भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से इसरो ने रिसर्च प्रोजेक्ट वापस ले लिया है. प्रोजेक्ट के लिए जारी राशि भी वापस मांगी गयी है. इसरो ने डेडलाइन जारी कर विवि को 2019 तक हर हाल में प्रोजेक्ट पूरा करने का निर्देश जारी किया था. विवि के रीजनल स्टडी सेंटर के माध्यम से इसरो का रिसर्च वर्क पूरा करना था.
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तिलकामांझी विवि से इसरो ने वापस लिया रिसर्च प्रोजेक्ट
भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से इसरो ने रिसर्च प्रोजेक्ट वापस ले लिया है. प्रोजेक्ट के लिए जारी राशि भी वापस मांगी गयी है. इसरो ने डेडलाइन जारी कर विवि को 2019 तक हर हाल में प्रोजेक्ट पूरा करने का निर्देश जारी किया था. विवि के रीजनल स्टडी सेंटर के माध्यम से इसरो का रिसर्च […]
चार साल बाद भी विवि प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर सका. हालांकि बिहार से जुड़े रिसर्च का एक पार्ट दो साल पहले ही पूरा कर लिया गया था. रीजनल स्टडी सेंटर के निदेशक प्रो राघवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि इसरो ने अपना प्रोजेक्ट वापस ले लिया है. प्रोजेक्ट के लिए समय से विवि से राशि जारी कर दी जाती, तो शायद 2019 में ही काम पूरा कर लिया जाता.
क्या है रिसर्च : रिसर्च से जुड़े शिक्षकों ने बताया कि पर्यावरण में सीओटू का कितना उत्सर्जन हो रहा है इसरो को इसका तुलनात्मक अध्ययन करना था. वातावरण में पेड़ कितना सीओटू छोड़ रहे हैं. इसे लेकर इसरो ने अलग-अलग पेड़ों को चिह्नित कर रीजनल स्टडी सेंटर को रिसर्च करने के लिए भेज दिया था. सेंटर से जुड़े शिक्षक को उस पेड़ की ग्राउंड रिपोर्ट देनी थी, जो अबतक पूरी नहीं हो पायी. रीजनल स्टडी सेंटर के निदेशक रहे प्रो एसएन पांडे के कार्यकाल में इसरो ने रिसर्च के लिए प्रोजेक्ट भेजा था.
प्रोजेक्ट के लिए इसरो ने विवि को दिये थे नौ लाख
इसरो ने प्रोजेक्ट के लिए विवि को नौ लाख रुपये जारी किया था. बिहार से जुड़े रिसर्च में साढ़े चार लाख रुपये खर्च किये थे. रिसर्च का एक पार्ट दो साल पहले पूरा किया गया था. दूसरे पार्ट का काम झारखंड क्षेत्र में करना था, इसमें साढ़े चार लाख रुपये खर्च होना था. बताया जा रहा है कि विवि के संबंधित कर्मी ने इसरो के प्रोजेक्ट की राशि को विवि के दूसरे मद में जोड़ दिया. राशि की फाइल खाेजने पर कुछ पता नहीं चल पाया. इस दौरान इसरो का डेडलाइन समाप्त हो गया. आखिरकार इसरो ने अपना प्रोजेक्ट वापस ले लिया.
पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो पांडे के कार्यकाल में मिला था प्रोजेक्ट
पीजी भूगोल विवि के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो एसएन पांडे के कार्यकाल में इसरो ने विवि को प्रोजेक्ट दिया था. प्रो पांडे ने अपने सेवा कार्यकाल में बिहार से जुड़े रिसर्च वर्क का एक पार्ट का काम पूरा कर लिया था. उनके सेवानिवृत्त होने के बाद से प्रोजेक्ट का काम मंद पड़ गया था.
मिला था अतिरिक्त चार माह का समय
रीजनल स्टडी सेंटर के निदेशक प्रो राघवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि रिसर्च वर्क को पूरा करने के लिए इसरो के अधिकारी से मोबाइल पर बात की थी. मौखिक तौर पर कहा गया कि निर्धारित डेडलाइन के बाद चार माह का और समय दिया था. पूरे मामले से पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो लीला चंद्र साहा को अवगत कराया था. उन्होंने फाइल की खोजबीन करायी थी.
कुलपति बदल जाने के बाद काम आगे नहीं बढ़ पाया. इसी में समय बीत गया. इसरो का जमा राशि का पता नहीं चल पाया. ऐसे में इसरो ने डेडलाइन पर काम पूरा नहीं होने पर प्रोजेक्ट वापस ले लिया और राशि लौटाने को कहा है.
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