भागलपुर: स्टेशन चौक स्थित जिस विवादित जमीन के लिए दिवेश सिंह की हत्या हुई, उस जमीन का टाइटिल शूट 10 वर्ष तक चला. इन दस वर्ष के दौरान कोर्ट में 86 सुनवाई हुई. इसमें 64 तिथियों में वादी विनोद कुमार केडिया स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थित होते रहे. जबकि प्रतिवादी पक्ष मात्र 32 तिथियों में उपस्थित हुए. आइजी ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 19.12.2006 के बाद वादी सुनवाई में एक बार भी उपस्थित नहीं हुए. जबकि इससे पूर्व 21.08.2006 तक कुल 63 सुनवाई हुई, जिसमें वादी 56 सुनवाई में उपस्थित रहे. 27.07.06 को दिवेश सिंह की हत्या के बाद इस मामले में अगली सुनवाई 21.08.06 को थी. इसमें वादी न्यायालय में उपस्थित तो हुए, लेकिन इसके बाद किसी भी तिथि में उपस्थित नहीं हुए. आइजी के मुताबिक, यह एक महत्वपूर्ण परिस्थितिजन्य साक्ष्य है. क्योंकि दिवेश सिंह अपने निजी व्यवसाय के चलते वादी विनोद केडिया की मदद कर रहे थे और उनकी बीच में हत्या हो जाती है. जबकि हत्या से पूर्व वादी की ओर से केस में लगातार पैरवी की जा रही थी. लेकिन दिवेश की हत्या के बाद विनोद कुमार केडिया ने केस में पैरवी नहीं की. उन्हें भी अपनी हत्या का भय सताने लगा था. इस कारण वे वाद के अंतिम समापन तक एक भी तिथि में उपस्थित नहीं हुए और उन्होंने वाद में अंतिम आदेश उनके विरोधी पक्ष में हो जाने दिया.
20 लोगों का मोबाइल सर्विलांस पर मेयर से जुड़े करीब 20 लोगों के मोबाइल को पुलिस ने सर्विलांस पर रखा है. ताकि यह पता चल सके कि मेयर किनसे बात कर रहे हैं. इसमें पुलिस ने वैसे लोगों के मोबाइल को चिह्न्ति किया है, जो मेयर के परिचित हैं और किसी न किसी रूप से उनसे जुड़े हुए हैं. कुछ मेयर के रिश्तेदार हैं तो कुछ जान-पहचान वाले. उसी तरह वार्ड पार्षद संजय सिन्हा के परिजनों के मोबाइल को भी पुलिस खंगाल रही है. ताकि यह पता चल सके कि सिन्हा कहां से फोन कर रहा है.