सृजन घोटाला. 27 सितंबर को सिविल सर्जन के मेडिकल बोर्ड के समक्ष हुई पेशी
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अमरेंद्र की बीमारी मामले में नहीं दी राय
सृजन घोटाला. 27 सितंबर को सिविल सर्जन के मेडिकल बोर्ड के समक्ष हुई पेशी भागलपुर : नजारत शाखा के लिपिक अमरेंद्र कुमार यादव की दोबारा मेडिकल बोर्ड से जांच करायी जायेगी. उसके पूर्व के बोर्ड की जांच रिपोर्ट में लिपिक के गायब होने की अवधि में बीमारी से ग्रसित होने पर स्पष्ट राय का उल्लेख […]
भागलपुर : नजारत शाखा के लिपिक अमरेंद्र कुमार यादव की दोबारा मेडिकल बोर्ड से जांच करायी जायेगी. उसके पूर्व के बोर्ड की जांच रिपोर्ट में लिपिक के गायब होने की अवधि में बीमारी से ग्रसित होने पर स्पष्ट राय का उल्लेख नहीं है. जिला प्रशासन ने पिछले दिनों सिविल सर्जन से गठित मेडिकल बोर्ड से बीमारी का नाम भेजने का पत्र दिया था. इस पत्र के जवाब में कहा गया कि एक बार फिर से लिपिक अमरेंद्र कुमार यादव की जांच करनी होगी. डीएम के निर्देश पर सिविल सर्जन को मेडिकल बोर्ड का गठन करके जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है.
नजारत शाखा की दो प्राथमिकी होने के समय लिपिक अमरेंद्र कुमार यादव अचानक सर्किट हाउस से गायब हो गया था.
उसके घर व आवास पर भी किसी ने लिपिक का पता नहीं दे सके. प्रशासनिक स्तर पर अमरेंद्र कुमार यादव के सर्विस बुक में दर्ज स्थायी व अस्थायी पता पर नोटिस भेजा गया. मगर इस नोटिस का भी कोई जवाब नहीं मिला. उसके खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर कड़े कदम उठाये जाते, इससे पहले डाक के माध्यम से लिपिक अमरेंद्र कुमार यादव ने झारखंड के साहेबगंज से स्पीड पोस्ट भेजा. इसमें आजमगढ़ के एक अस्पताल में इलाज कराने की बात कही. अचानक लिपिक अमरेंद्र कुमार यादव के आने पर प्रशासन ने सदर अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से जांच कराया.
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ कुमार गौरव से अमरेंद्र ने बताया था कि बंद कमरे में रहने से धड़कन बढ़ने और सांस लेने में तकलीफ होती है. उसके पूर्व के पर्ची में उत्तर प्रदेश के एक डॉक्टर की सलाह थी, जिसमें नींद नहीं आने की समस्या को दूर करने की दवा दी गयी थी. मेडिकल बोर्ड ने जांच के आधार पर लिपिक को पूरी तरह फिट बताया.
सृजन घोटाला के अप्राथमिक आरोपित व फरार वारंटी पूर्व भू अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह के बारे में उपस्थिति संबंधी रिपोर्ट तलब हुआ है. यह रिपोर्ट भू अर्जन विभाग से मांगी गयी है. विभाग ने सार्वजनिक सूचना निकालते हुए तय समय में उक्त पदाधिकारी के खिलाफ कई तरह के आरोप लगाये थे. इसमें पदाधिकारी को विभाग के समक्ष अपनी सफाई देनी थी. मगर नोटिस खत्म होने तक पूर्व भू अर्जन पदाधिकारी नहीं आये.
प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, पूर्व भू अर्जन पदाधिकारी के खिलाफ सबसे गंभीर आरोप बाइपास से संबंधित नक्शा को वापस नहीं करने का आरोप लगाया गया था. उनके पास पदाधिकारी का सरकारी मोबाइल नंबर सिम भी है.
जवाब नहीं दे सकने के कारण उनके खिलाफ पूर्व के गठित आरोप पत्र में अन्य आरोप भी जुड़ जायेंगे. इसके साथ ही भू अर्जन विभाग की रिपोर्ट पर बाइपास का नक्शा गायब होने के मामले में उनके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज हो सकता है.
नजारत शाखा की दो प्राथमिकी होने के समय लिपिक अमरेंद्र कुमार यादव अचानक सर्किट हाउस से हो गया था गायब
भू अर्जन विभाग से मांगी रिपोर्ट, तब होगा राजीव रंजन सिंह पर एफआइआर
नजारत शाखा की दो प्राथमिकी होने के समय लिपिक अमरेंद्र कुमार यादव अचानक सर्किट हाउस से हो गया था गायब
भू अर्जन विभाग से मांगी रिपोर्ट, तब होगा राजीव रंजन सिंह पर एफआइआर
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