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सृजन की सचिव प्रिया व पति अमित के खिलाफ वारंट जारी
शिकंजाकसा. सृजन समिति के सभी पदधारकों पर प्राथमिकी दर्ज भागलपुर : सरकारी राशि के फर्जीवाड़े मामले में कार्रवाई का रुख तल्ख होता जा रहा है. बुधवार को सृजन के सभी पदधारकों के खिलाफ प्रशासन ने एफआइआर किया. बिहार सहयोग समितियां के निबंधक, भागलपुर के जिलाधिकारी व सहकारिता विभाग के जिला सहकारिता पदाधिकारी के निर्देश पर […]
भागलपुर : सरकारी राशि के फर्जीवाड़े मामले में कार्रवाई का रुख तल्ख होता जा रहा है. बुधवार को सृजन के सभी पदधारकों के खिलाफ प्रशासन ने एफआइआर किया. बिहार सहयोग समितियां के निबंधक, भागलपुर के जिलाधिकारी व सहकारिता विभाग के जिला सहकारिता पदाधिकारी के निर्देश पर सबौर के सहकारिता प्रसार पदाधिकारी सुशील कुमार ने 10 पदधारकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है. इसमें व्यवसायी विपिन शर्मा व रालोसपा के जिलाध्यक्ष दीपक वर्मा की
पत्नी भी आरोपित बनायी गयी हैं. दूसरी ओर जिला अदालत ने सृजन की सचिव प्रिया कुमार (रजनी प्रिया), उनके पति अमित कुमार व तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन (वर्तमान में जिला लोक शिकायत निवारण प्रभारी) के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है.
सृजन की सचिव…
तीनों फिलहाल फरार चल रहे हैं. सृजन मामले में गिरफ्तार भू-अर्जन विभाग के नाजिर राकेश झा ने कोर्ट में प्रे किया है कि वह डायबिटिज से पीड़ित हैं, इसलिए उसे अस्पताल में भर्ती कराया जाये. इधर इनकम टैक्स विभाग के इंवेस्टिगेशन सेक्शन की टीम बुधवार को बैंक ऑफ बड़ौदा पहुंची. टीम ने बैंक अधिकारियों को सृजन से संबंधित कुछ कागजात उपलब्ध कराने को कहा.
एक और फर्जीवाड़ा आया सामने
आर्थिक अपराध इकाई द्वारा की जा रही जांच में फर्जीवाड़े के और भी खुलासे हो रहे हैं. जांच टीम को कल्याण विभाग से और 115 करोड़ का फर्जीवाड़ा मिला है. इसे लेकर एक और एफआइआर की तैयारी की जा रही है. बुधवार को जांच टीम ने डीआरडीए में दिन भर कागजात खंगाला. सृजन से पैसे लेकर शहर में कई शो-रूम खुले हैं. इन शो-रूम में नया माल मंगाने का काम रोक दिये जाने की सूचना है. बताया जा रहा है कि मामले का खुलासा होने से पूर्व में दिये गये ऑर्डर पर आये माल को लौटा दिया गया.
पूर्व भू-अर्जन पदाधिकारी पर भी वारंट, 115 करोड़ का एक और फर्जीवाड़ा पकड़ाया
सीबीआइ ने मामले को किया टेक ओवर
पटना. सृजन घोटाले को सीबीआइ ने टेक ओवर कर लिया है. इससे संबंधित आदेश विभागीय स्तर पर ले लिया गया है. हालांकि, इसकी आधिकारिक सूचना बिहार सरकार को नहीं मिली है. एक-दो दिनों में इसकी आधिकारिक सूचना राज्य सरकार को दे दी जायेगी. सूत्रों के अनुसार, बुधवार की देर शाम सीबीआइ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें इस पर निर्णय लिया गया. सीएम नीतीश कुमार ने 17 अगस्त को इसकी जांच सीबीआइ को सौंपने का आदेश दिया. इसके अगले ही दिन राज्य सरकार ने इसके िलए केंद्रीय डीओपीटी को पत्र भेजा दिया.
