विपिन /अजीत4बेगूसराय/नीमाचांदपुरा : बेगूसराय जिला मुख्यालय से महज 16 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित सदर प्रखंड के परना गांव में देश की आजादी में कुरबानी देने वाले महापुरुषों की पूजा-अर्चना सालों भर कर गांववासी मिसाल कायम कर रहे हैं. यहां यह अनूठी परंपरा पिछले 25 वर्षों से चली आ रही है. बताया जा रहा है कि इस गांव के लोग हर रोज सुबह-शाम आजादी के दीवाने (महापुरुषों) की प्रतिमाओं पर न सिर्फ फूल-माला चढ़ा कर नमन करते हैं, बल्कि पूजा-अर्चना कर उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं. पूजा में वैदिक मंत्रोच्चार नहीं, बल्कि देशभक्ति गाये जाते हैं. यहां के 80 वर्ष के बूढ़े हों या 18 वर्ष के युवा या फिर बच्चे, सबों में देशभक्ति का जज्बा देखते ही बनता है.
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ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी…
विपिन /अजीत4बेगूसराय/नीमाचांदपुरा : बेगूसराय जिला मुख्यालय से महज 16 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित सदर प्रखंड के परना गांव में देश की आजादी में कुरबानी देने वाले महापुरुषों की पूजा-अर्चना सालों भर कर गांववासी मिसाल कायम कर रहे हैं. यहां यह अनूठी परंपरा पिछले 25 वर्षों से चली आ रही है. बताया जा रहा है […]
ऐसे बढ़ा था गांववासियों का कारवां :परना व चांदपुरा की सीमा पर अवस्थित परना पोखर है. यहां पहले शिवलिंग था. वर्ष 1987 में मां दुर्गा का मंदिर बनाया गया. शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा शुरू हुई. इसके बाद वर्ष 1990 में नवनिर्मित दुर्गामंदिर परिसर में ग्रामीणों की आवश्यक बैठक हुई. जिसमें मां दुर्गा की पूजा के साथ-साथ देश की आजादी दिलाने वाले महापुरुषों की भी पूजा करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया. वर्ष 1991 में तत्कालीन मुखिया शिवराम महतो के नेतृत्व में ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर दुर्गामंदिर के पूरब पोखर के ऊपरी तट पर एक भव्य शहीद स्मारक स्थल का निर्माण कराया. दो लाख 50 हजार रुपये की लागत से कई महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित की गयी.
आज तक नहीं पड़ी जिला प्रशासन की नजर :ग्रामीण बताते हैं कि शहर में कई महापुरुषों की प्रतिमाएं हैं. जयंती व पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि देने के लिए जिला प्रशासन से लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं में होड़ मच जाती है. लेकिन सुदूर गांव में स्थापित इस ऐतिहासिक स्मारक स्थल पर जिला प्रशासन की नजर आज तक नहीं गयी है.
क्या कहते हैं गांव वासी
महापुरुषों की पूजा-अर्चना कर उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं. आजाद देश के दीवानों को याद करने से गांववासियों को दिल में सुकून मिलता है. बच्चे भी इससे सीख ले रहे हैं.
वीरेंद्र शर्मा, मुखिया, परना, बेगूसराय
दो दशक से देवी-देवताओं के साथ शहीदों की पूजा कर उन्हें याद किया जाता है. इससे सामाजिक समरसता भी कायम होता है. आने वाली पीढ़ी में देशभक्ति के अच्छे संदेश भी मिलते हैं.
राजेश कुमार राकेश, ग्रामीण, परना
गांव के हमारे धरोहरों ने अपनी धरती पर शहीदों का भव्य स्मारक स्थल का निर्माण करा कर महापुरुषों की पूजा-अर्चना करने की जो अनूठी परंपरा शुरू की, वह काबिले-तारीफ है.
रविंद्र कुमार निराला, समाजसेवी, परना
सुदूर बस्ती में शहीदों को सुबह-शाम पूजा-करना वास्तव में प्रेरणादायक कदम है. इससे दूसरे गांवों के लोगों को भी सीख लेने की जररूत है. ग्रामीणों द्वारा बनाये गये शहीद स्मारक स्थल का समुचित विकास की दिशा में पहल करेंगे.
रविशंकर कुमार, बीडीओ, बेगूसराय
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