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सेंट्रल जेल के कैदियों के बीच बंटा ‘पिक’

तसवीर : 1 व 2 सिटीकैप्सन : कैदियों कोपहचान-पत्र देते जेल अधीक्षक नीरज झा व पिक का प्रारूप- कैदियों को पहली बार मिला पहचान-पत्र- जेल से छूटने के बाद सर्टिफिकेट के लिए नहीं पड़ेगा भटकनासंवाददाता, भागलपुर शहीद जुब्बा साहनी केंद्रीय कारा के कैदियों के बीच शनिवार को जेल अधीक्षक नीरज झा ने परिचय-पत्र का वितरण […]

तसवीर : 1 व 2 सिटीकैप्सन : कैदियों कोपहचान-पत्र देते जेल अधीक्षक नीरज झा व पिक का प्रारूप- कैदियों को पहली बार मिला पहचान-पत्र- जेल से छूटने के बाद सर्टिफिकेट के लिए नहीं पड़ेगा भटकनासंवाददाता, भागलपुर शहीद जुब्बा साहनी केंद्रीय कारा के कैदियों के बीच शनिवार को जेल अधीक्षक नीरज झा ने परिचय-पत्र का वितरण किया. इसे ‘पिक’ (प्रिजनर्स आइडेंटीटी कार्ड) का नाम दिया गया है. हर कैदी को यह परिचय पत्र मिलेगा. पिक में कैदी का नाम, पिता का नाम, पूरा पता, जेल में प्रवेश की तिथि, किस मुकदमे में बंद है, उसका विवरण, कैदी का प्रकार, पहचान चिह्न, ब्लड ग्रुप आदि का विवरण है. सेंट्रल जेल में पहली बार इस योजना को लागू किया गया है. नीरज झा ने बताया कि जोन के अन्य जेलों में भी पिक सिस्टम लागू किया जायेगा. यह होगा फायदापिक का सबसे अधिक फायदा कैदियों को जेल से छूटने के बाद होगी. जेल से छूटने के बाद कैदियों को सर्टिफिकेट लेने के लिए चक्कर लगाना पड़ता है. वे कितने दिन जेल में रहे, इसका प्रमाण संबंधित जेल से लेना पड़ता है. पिक के रहने के बाद जेल काटने का सर्टिफिकेट आसानी से कैदियों के पास उपलब्ध रहेगा. सुबह-शाम होने वाली नंबर बंदी में भी जेल प्रशासन को पिक से सुविधा होगी. कई बार नंबर बंदी के समय कैदियों का नाम, पता पूछना पड़ता है, लेकिन पिक के रहने के बाद नाम, पता पूछने की कोई जरूरत नहीं होगी. फिलहाल सेंट्रल जेल में साढ़े नौ सौ के करीब कैदी हैं.

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