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नदियों के तट पर जुटे पर्यावरण प्रेमी, ली जल संपदा को बचाने की शपथ
पटना/भागलपुर : पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर बिहार के चार बड़े शहरों में बुद्धिजीवी, पर्यावरणविद, अध्येता और आम लोग नदियों के किनारे जुटे और बिहार की जल संपदाओं के संरक्षण के लिए विचार विमर्श किया. भागलपुर समेत राजधानी पटना, मुजफ्फरपुर और गया में गंगा, बूढ़ी गंडक और फल्गु नदियों के किनारे आयोजित इस अनूठे […]
पटना/भागलपुर : पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर बिहार के चार बड़े शहरों में बुद्धिजीवी, पर्यावरणविद, अध्येता और आम लोग नदियों के किनारे जुटे और बिहार की जल संपदाओं के संरक्षण के लिए विचार विमर्श किया. भागलपुर समेत राजधानी पटना, मुजफ्फरपुर और गया में गंगा, बूढ़ी गंडक और फल्गु नदियों के किनारे आयोजित इस अनूठे आयोजन में लोगों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि राज्य की नदियां, तालाब और दूसरे जल स्रोत खतरे की जद में हैं.
हमें इन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रदूषण और अतिक्रमण से बचाना है. पटना के गांधी घाट पर शहर के कई पर्यावरणविद, बुद्धिजीवी, अध्येता और आम लोग प्रभातखबर के जल संपदा बचाओ अभियान के तहत संवाद कार्यक्रम के लिएजुटे. वक्ताओं में इस बात पर सहमति दिखी कि नदियों को अविरल बहने देना चाहिए और उसके मार्ग में अवरोध उपस्थित नहीं होने देना चाहिए. वह चाहे डैम के रूप में हो, तटबंध के रूप में या अनधिकृत निर्माण के रूप में.
गंगा नदी में गिरने वाले कचरे की भी बात वहां के स्थानीय लोगों ने उठायी. साथ ही यह बात कही गयी कि हमें प्लास्टिक का उपयोग कम-से-कम करना चाहिए, क्योंकि आज की तारीख में नदियों और तालाबों में सबसे अधिक प्लास्टिक डंप हो रहा है. इस आयोजन में डॉल्फिन विशेषज्ञ आरके सिन्हा, एनआईटी के पूर्व प्रोफेसर संतोष कुमार, प्रो आरएन शर्मा, प्रो शिवजतन ठाकुर, मेहता नागेंद्र और भारती एस कुमार समेत शहर के कई बुद्धिजीवी मौजूद थे.
बूढ़ानाथ गंगा घाट पर संवाद, गंगा महाआरती और पौधारोपण
भागलपुर में प्रभात खबर की ओर से बूढ़ानाथ मंदिर गंगा घाट पर संवाद का आयोजन किया गया. इस मौके पर उपस्थित लोग पॉलिथीन बैन करने के लिए प्रशासन से सहयोग लेने पर एकमत हुए. इसके बाद घाट पर पौधरोपण किया गया. गंगा महाआरती के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.
फल्गु तट पर लोगों ने लिया पानी बचाने का संकल्प
गया में भी प्रभात खबर की पहल पर विष्णुपद के निकट फल्गु के तट पर संवाद का आयोजन किया गया. वक्ताओं ने कहा कि जल को बना पाना हमारे लिए संभव नहीं है. लेकिन हम इसे बचाने में अवश्य अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकते हैं. कमोबेश हर व्यक्ति इस बात पर सहमत था कि जल संपदाओं को बचाने की चुनौती गंभीर है.
बूढ़ी गंडक के किनारे उठी जल संरक्षण की परंपरा की बात
मुजफ्फरपुर में जल संपदा बचाओ अभियान के तहत संवाद का आयोजन बूढ़ी गंडक नदी के किनारे स्थित गांधी स्मृति पुस्तकालय परिसर में किया गया. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के रिटायर्ड कुलपति डॉ गोपालजी त्रिवेदी ने कहा कि जल संरक्षण की पारंपरिक पद्धति की उपेक्षा से आज जल संकट की नौबत आ खड़ी हुई है.
प्रभात खबर के जल संपदा बचाओ अभियान को बताया अनूठी पहल
प्लास्टिक और पॉलीथीन का
कम से कम उपयोग करने पर भी बनी सहमति
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