यह दवा मध्य प्रदेश व मुंबई में तैयार की गयी है. अब इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग संबंधित दवा कंपनी व स्थानीय दुकानदार से भी पूछताछ कर सकती है. एमपी द्विवेदी रोड स्थित संजय फॉर्मा के बारे में बताया जा रहा है कि उनके यहां ही इस कंपनी की दवा की बिक्री होती है. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक दवा दुकानदार ने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि अगर 10 लाख की दवा खरीदी गयी, तो उसमें दो लाख की दवा ही वापस होती है बाकी दवाओं को या तो फेंक दिया जाता है या मिट्टी में दबा दिया जाता है. लेकिन कई ऐसे दुकानदार हैं जो जहां-तहां दवाओं को फेंक देते हैं. दूसरी बात यह है कि बिना बिल के दवा की बिक्री करने पर सरकार के टैक्स से एजेंसी व दुकानदार बच जाते हैं.
इसलिए उस दवा को कंपनी वापस भी नहीं लेती है, नतीजतन एक्सपायर दवाओं को फेंकने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं बचता है. अब विभाग जब्त दवाओं की सूची तैयार कर रहा है और संबंधित दुकानदार से दवाओं के बारे में जानकारी जुटाने की तैयारी में है. गुरुवार को दुकानदार से दवाओं के बारे में पूछताछ की जा सकती है. ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि हमने दवा को सिज किया है, उसकी जांच चल रही है कि किस कंपनी की दवा है. वरीय अधिकारियों से बात करने के बाद तय होगा कि आगे क्या किया जायेगा.