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भागलपुर : दोषियों को बचा आयुक्त ने बना दी आइवाश करनेवाली रिपोर्ट
भागलपुर : वर्ष 2012 में सोलर लाइट खरीद घोटाले मामले में ज्योतिष कुमार के नालसी वाद पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट ने दो अहम निर्देश दिये हैं. पहले निर्देश में प्रमंडलीय आयुक्त से अनुसंधान की रिपोर्ट मांगी है. वहीं दूसरे में, थाने से उक्त मामले में दर्ज प्राथमिकी को लेकर अब तक हुए अनुसंधान […]
भागलपुर : वर्ष 2012 में सोलर लाइट खरीद घोटाले मामले में ज्योतिष कुमार के नालसी वाद पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट ने दो अहम निर्देश दिये हैं. पहले निर्देश में प्रमंडलीय आयुक्त से अनुसंधान की रिपोर्ट मांगी है.
वहीं दूसरे में, थाने से उक्त मामले में दर्ज प्राथमिकी को लेकर अब तक हुए अनुसंधान की प्रगति रिपोर्ट मांगी है. उक्त नालसी वाद में ज्योतिष ने तत्कालीन डीएम नर्मदेश्वर लाल, पूर्व डीडीसी गजानंद मिश्र, गोराडीह बीडीओ किरण झा, गोराडीह थानेदार हरिमोहन कुंवर व मुखिया अक्षय कुमार मंडल के खिलाफ मुकदमा किया था. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि पूर्व सीजेएम ने 26 जून 2012 को तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त से मामले में जांच प्रतिवेदन मांगा था. आयुक्त कार्यालय ने 29 अगस्त 2012 को जांच रिपोर्ट अदालत को सौंप दी, लेकिन जब सीजेएम ने उस जांच प्रतिवेदन का अध्ययन किया, तो पाया कि शिकायत की जांच ही नहीं की गयी. आयुक्त ने आरोपित का बयान दर्ज किया है.
आयुक्त ने जांच के नाम पर डीएम का प्रतिवेदन लगाते हुए कहा कि डीडीसी गजानंद मिश्रा द्वारा भी शिकायत की जांच की गयी और मुखिया के खिलाफ बीडीओ ने गोराडीह थाने में प्राथमिकी करा दी है. कोर्ट में उक्त मामले में वादी ज्योतिष को भी सुनवाई वाले दिन उपस्थित होने का नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. यह नोटिस संबंधित थाने से करवाने के लिए कहा है. मामले पर 30 जून को अगली सुनवाई होगी.
यह है नालसी वाद : वर्ष 2012 में मोहनपुर पंचायत में सोलर लाइट की खरीद की जांच को लेकर मोहनपुर गोराडीह के पुन्नख के वार्ड- 9 के सदस्य ज्योतिष यादव ने तत्कालीन डीएम, डीडीसी व अन्य संबंधित अधिकारियों को आवेदन दिया था, लेकिन उसकी जांच नहीं करवायी गयी. उन्होंने मामले को लेकर हाइकोर्ट में रिट (संख्या सीडब्ल्यूजेसी 5564/12) दाखिल कर दिया. रिट में तत्कालीन डीएम व अन्य अधिकारियों को जवाब देने का नोटिस जारी हुआ. आरोप लगाया कि कोर्ट नोटिस मिलने पर तत्कालीन डीएम के इशारे पर मारपीट की गयी.
ज्योतिष ने आरोप लगाया कि पांच मई 2012 को बीडीओ ऑफिस में डीएम के आदेश पर थानेदार हरिमोहन कुंवर ने उसे लाया और उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी. अगर पास के लोग नहीं बचाते तो उसकी मौत हो जाती. वहां के लोगों ने उसे जेएलएमएनसीएच में भर्ती कराया, लेकिन वहां भी डीएम के आदेश पर इलाज नहीं किया गया. ज्योतिष की रिट पर जिला प्रशासन ने हाइकोर्ट को शपथपत्र के जरिये जवाब दिया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज हो गयी है और अनुसंधान जारी है.
सीजेएम कोर्ट की कमिश्नर के जवाब पर गंभीर टिप्पणी : तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त की जांच रिपोर्ट आइवाश है. इतनी बड़ी अनियमितता की जांच आयुक्त को खुद करनी चाहिए थी.
प्राथमिकी के बाद प्रथम दृष्टया दोषी पाये गये अफसरों पर विभागीय कार्यवाही चलाया जाना था. कोर्ट ने हाइकोर्ट के दिये आदेश की कॉपी भी संचिका में नहीं लगाने की बात का उल्लेख किया. कोर्ट ने न्यायिक व्यवस्था पर भी कड़ी टिप्पणी की. कहा, शिकायतकर्ता ने भी मुकदमे की पैरवी करना छोड़ दिया है. यह स्वाभाविक है. 2012 से नालसी लंबित है. कोई कब तक मुकदमे की पैरवी करेगा. छह साल में कोई भी अंतिम आदेश पारित नहीं हो सका था. ऐसे में शिकायतकर्ता का व्यवस्था से विश्वास उठना लाजिमी है
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