भागलपुर : जेएलएनएमसीएच में कमीशनखोर चांदी काट रहे हैं. इन कमीशनखोरों के बूते बाहरी एंबुलेंस (प्राइवेट) सेवा अब सीधे हॉस्पिटल के अंदर भरती मरीजों तक पहुंच रही है. आलम यह है कि अस्पताल के अंदर से प्राइवेट एंबुलेंस के जरिये मरीज ढोये जा रहे, जबकि सरकारी एंबुलेंस की रफ्तार धीमी पड़ने लगी है. इसके पीछे […]
भागलपुर : जेएलएनएमसीएच में कमीशनखोर चांदी काट रहे हैं. इन कमीशनखोरों के बूते बाहरी एंबुलेंस (प्राइवेट) सेवा अब सीधे हॉस्पिटल के अंदर भरती मरीजों तक पहुंच रही है. आलम यह है कि अस्पताल के अंदर से प्राइवेट एंबुलेंस के जरिये मरीज ढोये जा रहे, जबकि सरकारी एंबुलेंस की रफ्तार धीमी पड़ने लगी है.
इसके पीछे का कारण हॉस्पिटल में कार्यरत कर्मचारियों की कमीशनखोरी को बताया जा रहा है. आलम यह है कि प्राइवेट एंबुलेंस की तुलना में सस्ती सेवाएं देनेवाली सरकारी एंबुलेंस की रफ्तार बीते दो माह से थमने लगी है. जबकि महंगी प्राइवेट एंबुलेंस कमीशन के बूते भागलपुर से पटना-सिलिगुड़ी आदि शहरों के लिए फर्राटा भर रही हैं.
इधर मरीज रेफर, उधर सेटिंग का खेल शुरू : निजी एंबुलेंसचालक की हॉस्पिटल के अंदर तक की पहुंच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इधर डॉक्टर मरीज को रेफर करता है, उधर मरीज के परिजनों तक प्राइवेट एंबुलेंसचालक पांच से दस मिनट के अंदर पहुंच जाता है. यहां से शुरू होता है सेटिंग का खेल. मेडिसिन विभाग में इलाजरत एक मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसके बेड के बगल वाले बेड पर भरती एक मरीज को सोमवार को पीएमसीएच रेफर कर दिया.
हैरान-परेशान उसके परिजन कुछ समझ पाते कि दस मिनट में एक एंबुलेंसवाला उन तक पहुंच जाता है और चंद मिनट में उसे सेटिंग करके मरीज को लेकर चला गया. सूत्रों की मानें तो हॉस्पिटल के विभिन्न वार्डों में तैनात कुछ अटेंडेंट इस खेल में शामिल हैं. ये अटेंडेंट डॉक्टर के साथ-साथ रहते हैं. राउंड के दौरान जैसे ही डॉक्टर किसी मरीज को रेेफर करता है, वैसे ही ये प्राइवेट एंबुलेंस वाले को फोन करके बेड नंबर व वार्ड बता देते हैं. इस सूचना के बदले एंबुलेंस वाले इन अटेंडेंट को 200 से 300 रुपये प्रति मरीज की दर से कमीशन मिलता है.
थमने लगी सरकारी एंबुलेंस की रफ्तार : इस साल दस फरवरी से 28 फरवरी के बीच 60 मरीजों को सरकारी एंबुंलेंस ने सेवाएं दी. मार्च में भी 81 मरीजों को सरकारी एंबुलेंस की सर्विस मिली. लेकिन अगले ही महीने में इसकी रफ्तार थम सी गयी. अप्रैल में महज 45 मरीजों को ही सरकारी एंबुलेंस की सेवा मिली. जबकि मई में 38 मरीजों को ही इस सेवा का लाभ मिला.
मायागंज में है चार एबुंलेंस, दो लाश ढोने के लिए
वर्तमान में मायागंज हॉस्पिटल में 102 नंबर का दो एंबुलेंस व 1099 का एक एंबुलेंस (एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस) है जबकि लाश ढोने के लिए दो एंबुलेंस है. इसके अलावा हाल में ही मायागंज हॉस्पिटल को बिहार सरकार द्वारा एक और एंबुलेंस मई में मिली है. लेकिन अभी यह चल नहीं रही है. हॉस्पिटल में इलाज कराने वाला मरीज अगर बीपीएल कटेगरी का है तो उसे सरकारी एंबुलेंस की सेवाएं मुफ्त मिलेगी.
नकेल कसने के लिए विभागों में लगेगा नोटिस बोर्ड : अधीक्षक
जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने कहा कि हॉस्पिटल के मरीज किसी प्राइवेट एंबुलेंसचालक के चक्कर में न फंसें और उन्हें सरकारी एंबुलेंस का सस्ता लाभ मिल सके, इसके लिए हॉस्पिटल के हर विभाग के वार्डों में नोटिस बोर्ड लगाया जायेगा. बोर्ड में स्पष्ट शब्दों में लिखा होगा कि रेफर होने वाले मरीज या फिर मृत मरीज के परिजन इमरजेंसी के कंट्रोल बोर्ड से संपर्क कर सरकारी एंबुलेंस सेवा का लाभ लें. अगर हॉस्पिटल का कोई भी कर्मचारी प्राइवेट वालों के साथ संलिप्त मिला, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.