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बीएयू बनेगा नॉलेज पार्टनर िकसानों को होगा फायदा

भागलपुर : बिहार में फूड प्रोसेसिंग प्लांट की संभावना की तलाशी जा रही है. किसानों को जागरूक करना हम सबका मूल उद्देश्य है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर को इसके लिए नॉलेज पार्टनर बनाया जायेगा. प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत किसानों की आमदनी को दोगुनी करने का लक्ष्य है. इसके माध्यम से सात योजना को […]

भागलपुर : बिहार में फूड प्रोसेसिंग प्लांट की संभावना की तलाशी जा रही है. किसानों को जागरूक करना हम सबका मूल उद्देश्य है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर को इसके लिए नॉलेज पार्टनर बनाया जायेगा. प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत किसानों की आमदनी को दोगुनी करने का लक्ष्य है. इसके माध्यम से सात योजना को लागू किया जा रहा है.

यह बातें भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज के एडीशनल सेक्रेटरी डॉ डीएस गंगवार ने बुधवार को कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज की ओर से एक स्थानीय होटल में बिहार में फूड प्रोसेसिंग को लेकर आयोजित एक सेमिनार में कही. मंच का संचालन सीआइआइ के अरुण कुमार ने किया. डॉ गंगवार ने कहा कि भागलपुर के कई क्षेत्रों में लीची की