जिन लोक सेवकों ने मिल कर खजाना लूटा उनकी संपत्ति होगी जब्त
पटना. सृजन घोटाले में अब तक जिन लोगों के नाम सामने आये हैं या गिरफ्तारी हुई है, उनमें अधिकतर लोक सेवक हैं. इन भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ जल्द ही बिहार पुलिस पीसी (प्रीवेंशन ऑफ करप्शन) एक्ट के तहत मामला दर्ज करने जा रही है. यह नया मामला चार्जशीट दायर होने के पहले तक दर्ज हो जायेगा. यानी इस घोटाले में फंसे भ्रष्ट लोक सेवकों की संपत्ति का जब्त होना तय माना जा रहा है. इसकी प्रक्रिया में जितना भी समय लगे. इस मामले में अब तक 14 एफआइआर दर्ज हो चुके हैं. सभी में जिन-जिन भ्रष्ट लोक सेवकों के नाम आ चुके हैं, उन्हें सम्मिलित जिन लोक सेवकों…
करते हुए पीसी एक्ट के अंतर्गत एक नयी एफआइआर दर्ज की जायेगी.
अब तक पीसी एक्ट में दर्ज नहीं हुआ मामला
सृजन घोटाले की जांच बिहार पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की टीम संयुक्त रूप से कर रही है. अब तक जितनी भी एफआइआर दर्ज की गयी है, उनमें पीसी एक्ट के तहत एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है. हालांकि, इन मामले में जो धाराएं लगायी गयी हैं, वे सभी गंभीर और गैर-जमानतीय हैं. फिर भी बिना पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज हुए लोक सेवकों की संपत्ति जब्त नहीं की जा सकती है. यह धारा मुख्य रूप से लोक सेवकों पर ही लगायी जाती है. हालांकि, कुछ विशेष परिस्थिति में किसी लोक सेवक के साथ फंसे सामान्य व्यक्ति पर भी यह धारा लगायी जा सकती है. लेकिन, राज्य पुलिस की जांच अभी इस ढर्रे पर चल रही है कि पहले इसमें शामिल सभी अभियुक्तों को खोज-खोज कर निकालो और इन पर एफआइआर करके जेल भेजो. फिर भ्रष्ट लोक सेवकों
पर अलग से पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर संपत्ति जब्ती की कार्रवाई शुरू की जाये. ऐसे भी इस मामले को जैसे ही सीबीआइ टेक-ओवर करेगी, वैसे ही इसमें पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज हो जायेगा. लोक सेवकों के अलावा इसमें शामिल अन्य स्तर के लोगों की भी संपत्ति बिहार क्रिमिनल लॉ एक्ट, 2005 के अंतर्गत जब्त होगी.
इस मामले में एडीजी (मुख्यालय) एसके सिंघल का कहना है कि घोटाले में शामिल सभी लोक सेवकों पर अलग से संयुक्त रूप से पीसी एक्ट के तहत एक नया मामला दर्ज किया जायेगा. पहले सभी लोक सेवकों के नाम उजागर कर लिये जाएं. वर्तमान एफआइआर में पीसी एक्ट इसलिए नहीं लगाया जा सका है कि इसमें लोक सेवकों के साथ-साथ आम लोगों के भी नाम हैं.
कुछ अधिकारियों की पैरवी भी आने लगी अभियुक्तों के लिए
इस घोटाले के तार कई अधिकारियों से लेकर बड़े सफेदपोशों तक जुड़े हुए हैं. एमवी राजू या राजू सिंगर की गिरफ्तारी के लिए एसआइटी की टीम कई स्थानों पर छापेमारी कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ एक आइपीएस अधिकारी इसकी पैरवी भी करने में जुटे हुए हैं. वह वर्तमान में वेटिंग फॉर पोस्टिंग पर चल रहे हैं, लेकिन पहले एक जिले के एसपी हुआ करते थे. इन्होंने राजू सिंगर के लिए एसपी और संबंधित जांच अधिकारी को फोन करके कहा कि राजू के मामले में थोड़ी रहम बरती जाये. वह अच्छा आदमी है, उसे परेशान नहीं किया जाये. हालांकि, उनकी पैरवी का कितना असर हुआ, यह तो स्पष्ट नहीं हो पाया है.
शुभलक्ष्मी प्रसाद, पति-डॉ विनोदानंद प्रसाद (अध्यक्ष)
रजनी प्रिया (सचिव)
सीमा देवी, पति-प्रणय कुमार
जसीमा खातून, पति-मो शकील अहमद
रूबी कुमारी, पति-विपिन शर्मा
रानी देवी, पति-रवि पासवान
सुनिता देवी, पति-बबलू
राज रानी वर्मा, पति-समर समरेंद्र
अर्पणा वर्मा, पति-अभिषेक कुमार उर्फ दीपक वर्मा
सुना देवी, पति-जगदीश तांती
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