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बैंक चालान तो भर िलया, पर इ-मेल आइडी के िलए जोड़ रहे हाथ-पांव

भागलपुर : बिना किसी पूरी तैयारी के अचानक से स्नातक पार्ट वन में ऑनलाइन एडमिशन के निर्णय ने छात्रों को परेशान कर रख दिया है. इसके लिए कुछ कॉलेजों में बनाये गये हेल्प डेस्क हेल्पलेस की तरह दिख रहा है. छात्र पहले बैंक पहुंचकर चालान जमा कर रहे हैं. इसके बाद इ-मेल आइडी बनवाने के […]

भागलपुर : बिना किसी पूरी तैयारी के अचानक से स्नातक पार्ट वन में ऑनलाइन एडमिशन के निर्णय ने छात्रों को परेशान कर रख दिया है. इसके लिए कुछ कॉलेजों में बनाये गये हेल्प डेस्क हेल्पलेस की तरह दिख रहा है. छात्र पहले बैंक पहुंचकर चालान जमा कर रहे हैं.

इसके बाद इ-मेल आइडी बनवाने के लिए दोस्तों, रिश्तेदारों की चिरौरी करने पहुंच रहे हैं. फिर फोटो स्कैन और फिर जब फॉर्म भरने के लिए इंटरनेट का सहारा ले रहे, तो एक फॉर्म भरने में तकरीबन 30 से 40 मिनट लग रहा है. कुल मिलाकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का यह निर्णय छात्रों को शहर की चौहद्दी घुमा रहा है.
छात्र संघ छात्रों की मदद में जुटा
मारवाड़ी कॉलेज में छात्रों की समस्या देख छात्र संघ के सदस्य मदद में जुटे हुए हैं. अपने घर से लैपटॉप और डेस्कटॉप लाकर और दो-तीन डेस्कटॉप व स्कैनर कॉलेज से लेकर छात्रों को फॉर्म भरवाने में मदद कर रहे हैं.
इसमें छात्र संघ के छात्र अपने मोबाइल का ही डाटा खर्च कर रहे हैं. वह भी कुछ देर काम करने के बाद फेल हो जा रहा है.
कॉलेज से मांगी वाई-फाई, तो मिला डिवाइस ही हुआ फेल
राज्य सरकार ने कॉलेजों को वाई-फाई फ्री जोन बनाया है. लेकिन कॉलेजों में लगा वाई-फाई डिवाइस का फायदा छात्रों को नहीं मिल रहा है. मारवाड़ी कॉलेज जैसे नैक से ए ग्रेड प्राप्त संस्थान में भी वाई-फाई फेल है. शुक्रवार को जब छात्रों का डाटा समाप्त हो गया, तो छात्र संघ के कार्यकर्ताओं कॉलेज से वाई-फाई का पासवर्ड मांगा. लेकिन तकनीशियन ने बताया कि वाई-फाई से दूरी अधिक होने के कारण कनेक्ट नहीं हो पा रहा है.
यह है आवेदन की प्रक्रिया
बीएसइबी की वेबसाइट पर ऑनलाइन फेसिलिटेशन सिस्टम फॉर स्टूडेंट (ओएफएसएस) के माध्यम से विभिन्न कॉलेजों के 20 विकल्प चुन सकते हैं. यानी एक साथ 20 कॉलेजों के लिए आवेदन कर सकते हैं.
जिस तरह आप पहले, दूसरे और तीसरे आदि नंबर पर कॉलेजों का विकल्प चुनेंगे, उसी प्राथमिकता सूची के अनुसार आपकी चयन प्रक्रिया पूरी की जायेगी.
आवेदन पत्र भरने के दौरान आपकी इ-मेल आइडी और मोबाइल नंबर इसलिए भरने कहा जाता है कि चयन की सूचना आपको इ-मेल या मोबाइल पर एसएमएस से भेजी जा सके. चयन की सूचना ओएफएसएस वेबसाइट पर भी दी जायेगी.
आवेदन करने का शुल्क 300 रुपये निर्धारित है. इस आप डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन बैंकिंग या बैंक चालान से दे सकते हैं.
मोबाइल नंबर को ओटीपी के माध्यम से सत्यापित किया जाता है. लिहाजा छात्रों को यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि मोबाइल नंबर सही है और सेवा में है.
आवेदन करने के लिए आवेदक की पासपोर्ट साइज फोटो स्कैन कर अपलोड करना पड़ता है.
फॉर्म जब भरा जाये, तो पहले प्रिव्यू पेज देख कर सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि भरी गयी सारी सूचनाएं सही हैं. इसके बाद कंफर्म कर दें.
अगर आपने शुल्क भुगतान नहीं किया है, तो फॉर्म स्वीकृत नहीं होगा.
बीएसइबी का हेल्प डेस्क भी बेकाम
बीएसइबी ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के भागलपुर में तीन व बांका में एक हेल्प डेस्क बनाया है. लेकिन हेल्प डेस्क हेल्पलेस हो गया है. मारवाड़ी कॉलेज कैंपस में बीएसइबी के हेल्प डेस्क पर समिति के कर्मचारी से जब फॉर्म भरने की जानकारी मांगी गयी, तो उन्होंने चार लाइन में पूरी जानकारी दे दी. वहां मौजूद कोई भी छात्र समझ ही नहीं पाये कि आखिर कैसे क्या करना है.
यह हो रही दिक्कत
एक फार्म भरने के लिए तीन जगहों की दौड़ लगा रहे छात्र, सबकुछ तैयार हुआ तो एक फॉर्म भरने में कम से कम लग रहे 30 से 40 मिनट
ऑफलाइन ही ठीक था, बेवजह सिर दर्द मोल लिया
एक छात्र रोहन कुमार ने बताया कि ऑफलाइन आवेदन की प्रक्रिया ही ठीक थी. कम से कम दौड़ने की समस्या तो नहीं थी. कॉलेज के काउंटर पर पहुंचते थे, पैसे और आवेदन जमा करते थे. एक रसीद मिलती थी और आवेदन प्रक्रिया पूरी हो जाती थी. छात्र ने बताया कि ऑनलाइन आवेदन सिर दर्द हो गया है.
डीइओ ने बात नहीं सुनी, तो िशक्षकों ने 50 कर्मियों को बना लिया बंधक
संगठनों ने आरोप लगाया कि डीइओ बिना वार्ता किये ऑफिस से निकल गये. इसके बाद आक्रोशित शिक्षकों ने डीइओ के जाने के बाद किसी कर्मचारी को बाहर नहीं निकलने दिया.

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