भागलपुर : प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर इन चीफ विभाष कुमार सिंह के जाने से 24 घंटे भी नहीं बीते कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहले जैसी स्थिति में आ गया. चिकित्सक से लेकर सफाईकर्मी तक की सक्रियता गायब हो गयी. अब तो अस्पताल जाने पर चिकित्सक व मरीज के परिजनों में अंतर कर […]
भागलपुर : प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर इन चीफ विभाष कुमार सिंह के जाने से 24 घंटे भी नहीं बीते कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहले जैसी स्थिति में आ गया. चिकित्सक से लेकर सफाईकर्मी तक की सक्रियता गायब हो गयी. अब तो अस्पताल जाने पर चिकित्सक व मरीज के परिजनों में अंतर कर पाना मुश्किल हो गया. केवल मरीज को देखने के लिए जाते समय उनके पास आला दिख रहा था. उनके शरीर से एप्रोन और आइ-कार्ड उतर चुका था.
विभिन्न वार्डों में बेड पर चादर बदले नहीं गये थे. तकिया की बात तो दूर है.
डॉक्टरों को बुलाने के लिये नर्स की चिरौरी : डायरेक्टर इन चीफ के आगमन पर जिस तरह सारी व्यवस्था सुधरी हुई थी, चिकित्सक भी खुद मरीजों को बेसमय भी हालचाल पूछने पहुंच रहे थे. इसके विपरीत मरीजों के परिजनों को नर्स की चिरौरी करते देखा गया. मरीजों के अनुसार चिकित्सक के राउंड भी घट गये. मरीजों व उनके परिजनों को कुछ तकलीफ होने पर बुलाना पड़ रहा था.
डायरेक्टर इन चीफ के जाते ही अस्पताल की व्यवस्था बिगड़ी, सफाई व्यवस्था से लेकर सबकुछ हुआ अस्त-व्यस्त
गार्ड को चिकित्सक दे रहे थे अपना परिचय
इमरजेंसी मुख्य द्वार पर ढिलाई शुरू हो गयी थी. खुद गार्ड इस बात से सहमत थे कि चिकित्सक को पहचानना मुश्किल हो रहा है. गुरुवार को हरेक चिकित्सक एप्रोन में थे और गले में आला लिपटा था, तो गार्ड उन्हें पहचान पा रहे थे. अब चिकित्सकों को बताना पड़ रहा था कि वे कौन हैं.
बेटी को टीबी हो गया है. सोमवार को भर्ती कराये हैं. व्यवस्था ठीक नहीं है. गुरुवार को नयी चादर दी गयी थी. डॉक्टर भी समय पर आ रहे थे. शुक्रवार को चादर भी नहीं बदला.
सुनीता देवी, एकचारी
साला इमरजेंसी में भर्ती है. गुरुवार को चिकित्सक खुद आ रहे थे. अब चिकित्सक को बुलाना पड़ रहा है. हालांकि वे आ रहे हैं. व्यवस्था बिगड़ गयी. इसी तरह बड़े साहब आते रहते, व्यवस्था ठीक रहती.
गौतम कुमार, बरियारपुर