भागलपुर : राज्य सरकार के आदेश पर सदर अस्पताल में ब्लड बैंक स्थापित होगा. अधीक्षक डॉ बीके सिंह ने सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार को पत्र लिख यहां चल रहे देसी चिकित्सालय के भवन को खाली कराने की मांग किया है. संभावना है इस वर्ष के अंत तक ब्लड बैंक कार्य करने लगेगा. वर्तमान में […]
भागलपुर : राज्य सरकार के आदेश पर सदर अस्पताल में ब्लड बैंक स्थापित होगा. अधीक्षक डॉ बीके सिंह ने सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार को पत्र लिख यहां चल रहे देसी चिकित्सालय के भवन को खाली कराने की मांग किया है. संभावना है इस वर्ष के अंत तक ब्लड बैंक कार्य करने लगेगा. वर्तमान में मायागंज अस्पताल से छह से दस यूनिट खून लाकर फ्रीजर में रखा जाता है.
मरीज को ज्यादा जरूरत होने पर इसका प्रयोग होता है. अधीक्षक डॉ बीके सिंह ने बताया सरकार की ओर से लगातार पत्र आ रहा है. इस कार्य के लिए टीम का गठन कर लिया गया है. टीम ने देसी चिकित्सालय के भवन को इस कार्य के लिए अनुकूल पाया है. भवन को खाली कराने के लिए सिविल सर्जन को पत्र लिखा गया है. सीएस ने कहा है अधीक्षक अपने स्तर से इस भवन को खाली करा ले. देसी चिकित्सालय के अधिकारी को पत्र लिख जल्द से जल्द भवन को खाली करने का निर्देश दे. शनिवार को देसी चिकित्सालय के अधिकारियों को पत्र लिखा जायेगा.
पटना से आयेंगे जांच अधिकारी, प्रमाण पत्र मिलते ही आरंभ होगा बैंक : अस्पताल अधीक्षक ने बताया सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों के लिए ब्लड बैंक की सुविधा जरूरी है. आधारभूत संरचना का निर्माण कर यहां मशीनों को लगाया जायेगा. इसके बाद पटना से बैंक की जांच करने अधिकारी आयेंगे. संतुष्ट होने के बाद हमें लाइंसेस प्राप्त होगा.
ब्लड बैंक संचालन के लिए चिकित्सक ले चुके हैं प्रशिक्षण
सदर अस्पताल के पैथोलॉजी प्रभारी डॉ एके मंडल को राज्य सरकार ने दिल्ली भेज कर मार्च में ही प्रशिक्षण दिलाया था. डॉ मंडल यहां बनने वाले ब्लड बैंक की देखरेख करेंगे. अधीक्षक डॉ बीके सिंह ने बताया बैंक बनाने से पहले भवन को हाथ में लेना होगा. इसके बाद ही निर्माण की प्रक्रिया आरंभ की जायेगी.
बनाना था दस मरीजों का वार्ड, अब भवन से ही निकलने का खतरा : दिसंबर 2016 में प्रधान सचिव ने सदर अस्पताल को निरीक्षण करने के बाद देसी चिकित्सालय भवन में दस बेड का वार्ड बनाने का निर्देश दिया था. सिविल सर्जन को हरी झंडी मिलने के बाद यहां निर्माण के लिए डीपीआर भी तैयार हो गया था. पंचकर्म थेरेपी के साथ-साथ ओपीडी भी बनाया जाना था. सोच सीधी थी एलोपैथी की तरह यहां भी मरीज अपना इलाज कराने आएं. प्रधान सचिव के आदेश के बाद भी यहां की सुविधा नहीं बढ़ी अब खतरा भवन छिन जाने का है. अधीक्षक की माने तो देसी चिकित्सालय के लिए अलग से जगह दिया जायेगा. जिसमें सभी सुविधा होगी.