28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बाजार में दुर्गापूजा के पहले ही तांत की साड़ी की बहार

भागलपुर: दुर्गा पूजा को लेकर खास कर कपड़ा बाजार की तैयारी जोरों पर है. बाजार में विभिन्न डिजाइन व फैशन की होड़ है. पर तांत की सी की बात ही कुछ और है. इसके साथ लोगों की आस्था, पवित्रता व परंपरा जुड़ा है. खास कर बंगाली समाज के लोग कहीं भी रहें, तांत की साड़ी […]

भागलपुर: दुर्गा पूजा को लेकर खास कर कपड़ा बाजार की तैयारी जोरों पर है. बाजार में विभिन्न डिजाइन व फैशन की होड़ है. पर तांत की सी की बात ही कुछ और है.

इसके साथ लोगों की आस्था, पवित्रता व परंपरा जुड़ा है. खास कर बंगाली समाज के लोग कहीं भी रहें, तांत की साड़ी व शंखा-पोला को नहीं भूलते. मां का आवाहन वे तांत की साड़ी पहन कर ही करना चाहते हैं. फैशन के दौर में भी तांत की साड़ी की डिमांड बनी हुई है. इसके डिजाइन में थोड़ा-बहुत अंतर भी हुआ है, लेकिन तांत तो तांत है. एकदम कड़कदार. इधर, कपड़े की दुकानों, मॉल व शोरूम में दुर्गा पूजा को लेकर रौनक दिखने लगी है. पितृपक्ष को लेकर बाजार में कुछ कम खरीदारी हो रही है. तांत साड़ी की बिक्री 40 फीसदी बढ़ गयी है.

पहले तांत साड़ी खास दुकानों में ही मिलती थी, लेकिन धीरे-धीरे अधिकतर दुकानों व मॉल शोरूम में भी दुर्गा पूजा को लेकर विशेष रूप से तांत साड़ी की व्यवस्था की गयी है. शहर में जगह-जगह बैनर लगा कर, परचा बांट कर प्रचार किये जा रहे हैं.

यहां से आती है तांत की साड़ियां : इस्ट बंगाल स्टोर के संचालक जयंत देवनाथ ने बताया दुर्गा पूजा को लेकर तांत साड़ी की बिक्री 40 फीसदी बढ़ गयी है. वे यहां पर केवल तांत साड़ी का कारोबार 1962 से कर रहे हैं. यहां पर पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के फुलिया, कांतिपुर, कोलकाता आदि क्षेत्रों से तांत की साड़ी आती हैं. तांत साड़ी 350 से 4000 रुपये तक में उपलब्ध है. 350 से 1500 रुपये तक में सामान्य तांत की सूती साड़ी व तांत सिल्क 2500 रुपये तक में उपलब्ध हो जाती है. तांत सिल्क साड़ी, फुलिया तांत साड़ी, कांतिपुरी, धोनेखाली, श्यामदानी, ढाकाई, कॉटन तांत साड़ी की केटेगरी है. इसके अलावा बनारसी तांत साड़ी खास होता है, जिसमें आंचल में अधिक वर्क होता है.

दो करोड़ से अधिक का कारोबार

टेक्सटाइल चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष श्रवण बाजोरिया ने बताया तांत की साड़ी का प्रचलन पहले से बढ़ा है. पहले बंगला समाज के लोग अधिक उपयोग करते थे, लेकिन अब सभी समुदाय की महिलाएं तांत साड़ी पसंद कर रही है. खासकर दुर्गा पूजा के दौरान इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है. दुर्गा पूजा को लेकर केवल तांत साड़ी का कारोबार दो करोड़ से अधिक का होगा.

तांत साड़ी की पहचान

कपड़ा कारोबारी अरुण चोखानी बताते हैं तांत साड़ी में असली व नकली की पहचान कोई भी कर सकता है. तांत साड़ी प्योर सूती का या सिल्क का होता है. इसमें प्रिंट की जगह जरी वर्क या अन्य डिजाइन धागे से ही किया होता है. इस साड़ी का धागा हार्ड होता है. इसमें स्टार्च का उपयोग होता है. मिक्स किये हुए तांत साड़ी को जलाने पर प्लास्टिक की तरह पिघल जाता है, जबकि तांत साड़ी को जलाने पर सूती कपड़े की तरह जल जाता है. अधिकांश तांत साड़ी पश्चिम बंगाल के कोलकाता व अन्य स्थानों से आते हैं.

बंगाल की तांत साड़ी का महत्व

दूसरे कारोबारी उत्तम देवनाथ बताते हैं तांत साड़ी अन्य साड़ियों से अधिक टिकाऊ व खूबसूरत होती है. अन्य साड़ी की बजाय कम दाम में भी अधिक टिकाऊ व गुणवत्ता वाली साड़ी मिल जाती है. इसकी खास विशेषता यह है कि इसे हाथ से तैयार किया जाता है. पश्चिम बंगाल की महिलाएं अधिक जागरूक और स्वरोजगार से जुड़ी है. इसलिए वहां पर ही गांव-गांव में भागलपुरी सिल्क की तरह तांत साड़ियों का उद्यम फैला हुआ है. उन्होंने बताया दुर्गा पूजा के दौरा अधिकतर महिलाएं तांत साड़ी पहन कर ही मां दुर्गा की पूजा करती हैं. बंगला समाज में तांत साड़ी मां दुर्गा को चढ़ाने का भी प्रचलन है. खासकर दशमी पूजा के दिन लाल पाड़ वाली तांत की साड़ी महिलाएं पहनती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें