भागलपुर: गंगा में आयी बाढ़ का असर इस बार शहरी क्षेत्र में देखने को मिला. गंगा किनारे बने सैकड़ों मकानों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया था. जल स्तर में कमी के बाद लोगों को थोड़ी राहत तो मिली है, लेकिन परेशानी बरकरार है.
स्थिति इतनी भयावह हो गयी थी कि प्रशासन को माइकिंग कर मकान खाली करने की अपील करना पड़ा. सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से पहली बार भागलपुर में बाढ़ की वजह से मकान खाली करने का अनुरोध किया गया. प्रशासन ने पूरी स्थिति को भांपते हुए गंगा किनारे के मकानों की जांच कराने का निर्णय लिया है. जांच में इस बात पर फोकस रहेगा कि नक्शा के अनुसार निर्माण हुआ है या नहीं . सरकारी जमीन का अतिक्रमण तो नहीं हुआ है. जांच में दोषी पाये गये लोगों पर कार्रवाई होगी.
पिछले दो दशक में गंगा शहरी क्षेत्र के कई घाटों को छोड़ गयी. कई मोहल्ले से जैसे-जैसे गंगा दूर होती गयी. वैसे-वैसे गंगा किनारे निर्माण में तेजी आयी. अब तो गंगा का किनारा कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो गया. गंगा किनारे जो निर्माण हुए उसमें कइयों पर तो यह भी आरोप लगता गया कि निर्धारित जमीन के आगे भी अवैध निर्माण कर लिया गया है. इस बार आयी बाढ़ की वजह से सैकड़ों घरों में पानी प्रवेश कर गया. पानी का जल स्तर इतना था कि कई मकानों की पहली मंजिल पानी में डूब गयी. जानकारों का कहना है कि प्रकृति से छेड़छाड़ ठीक नहीं है. बाढ़ और उससे होने वाली परेशानी के चलते गंगा किनारे मकान बनानेवालों को भी चितिंत कर दिया है. प्रशासन ने भी इसे गंभीरता से लिया है. गंगा किनारे हुए निर्माण की जांच कराने का फैसला लिया है. बाढ़ का पानी उतरने के बाद गंगा किनारे हुए निर्माण की जांच होगी.