निलेश, भागलपुर
दिन सोमवार, स्थान जिला गव्य विकास कार्यालय, समय दोपहर साढ़े बारह बजे. कार्यालय के बाहर इंतजार करते कई आवेदक. किसी को आवेदन फॉर्म जमा करना है, तो अधिकतर को विस्तार से जानकारी लेनी है. बाइक हनहनाते हुए एक साहब आते हैं (विभागीय जानकारी के अनुसार वह तकनीकी सुपरवाइजर हैं). हनक दिखाते, फटकारते सभी को अंदर बिठाते हैं. इस दौरान विभिन्न गांवों से आये आवेदक डरते हुए सवाल पूछते हैं. अब साहब अपनी बात शुरू करते हैं-
लगेंगे दो सौ रुपये : बार-बार नहीं बतायेंगे. एक लाइन से बैठ जाइये. निर्देश पढ़ लीजिये, नहीं समझ आये, तब पूछिये. एक बात क्लियर कर दें कि आवेदन फॉर्म नहीं है. बाहर से खरीदना होगा. शपथ-पत्र के साथ जब जमा करने आइयेगा, तब 200 रुपये लगेंगे. विभाग के पास आदमी नहीं है. खर्चा-पानी लगता है. रजिस्ट्री के पेच में भी पड़ियेगा, तो उतना ही खर्चा होगा. 72 रुपये का डाक टिकट लगा कर दीजियेगा, आदमी का खर्च देना होगा. कब हमको फुरसत मिलेगा, कब हम पहुंचायेंगे, कोई निश्चित नहीं है.
वर्तमान में समग्र गव्य विकास योजना का हाल ‘दुधारू गाय’ की तरह हो गया है. योजना में गड़बड़झाले की पड़ताल करने प्रभात खबर की टीम सोमवार को ग्रामीण आवेदक के रूप में बरारी रोड स्थित जिला गव्य विकास कार्यालय पहुंची. इस दौरान जो हकीकत सामने आयी, वह चौंकानेवाली थी. टीम के पास पूरी बातचीत रिकॉर्ड है. इस रिकॉर्डिग में से कुछ बातें हम अपने पाठकों से साझा करना चाहते हैं, जिससे हम यह जान सकें कि ‘हमारा हक कहां आकर दम तोड़ देता है’.
लोगों को बाहर से खरीदना पड़ता है आवेदन फॉर्म
आवेदक को 22 या 25 की जगह कहा जा रहा 200 जमा करने को
पांच-सात पन्ने का फार्म लिये जा रहे 35 रुपये
लेना है अनुदान, तो
करें जेब ढीली
गव्य अनुदान योजना के अंतर्गत लाभुकों से सीधे तौर पर पैसे मांगे जाने के पीछे क्या कारण है, यह छानबीन का मामला है. पहले तो नि:शुल्क आवेदन फॉर्म उपलब्ध कराने में विभाग असमर्थता जताता है. आवेदन फॉर्म जमा लेते समय संबंधित बैंक तक पहुंचाने के नाम पर 200 रुपये मांगे जा रहे हैं.
बरारी रोड स्थित गव्य विकास कार्यालय में लोगों की सुविधा को देखते हुए योजना के लाभ के लिए अस्थायी व्यवस्था तो कर दी गयी है, लेकिन यहां कर्मचारी की कमी का बहाना बना लोगों से ‘खर्चा-पानी’ मांगा जाता है. महज पांच से सात पóो का आवेदन फॉर्म लोगों को बाहर से खरीदना पड़ रहा है. फोटो कॉपी चार्ज के एवज में 35 रुपये लिये जाते हैं. फॉर्म जमा करने के बाद बैंक तक पहुंचाने के लिए रजिस्ट्री का खर्च ही लेने का नियम है, लेकिन आवेदकों से महज 22 या 25 रुपये की जगह 200 रुपये जमा करने को कहा जा रहा है. सन्हौला प्रखंड के पोठिया निवासी संतोष कुमार व नाथनगर प्रखंड के नूरपुर पंचायत निवासी जाखो मंडल की तरह कई लोग इस भ्रष्टाचार के शिकार हो चुके हैं.
आवेदन पहुंचाने के लिए रजिस्ट्री शुल्क ही देना है. आवेदक लिफाफे पर टिकट लगा कर दे सकते हैं. जहां तक 200 रुपये मांगे जाने की बात है, यह गलत है और मेरी जानकारी में नहीं है. मंगलवार को पता कर आवश्यक कदम उठाया जायेगा.
डॉ प्रफुल्ल चंद्र झा
जिला पशुपालन पदाधिकारी