भागलपुर: शहर में चौक-चौराहे व बीच सड़क पर लोगों की जान सुरक्षित नहीं है. आवारा पशुओं के कारण कभी भी आपकी जान पर आफत आ सकती है. आवारा पशुओं की लगाम छूट चुकी है.
ये कभी भी किसी की जान ले सकते हैं या बुरी तरह से घायल कर सकते हैं. आवारा पशुओं की वजह से हो रही दुर्घटनाओं में नगर निगम भी अपना एक कर्मी खो चुका है. रविवार को हुई ट्रेन दुर्घटना में लोगों की जानें तो बच गयी, लेकिन रेलवे को हुई लाखों रुपये की क्षति में जनता का ही नुकसान है. शहर की गलियों व सड़कों पर चरते इन पशुओं में आम लोगों की पालतू गायें भी हैं, जिनके दूध का व्यापार तो वह करते हैं, लेकिन पूरा शहर ही उनके लिए खटाल(गुहाल) है. इन आवारा पशुओं के कारण वर्षो से लगातार हो रही दुर्घटनाओं के बावजूद न तो नगर निगम की आंखें खुल रही है और न ही हम अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
केस स्टडी-1
प्रोफेसर की गयी थी जान
मारवाड़ी कॉलेज के साइंस के प्रोफेसर कपिलदेव सिंह की मौत का कारण एक आवारा पशु ही बना था.
वर्ष 2004 में कॉलेज के पास ही एक सांढ़ ने उन पर हमला बोल दिया था. अचानक आवारा पशु के हमले के बाद वह खुद को बचाने व भाग पाने में असमर्थ रहे और इस दुर्घटना में उनकी जान चली गयी. इस दुर्घटना से पूरा विश्वविद्यालय परिवार दुखी था.
केस स्टडी-2
निगम भी खो चुका है अपना कर्मी
नगर निगम के एक कर्मी की जान भी आवारा पशु ने ही ले ली थी. निगम में तहसीलदार के रूप में नौकरी कर रहे आनंदी सिंह को वर्ष 2007 में एक आवारा पशु ने बेतरतीब तरीके से दौड़ाते हुए बुरी तरह घायल किया और उठा-पटक के बीच आवारा पशु के साथ अपने जीवन के लिए जारी संघर्ष में हार गये और उनकी अप्राकृतिक मौत हो गयी.
केस स्टडी-3
गली में दुबक कर बचायी जान
आकाशवाणी चौक से नगर निगम की ओर जाने वाली सड़क पर बीए के छात्र अनुज कुमार अप्रैल 2014 में आवारा पशु के हमले से बचे थे. सड़क पर आराम से जा रहे अनुज पर अचानक एक आवारा पशु ने दौड़ते हुए हमला बोल दिया था. घायल अनुज बड़ी मुश्किल से वह एक गली में दुबक कर अपनी जान बचा पाये थे.
केस स्टडी-4
जान जाते-जाते बची थी
नैक द्वारा ग्रेड ‘ए’ मूल्यांकन प्राप्त टीएनबी कॉलेज कैंपस में हाल ही में एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी की जान जाते-जाते बची थी. छह सितंबर 2014 को प्राचार्य आवास में कार्यरत भुवनेश्वर मंडल को एक गाय ने अपनी सींग पर उठा कर पटक दिया था और जमीन पर पड़े कर्मचारी के ऊपर चढ़ा खड़ा था. घायल कर्मी बड़ी मुश्किल से वह अपनी जान बचा पाये.