भागलपुर: किड्स प्ले स्कूल जिस तेजी से शहर में खुल रहे हैं उसी तेजी से इनका कारोबार भी बढ़ रहा है. प्ले स्कूल में पढ़ाना अब स्टेट्स सिंबल बनता जा रहा है.
बच्चों को खेलाने व उन्हें एबीसीडी सिखाने के लिए माता-पिता हर महीने अच्छी खासी रकम इन स्कूलों को दे रहे हैं. इन स्कलों का कोई मापदंड नहीं है. इन पर नजर रखने की कोई सरकारी व्यवस्था नहीं है. स्कूल के संचालक अपने मन से स्कूल चलाते हैं.
पिछले पांच साल में जिले के शहरी क्षेत्र में बड़ी तेजी से प्ले खुले हैं और लगातार खुल रहे हैं. मोहल्ले के गली-कूचे में आये दिन प्ले स्कूल खुल रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार जिले में सौ से अधिक प्ले स्कूल संचालित हो रहे हैं. औसतन एक स्कूल में 30 से 40 बच्चे पढ़ते हैं. इन स्कलों में बच्चों को खेलने का पूरा अवसर मिलता है. शहरों में जिस तरह मकान बनने लगे हैं, बच्चों को खेलने के लिए जगह नहीं मिल पाती है. प्ले स्कलों में पांच से सात सौ के बीच हर महीने फीस ली जाती है. एक स्कूल में औसतन बच्चों की संख्या 25 और माहवारी 500 रुपये है, तो यह महीने का 12.50 लाख तथा साल का डेढ़ करोड़ रुपया हो जाता है. सुविधा व सुरक्षा के नाम पर इन स्कूलों में कुछ खास नहीं. अधिकतर प्ले स्कूल लोग अपने घरों में ही चला रहे हैं.
बच्चों को यहां नाम-पता व एबी सी डी, क ख ग तथा गिनती सिखायी जाती है. बीच-बीच में कार्यक्रम के नाम पर अभिभावक अच्छी खासी रकम चुकाते हैं. प्ले स्कूल संचालक अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं, लेकिन न तो नगर निगम को व्यवसायिक होल्डिंग कर मिल रहा है और न ही बिजली कंपनी को व्यवसायिक दर पर बिजली बिल.