भागलपुर: पिछले साल तक पीएचडी करनेवाले छात्रों को ढूंढने की जहां भरपूर कोशिश होती थी, आज वहां किस छात्र का चयन करें और किसका नहीं, इस बात की माथापच्ची हो रही है. स्थिति यह है कि तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में शोध करने के लिए छात्रों की होड़ मच गयी है. दरअसल 31 मई तक जिनका सिनॉप्सिस जमा होगा, उन्हें छह माह का मैथडलॉजी कोर्स नहीं करना होगा. माना जा रहा है कि छात्रों की भीड़ का यह मुख्य कारण है.
यह भी हो सकता है कारण
कुछ शिक्षकों का मानना है कि राज्य सरकार ने कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति की घोषणा की है. लिहाजा छात्र यह मान रहे हैं कि अगर वे पीएचडी कर लेंगे या कर रहे होंगे, तो इसका लाभ उन्हें शिक्षक नियुक्ति के दौरान मिल जायेगा.
शिक्षकों की बढ़ी पूछ
कारण जितने भी हों, लेकिन विश्वविद्यालय में शिक्षकों की पूछ आजकल कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है. छात्र इस बात के लिए शिक्षकों को मनाने में लगे हैं कि उनका सिनॉप्सिस किसी भी हाल में अनुमोदित हो जाये, ताकि पीएचडी के लिए सीधे रजिस्ट्रेशन कराया जा सके. कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं, जो छात्रों को इस बात की सलाह दे रहे हैं कि वे नये रेगुलेशन के आधार पर जुलाई सत्र में मैथडलॉजी का कोर्स करे. फिर पीएचडी के लिए पंजीयन कराये.
इतिहास: पीजी इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो वाल्मीकि शर्मा ने बताया कि मंगलवार को आठ छात्रों का सिनॉप्सिस अनुमोदित हुआ है. अप्रैल से अब तक 20 से अधिक सिनॉप्सिस अनुमोदित हो चुका है. उन्होंने बताया कि पहले शोध करने के लिए इतनी भीड़ नहीं होती थी. चूंकि राज्य सरकार ने शिक्षक नियुक्ति की घोषणा की है, इसलिए शोध के लिए छात्रों में होड़ है.
सांख्यिकी: पीजी सांख्यिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो बीके दास ने बताया कि उनके विभाग में शोध के लिए आनेवाले छात्रों की संख्या बहुत कम है. लेकिन इसके लिए विश्वविद्यालय में छात्रों की भीड़ देखी जा रही है. पहले ऐसी स्थिति नहीं होती थी. वैसे छात्रों को यह समझना चाहिए कि वे अकादमिक क्षमता व डिग्री बढ़ाने के लिए भले ही पीएचडी करे, लेकिन नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) उत्तीर्ण करना ही होगा. चूंकि यूजीसी ने ही नेट को प्राथमिकता दे रखी है.
अंगरेजी: पीजी इंगलिश के विभागाध्यक्ष प्रो रंजन कुमार सिन्हा ने बताया कि उनके विभाग में अब तक सात-आठ छात्रों का सिनॉप्सिस अनुमोदित हुआ है. उन्होंने बताया कि यह सच है कि पीएचडी के लिए छात्रों की भीड़ उमड़ी है. लेकिन छात्रों को यह समझना चाहिए कि वे नये सत्र में नये रेगुलेशन (मैथडलॉजी के बाद पीएचडी) के तहत पीएचडी करेंगे, तो ज्यादा लाभ होगा. लड़के मैथडलॉजी के छह माह के फुल टाइम से बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं.