भागलपुर : पीजी ग्रामीण अर्थशास्त्र व सहकारिता विभाग का 61वां स्थापना दिवस पर कार्यक्रम में भाग लेने टीएमबीयू के बहुचर्चित कुलपति रहे प्रो राम आश्रय यादव भाग लेने दिनकर भवन आये थे. विभाग के शिक्षक डॉ ताहिर हुसैन वारसी को धन्यवाद ज्ञापन देने के लिए बुलाया गया था. डॉ वारसी ने माइक पर प्रो राम […]
भागलपुर : पीजी ग्रामीण अर्थशास्त्र व सहकारिता विभाग का 61वां स्थापना दिवस पर कार्यक्रम में भाग लेने टीएमबीयू के बहुचर्चित कुलपति रहे प्रो राम आश्रय यादव भाग लेने दिनकर भवन आये थे. विभाग के शिक्षक डॉ ताहिर हुसैन वारसी को धन्यवाद ज्ञापन देने के लिए बुलाया गया था. डॉ वारसी ने माइक पर प्रो राम आश्रय यादव को खरी-खोटी सुनाने लगे. भला-बुरा सुनाने लगे. अभद्र शब्द का प्रयोग किया. घटना से कार्यक्रम में बैठे सारे शिक्षक भौचक हो गये.
सारी घटना कुलपति व प्रतिकुलपति के सामने घटी. शिक्षक से माइक वापस लिया गया. प्रो राम आश्रय यादव घटना से आहत थे. घटना को लेकर कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकों ने इसका विरोध किया. विवि के पूर्व डीएसडब्ल्यू ने बताया कि पूर्व कुलपति प्रो राम आश्रय यादव के कार्यकाल के दौरान विभाग की जांच की गयी थी. जांच के क्रम में डॉ वारसी गायब मिले थे. इसे लेकर पूर्व कुलपति प्रो यादव ने डॉ ताहिर हुसैन वारसी को तत्काल प्रभाव से बीएन कॉलेज स्थानांतरण कर दिया था. इस बात का दुख शिक्षक को था.
टीएमबीयू के कुलपति प्रो नलिनीकांत झा ने प्रो राम आश्रय यादव से अभद्र व्यवहार करने पर शिक्षक डॉ ताहिर हुसैन वारसी को शो-कॉज किया है. विवि ने तीन दिनों के अंदर शिक्षक से जवाब मांगा है. संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो विवि अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा.
सत्र का नियमितीकरण और सुधार की संभावनाएं डॉ योगेंद्र
मूल्याकंन कार्य विश्वविद्यालय का पवित्र कार्य होना चाहिए. हजारों मासूमों का भविष्य इससे जुड़ा रहता है, लेकिन इसकी एक बानगी देखिए. मैं टेबलेशन कार्य कर रहा था कि एक उत्तर पुस्तिका की जरूरत पड़ी. एक छात्र का अंग्रेजी आनर्स के दूसरे पत्र में कोई नंबर नहीं था. मैंने उसकी कॉपी ढूंढ़वायी. उसके 74 अंक थे. मैंने कॉपी पलटी, तो देखा कि एक प्रश्न के उत्तर में तीन- तीन जगह अंक दिये गये थे. मैंने उस परीक्षक को बुलवाया और पूछा कि ऐसा कैसे हुआ? उसने कहा कि सर, इसकी पैरवी थी. यानी पैरवी हो, तो कुछ भी संभव है. बहुत मुश्किल से कॉमर्स, साइंस और आर्ट्स के टेबलेशन हुए और रिजल्ट निकाले गये. जब रिजल्ट निकला, तो सैकड़ों बच्चे टेबलेशन केंद्र पर आये. इनमें 75 फीसदी छात्र अपने नाम की शुद्धि के लिए आये थे. यानी कॉलेजों में छात्रों की जो सूची बनती है, उस पर ध्यान नहीं दिया जाता. खैर, इस कार्य को निबटाया गया. इसके बाद जब आगे के सत्रों के लिए टेबलेशन का अवसर आया, तो मेरा चयन नहीं किया गया. विश्वविद्यालय ने दूसरे को इसकी जिम्मेदारी दी. मैं इस कार्य से मुक्त हो गया, लेकिन आत्मसंतोष था कि इस वर्ष कम से कम रिजल्ट पेंडिंग हुए. तत्कालीन कुलपति के जाने के बाद जब नये कुलपति आये तो मुझे प्रॉक्टर बनाया गया और परीक्षा विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गयी. जारी…