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जिंदगी की जंग जीत गया मुंशी अभय

सिपाही की गोली से गंभीर रूप से हो गया था जख्मी परिजनों में खुशी का माहौल बेगूसराय : 18 अप्रैल को जब फुलबड़िया थाने में सिपाही ने मुंशी को गोली मारी तो जिले में यह खबर आग की तरह फैल रही थी. कई जगहों से उसे रेफर कर दिया गया था. मरता क्या न करता […]

सिपाही की गोली से गंभीर रूप से हो गया था जख्मी

परिजनों में खुशी का माहौल
बेगूसराय : 18 अप्रैल को जब फुलबड़िया थाने में सिपाही ने मुंशी को गोली मारी तो जिले में यह खबर आग की तरह फैल रही थी. कई जगहों से उसे रेफर कर दिया गया था. मरता क्या न करता इस तर्ज पर पुलिस वाले ने नाउम्मीद ही सही पर इस जिले के सबसे बड़े अस्पताल एलेक्सिया की तरफ रुख किया. सर्जन डॉ धीरज शांडिल्य ने इसे चुनौती के रूप में लिया. 10 घंटे बाद जब मरीज की स्थिति में थोड़ा सुधार आया तो रात्रि में मुंशी अभय सिंह के परिजन बेगूसराय पहुंचे. चिकित्सक ने जब बताया कि वेंटीलेटर पर रखकर ऑपरेशन के सिवा कोई चारा नहीं तो सभी के लिए निर्णय कठिन था.
चिकित्सक ने रखी थी कुछ शर्त:परिजन और पुलिस वाले बताते हैं की सर्जरी से पहले डॉ धीरज ने तीन शर्त रखी थी. पहली की उन्हें लगभग मृत व्यक्ति पर प्रयोग की आजादी मिले. दूसरा आपलोगों का भावनात्मक समर्थन और तीसरा यदि मरीज आपरेशन से जिंदा बाहर आ गये तो 13 दिनों तक मुझे जांच और दवाई में रोक टोका नहीं जायेगा.जब चौथे दिन मरीज वेंटीलेटर से बाहर आया तो डॉ धीरज अपनी आंसू रोकने में नाकामयाब रहे थे परिवार को शर्त मंजूर था. ऑपरेशन के दौरान और ऑपरेशन के बाद भी चार दिनों तक वेंटीलेटर पर रहे मुंशी का चोटिल फेफड़ा, लिवर , पैंक्रियाजऔर किडनी खराब होने लगा पर कई उतार चढ़ाव के बावजूद जिंदगी की जीत हुई और आज घायल स्वस्थ होकर अपने घर गया. खुद डीएम, एसपी, तेघड़ा डीएसपी ,सांसद ,विधायक अन्य सभी लोगों ने अस्पताल जाकर मरीज की बचाने में हरसंभव सहयोग किया था.

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