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…और भागलपुर छोड़ गयीं डॉ गीता मजूमदार

भागलपुर : भागलपुर और आसपास के जिले की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ गीता मजूमदार अंतत: भागलपुर छोड़ कर चली गयीं. डॉ मजूमदार भागलपुर में ही जन्मीं, पली और बड़ी हुईं. भागलपुर से उनको गहरा लगाव था. यहीं जीना और यहीं अंतिम सांस लेना चाहती थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. जब उन्हें बुढ़ापे में […]

भागलपुर : भागलपुर और आसपास के जिले की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ गीता मजूमदार अंतत: भागलपुर छोड़ कर चली गयीं. डॉ मजूमदार भागलपुर में ही जन्मीं, पली और बड़ी हुईं. भागलपुर से उनको गहरा लगाव था. यहीं जीना और यहीं अंतिम सांस लेना चाहती थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. जब उन्हें बुढ़ापे में मदद की जरूरत पड़ी, तो भागलपुर छोड़ना ही आखिरी उपाय रह गया. पिछले वर्ष 2017 के जुलाई में घर खाली करने की धमकी मिल रही थी

…और भागलपुर छोड़…
और कुछ लोग अपमानजनक शब्द कहा करते थे. इस घटना को लेकर प्रभात खबर ने लगातार प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था. इसके बाद उन्हें पुलिस की सुरक्षा भी मिली थी. हालांकि उनके बेटे ने कहा कि मां बहुत बीमार रहने लगी थीं. इस कारण उन्हें कोलकाता ले जाना पड़ा. भागलपुर के मुंदीचक स्थित घर को बिल्डर के हवाले कर दिया गया.
कोलकाता में रहते हैं डॉ मजूमदार के बेटे
डॉ मजूमदार के दो बेटे हैं. दोनों बेटे कोलकाता में रहते हैं. भागलपुर स्थित घर पर सिर्फ उनके साथ उनकी बहन गौरी ही रहती थीं. यहां वह अपने घर पर ही क्लिनिक चलाती थीं, लेकिन धमकी मिलने के बाद उन्होंने इलाज करना भी छोड़ दिया था. उस दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि उनके क्लिनिक में आनेवाले मरीज को कुछ लोग भड़काते हैं. डॉक्टर मरीज देखने आती हैं, तो उनके साथ गाली-गलौज किया जाता है.
पिछले वर्ष घर खाली करने की मिली थी धमकी अपमानजनक शब्द कहते थे कुछ लोग
Âबेटे ने कहा-मां बहुत बीमार रहने लगी ले आया कोलकाता घर बेच दिया
10/07/2016
तिलकामांझी पुलिस हरकत में आयी. एहतियातन डॉ मजूमदार के आवास के पास पुलिस की गश्त बढ़ा दी गयी. इसके बाद पुलिस सुरक्षा भी दी गयी.
10/07/2016
डॉ मजूमदार से आइएमए का प्रतिनिधिमंडल मिला. उन्हें हर तरह से मदद का भरोसा दिलाया गया था.
13/07/2016
बिहार बंगाली समिति की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल डॉ मजूमदार और आइजी सुशील मान सिंह खोपड़े से मिला. डॉ मजूमदार को समुचित सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की थी.
बंगाली एसोसिएशन को दी थी जानकारी
दोनों बुजुर्ग बहनों के लिए जब घर पर रहना मुश्किल होने लगा, तो उन्होंने इस बात की जानकारी बिहार बंगाली एसोसिएशन को दी थी. उनके बेटे ने मामले को लेकर पुलिस पदाधिकारियों को शिकायत की थी.
पलायन कराये जाते रहे हैं बंगाली समाज के लोग : भागलपुर को सांस्कृतिक रूप से पहचान दिलाने में बंगाली समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. वाटर वर्क्स, मोक्षदा विद्यालय, बंगीय साहित्य परिषद, दुर्गाचरण स्कूल आदि की बंगाली समाज के लोगों द्वारा स्थापना इसके उदाहरण हैं, पर यहां से दुखी होकर कई बंगाली परिवार ने पलायन भी किया है.
मां बहुत बीमार रहने लगी थीं. किसी का सहयोग भी नहीं मिल पा रहा था. इसी कारण घर को एक बिल्डर को बेच कर मां को कोलकाता ले आया.
दीपांकर मजूमदार, डॉ गीता मजूमदार के पुत्र
डॉ गीता मजूमदार चली गयीं. उन्होंने अपना मकान बेच दिया है. वह अपने लड़के के पास पश्चिम बंगाल गयी हैं.
तापस घोष, संयुक्त सचिव, केंद्रीय समिति, बिहार बंगाली समिति

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