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गाता हूं, अदृश्य शक्ति के लिए : प्रो बालानंद सिन्हा

संवाददाताभागलपुर : भोर की बेला में स्वर मंडल के साथ शास्त्रीय संगीत के सुर उनके कमरे से निकल वातावरण को संगीतमय कर रही होती है. उम्र ढली लेकिन संगीत के रियाज का समय कम नहीं हुआ. आदमपुर के सीसी मुखर्जी रोड स्थित उनके पड़ोसियों के दिन की शुरुआत संगीतमय सुबह से होती है. अभी भी […]

संवाददाताभागलपुर : भोर की बेला में स्वर मंडल के साथ शास्त्रीय संगीत के सुर उनके कमरे से निकल वातावरण को संगीतमय कर रही होती है. उम्र ढली लेकिन संगीत के रियाज का समय कम नहीं हुआ. आदमपुर के सीसी मुखर्जी रोड स्थित उनके पड़ोसियों के दिन की शुरुआत संगीतमय सुबह से होती है. अभी भी पांच से साढ़े पांच घंटे से कम रियाज नहीं करते. उनके रोजाना के रियाज में अहिर भैरव, बिलासखानी टोरी से लेकर भीमपलासी, वागेश्वरी राग शामिल होता है. शास्त्रीय संगीत श्रवण कला की देवी मां सरस्वती की आराधना से कम नहीं होती. चर्चा हो रही है प्रो बालानंद सिन्हा की, जिनसे भलीभांति परिचित है शहर. मनोविज्ञान के प्रोफेसर के रूप में, बनैली स्टेट के वंशज के रूप में. लेकिन संगीत प्रेमियों के लिए वह शास्त्रीय संगीत के पुरोधा हैं.संकटमोचन संगीत समारोह के मंच पर पहुंचना ही बहुत बड़ी बात होती है. प्रो सिन्हा इस मंच पर स्वतंत्र एकल गायन कर चुके हैं. प्रोफेशनल तौर पर भले वह शैक्षणिक कार्य से जुड़े हों, मगर संगीत उन्हें विरासत में मिली. और न केवल संगीत, बल्कि अध्यात्म व योग भी. उनकी कला में तीनों का समायोजन दिखता है. संगीत भास्कर राजकुमार श्यामानंद सिन्हा ‘बनैली’ के पुत्र व पद्म विभूषण पंडित जसराज का शिष्य होने को वह अपने जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य मानते हैं और उन्हें विश्वास है कि हर जन्म में उन्हें ऐसे गुरु का सान्निध्य मिले. पंडित जसराज के साथ वह कई राष्ट्रीय संगीत आयोजनों में संगत कर चुके हैं. बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश के अपने किसी भी कार्यक्रम में गुरु जसराज का बुलावा आता है और वह पहुंच जाते हैं.

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