बीएयू बनेगा नॉलेज…
अच्छी पैदावार है. यहां पर हनी प्रोसेसिंग संभव है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय में हनी प्रोसेसिंग की यूनिट लगी है. यहां पर अधिक से अधिक हनी कलेक्ट कराया जाये. हम उसकी ब्रांडिंग कराकर अमेरिका निर्यात कराने में मदद करेंगे. उन्होंने किसानों को सुझाव देते हुए कहा कि किसान सीधे उद्यमी नहीं बन सकते. इसके लिये वे उद्यमिता में कौशल विकास कर सकते हैं. मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज की साइट पर शॉर्ट टर्म कोर्स की जानकारी मिल जायेगी.
यहां बर्बाद होते हैं टमाटर व आम, दूसरी ओर हम लुधियाना और जमशेदपुर का खाते हैं आचार:
डॉ गंगवार ने बताया कि सुबह कतरनी चूड़ा के साथ सॉस व आचार खा रहे थे. इसमें देखा कि लुधियाना के बने सॉस व जमशेदपुर में बने अचार हैं. भागलपुर व बांका क्षेत्र में उत्पादित फल, सब्जी व खाद्यान्न बर्बाद होते हैं. यहां पर जिस टमाटर के सॉस व आम के अचार का इस्तेमाल किया जाता है, वह लुधियाना व जमशेदपुर में तैयार होता है. यदि यहीं पर इन चीजों को तैयार किया जाने लगा, तो किसानों की आमदनी दोगुनी हाे जायेगी.
अंग्रेजी में छपता है विज्ञापन, नहीं समझ पाते किसान : बुलो
स्थानीय सांसद बुलो मंडल ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अंग्रेजी में विज्ञापन छपवाया जाता है. यह विज्ञापन कम पढ़े-लिखे किसान नहीं समझ पाते. उन योजनाओं का प्रचार-प्रसार ठीक ढंग से नहीं होता है. ऐसे में किसानों की बात करना बेमानी होगी. किसानों को प्राथमिकता के आधार पर बैंक से लोन मिले. प्रदेश के किसान अब भी धान, गेहूं व मक्का की खेती पर ही निर्भर हैं. दूसरे चीजों की खेती पर अधिक ध्यान नहीं दे पाते हैं. हमें आधारभूत संरचना को मजबूत करना होगा. भागलपुर में बाढ़ व सुखाड़ दोनों की समस्या है.
बिना प्रोसेसिंग के किसानों को नहीं मिलेगा मार्केट रेट : कुलपति
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजय कुमार सिंह ने कहा कि यह आयोजन सबौर विश्वविद्यालय में होता, तो 500 किसानों को विश्वविद्यालय की सुविधा देखने का मौका मिलता. बिना फूड प्रोसेसिंग के किसानों को मार्केट रेट मिलना मुश्किल है. प्रोसेसिंग प्लांट लगेगा, तभी यह संभव है. यहां के उत्पादों का सर्टिफिकेशन हो, नहीं तो प्रोडक्शन का मार्केट में वैल्यू नहीं होता.
इस दौरान भागलपुर के कमिश्नर राजेश कुमार ने कहा कि आनेवाले दिनों में उम्मीद है कि यहां फूड प्रोसेसिंग का काम बढ़ेगा. इससे यहां के किसानों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा. मौके पर बांका डीएम कुंदन कुमार ने कहा कि, सिर्फ संभावना से बात नहीं बनेगी, इसे मूर्त रूप देना होगा. किसान खुद इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें. बांका में तीन हजार हेक्टेयर पर टमाटर की खेती होती है. इसमें 40 फीसदी बर्बाद हो जाता है, ऐसे में इसे प्रोसेसिंग के जरिये रोका जा सकता है.
योजना का लाभ किसानों नहीं बल्कि पूंजीपतियों को मिलेगा:
सेमिनार में किसानों व उद्यमियों से सुझाव मांगा गया. इसमें उद्यमी अभिषेक आनंद ने बेबाक होकर कहा कि जो योजना है, यह आम किसानों के बस की बात नहीं है. बिहार के इक्का-दुक्का किसान ही इस योजना का लाभ ले सकते हैं. तीन करोड़ रुपये जुटाना संभव नहीं है. इस तरह की योजना का लाभ पूंजीपतियों व मल्टीनेशनल कंपनी को पहुंचाने के लिए है. उन्होंने पदाधिकारियों को इशारा करते हुए कहा कि आपलोग बोलने वाले हैं और हमलोग करने वाले. एसी में बैठकर योजना बनाने से नहीं होता, बल्कि धरातल पर आकर देखिये. भागलपुर में जमीन, श्रमिक, बाजार व साहस है, लेकिन पूंजी का अभाव है.
पूंजी के लिए बैंकों का चक्कर लगाते-लगाते परेशान हो जाते हैं. बचाव करते हुए कुलपति डॉ सिंह ने कहा कि एक दिन इस मामले पर बैठक की जायेगी. फिर कहलगांव के दूसरे उद्यमी संजय कुमार ने कहा कि टेमोटो कैचप की मांग भूटान, नेपाल आदि में हो रही है, लेकिन वित्त मामले पर फंस गये.
सेमिनार में बैठने की जगह नहीं, किसान हुए परेशान
सेमिनार में किसानों की संख्या इतनी अधिक थी कि वे खड़े होकर पीछे परेशान दिखे. इसमें कुछ किसानों ने इस पर विरोध भी जताया. आयोजकों ने इस पर खेद व्यक्त किया. सेमिनार में बांका के 60 किसान समेत 300 किसानों ने हिस्सा लिया.
इस मौके पर कमिश्नर राजेश कुमार, बांका डीएम कुंदन कुमार, डॉ आरके सोहाने, जिला कृषि पदाधिकारी अरविंद कुमार झा, कृषि वैज्ञानिक डॉ वसीम सिद्दिकी, डॉ प्रेम प्रकाश, केवीके के हेड डॉ विनोद कुमार व अन्य लोग मौजूद थे.
िबहार-झारखंड के पांच जिलों को िमलकर करना होगा काम : िनशिकांत
115 पिछड़े जिले हैं. गोड्डा भी पिछड़े जिले में शामिल है, इसलिए यह कार्यक्रम गोड्डा में होना चाहिए था. हालांकि भागलपुर मेरा घर है और यहां कार्यक्रम होना गर्व की बात है, इसलिए यहां आकर मैं अच्छा महसूस कर रहा हूं. पूरे देश में कृषि कार्यशाला मनाया जा रहा है, ताकि किसानों को जागरूक कर उनकी आय में बढ़ोतरी की जा सके. यह बातें एक स्थानीय होटल में बिहार में फूड प्रोसेसिंग को लेकर आयोजित एक सेमिनार में गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने कही.
श्री दुबे ने कहा कि उद्योग में जो जीडीपी ग्रोथ होता है, उसी तरह से कृषि में चावल में कितना फायदा हुआ, फल में कितना फायदा हुआ यही बात समझाने के लिए यहां पर प्रेजेंटेशन दिखाया जा रहा है. कतरनी व जर्दालू का जीआइ टैग करा दिया गया है, लेकिन कतरनी धान मात्र जगदीशपुर प्रखंड में ही होता है और जर्दालू सुलतानगंज में ही होता है. दोनों का उत्पादन घट रहा है. किसानों को जागरूक कर उत्पादन क्षमता बढ़ाना होगा. इससे पहले यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना होगा.
इसमें सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की है. यहां पर लक्ष्मीपुर डैम व चांदन डैम बना है. चांदन नदी के पानी को गोड्डा जाना था. गंगा बटेश्वर पंप नहर योजना कहलगांव में शुरू हुई. यहां से गोड्डा व महगामा भी सिंचाई के लिए पानी जायेगा. बिहार और झारखंड की सीमा अलग जरूर हुई, लेकिन सड़क, रेल व सिंचाई आदि सुविधा में एक ही है.
पूरा इलाका मिट्टी व पानी का है. इस क्षेत्र में विकास तभी संभव है, जब भागलपुर, बांका, गोड्डा, देवघर व दुमका मिल कर काम करेगा. इस दौरान उन्होंने भागलपुर में मेगा फूड पार्क नहीं खुलने के लिए स्थानीय राजनेताओं को जिम्मेवार बताया. उन्होंने कहा कि गोड्डा व झारखंड क्षेत्र में कई ऐसी परियोजना है, जो भागलपुर के कारण रुकी हुई है. बिहार सरकार ने फंड देने से मना कर दिया. उसका पैसा भी झारखंड सरकार दे रही है.

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