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यहां बेटी की शादी करने से कतराते हैं लोग

भागलपुर: सत्तू घाटो खाय छी आरू जीवन बिताय छी. हमरा सनी क कोई देखै वाला नय छै. यह कहना है नाथनगर प्रखंड की बेलखोरिया पंचायत स्थित गोलाहू गांव के लोगों का. आज भी यह गांव विकास की रोशनी से कोसों दूर है. गांव में चिकित्सा, शिक्षा, सड़क और पेयजल का घोर अभाव है. लगभग छह […]

भागलपुर: सत्तू घाटो खाय छी आरू जीवन बिताय छी. हमरा सनी क कोई देखै वाला नय छै. यह कहना है नाथनगर प्रखंड की बेलखोरिया पंचायत स्थित गोलाहू गांव के लोगों का. आज भी यह गांव विकास की रोशनी से कोसों दूर है. गांव में चिकित्सा, शिक्षा, सड़क और पेयजल का घोर अभाव है. लगभग छह सौ घर वाले इस गांव की आबादी डेढ़ हजार से अधिक है. यहां मात्र तीन लड़कियां ही मैट्रिक पास है. गांव के ज्यादातर युवक खेती-मजदूरी कर जीवन-यापन करते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि हालत यह है कि इस गांव में लोग बेटी का ब्याह करने से कतराते हैं. चिकित्सा सुविधा के अभाव में बीमार लोग या तो मौत के मुंह में समा जाते हैं या उन्हें इलाज के लिए नाथनगर, भागलपुर ले जाना पड़ता है. बिजली चार पांच दिन में कभी कुछ देर के लिए आती है. सिंचाई के अभाव में किसान साल में सिर्फ एक ही फसल धान की खेती कर पाते हैं.

वोट के समय आते हैं नेता
गोलाहू गांव के युवक मनोज कुमार यादव, बबलू कुमार यादव, सुनील कुमार, मंटू यादव कहते हैं कि गांव में चलने के लिए सड़क नहीं है. बरसात में गांव में कीचड़ ही कीचड़ भरा रहता है. लोगों को एक घर से दूसरे घर जाने के लिए सोचना पड़ता है. गांव में एक मध्य विद्यालय गोलाहू है. इसमें 300 बच्चे नामांकित हैं. विद्यालय में तीन शिक्षक हैं, जिनमें सिर्फ एक नियमित आते है और बांकी दो कभी कभी ही नजर आते हैं. विद्यालय के आगे-पीछे गड्ढा है, जिसमें पानी और कुंभी भरा हुआ है. पिछले साल एक बच्च इसमें डूब कर मर गया.

स्कूल में पढ़ाई-लिखाई नहीं होती है, इसलिए अभिभावक बच्चे को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं. अधिकतर बच्चे गाय, भैंस और बकरी चराते हैं. जो बच्चों ने गरीबी के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी है. यहां सिर्फ वोट के समय ही नेता आते हैं. मुखिया का भी चुनाव जीतने के बाद दर्शन नहीं होता है. पढ़ाई नहीं करने वाले युवक चंदन यादव कहते है कि गांव में पढ़ाई लिखाई का कोई महत्व नहीं है. इसलिए पढ़ै नय , लड़ै छिये. शरीर मजबूत रहतै त रस्सी बांटी के खाय लेबै.

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