भागलपुर : सरकारी खाते से घपले की जांच के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा के जीएम डीबी मुखोपाध्याय शनिवार को भागलपुर पहुंचे. उन्होंने कहा कि अपने ऑफिस में बैठ कर इनफॉर्मेशन ले रहा था. एक बार स्पॉट पर आकर वास्तविक जानकारी लेना उचित समझा. इस उद्देश्य से आये हैं. उन्होंने बताया कि इन लोगों को गाइडलाइन […]
भागलपुर : सरकारी खाते से घपले की जांच के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा के जीएम डीबी मुखोपाध्याय शनिवार को भागलपुर पहुंचे. उन्होंने कहा कि अपने ऑफिस में बैठ कर इनफॉर्मेशन ले रहा था. एक बार स्पॉट पर आकर वास्तविक जानकारी लेना उचित समझा. इस उद्देश्य से आये हैं. उन्होंने बताया कि इन लोगों को गाइडलाइन दे रहे हैं.
उन्होंने बताया कि साल 2014 से 2016 के बीच मेजर ट्रांजेक्शन हुए हैं. हाइलेवल अनकॉमन ट्रांजेक्शन पर पूछना गाइडलाइन में नहीं है. बता दें कि हाइलेवल ट्रांजेक्शन पर बैंक की ओर से यह कभी जानने की कोशिश नहीं की गयी कि वास्तव में प्रशासनिक आदेश सही है या गलत, जबकि व्यक्तिगत हाइलेवल ट्रांजेक्शन पर बैंक की ओर से पुष्टि करायी जाती है.
पुराने दस्तावेज नहीं मिलने से पूर्व मैनेजर पर संदेह : बैंक ऑफ बड़ौदा ने प्रशासन को फ्रीज खातों के ओपनिंग फॉर्म, प्रशासनिक आदेश, चालान आदि में से कुछ उपलब्ध करायी है, तो कुछ नहीं करा सका है. ऐसे में संदेह है कि पूर्व मैनेजर ने पुराने दस्तावेज गायब कर दिये हैं. ऐसे में पूर्व मैनेजर पर गाज गिर सकती है. वर्तमान मैनेजर साल 2008 से 2011 तक बीएम रह चुके हैं.
सृजन महिला विकास सहयोग समिति की कमेटी निलंबित
सहकारिता विभाग ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति को निलंबित कर दिया है. छह माह की अवधि को लेकर निलंबन के दौरान समिति को नोटिस जारी होगा. इस दौरान समिति के कामकाज को देखने के लिए विशेष पदाधिकारी का मनोनयन हुआ है. नाथनगर के प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी रंजीत शंकर प्रसाद को मजिस्ट्रेट की बहाली करते हुए प्रभार दिलाया जायेगा. विभाग की ओर से समिति के खातों का ऑडिट भी कराया जायेगा. इसके लिए जल्द ही ऑडिट की टीम भेजी जायेगी.
जिला सहकारिता पदाधिकारी सुभाष कुमार ने शुक्रवार को समिति के निलंबन का आदेश निकाला. पत्र के मुताबिक, सहकारिता सोसाइटी अधिनियम 1935 की धारा 41 के तहत निलंबित समिति का कामकाज विशेष पदाधिकारी द्वारा देखा जायेगा. छह माह की अवधि के दौरान समिति को सरकारी फंड के गलत तरीके से अपने खाता में जमा करने के बारे में नोटिस जारी होगा. इस तरह निलंबित समिति के प्रबंधक से जवाब मांगा जायेगा. छह माह की अवधि समाप्त होने पर सहकारिता पदाधिकारी अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए समिति को सुपरसीड (कमेटी को भंग कर देना) कर देंगे.