलेज व महादेव सिंह कॉलेज में वर्ष 1997 में पार्ट थ्री की परीक्षा आयोजित की गयी थी. इसमें जितेंद्र सिंह तोमर के फेल होने की बात सामने आयी है. जांच कमेटी यह देखना चाह रही है कि उक्त परीक्षा में तोमर उपस्थित हुए थे या नहीं. मुसलिम माइनॉरिटी कॉलेज में कमेटी के सदस्यों को कागजात नहीं मिला. महादेव सिंह कॉलेज में गरमी छुट्टी होने के कारण कोई अधिकारी नहीं मिले. कॉलेज के एक पदाधिकारी ने सदस्यों को कहा कि कॉलेज में सारे दस्तावेज उपलब्ध हैं. प्राचार्य के आने के बाद उपलब्ध करा दिया जायेगा. बैठक में कमेटी के अध्यक्ष प्रो एके राय, सदस्य डॉ विलक्षण रविदास, डॉ मणिंद्र कुमार सिंह, डॉ आशुतोष प्रसाद, डॉ गुलाम मुस्तफा मौजूद थे.
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