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जिले में बिजली की हालत गंभीर

बिजली संकट. शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में लोग हो रहे हलकान,बढ़ रहा आक्रोश चिराग तले अंधेरा वाली कहावत हो रही है चरितार्थ बेगूसराय(नगर) : तापमान की बढ़ती तपिश में बिजली भी लोगों को दगा दे रही है. 24 घंटे बिजली देने का दावा करने वाला विभाग महज तीन से चार घंटे बिजली मुहैया करा कर […]

बिजली संकट. शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में लोग हो रहे हलकान,बढ़ रहा आक्रोश

चिराग तले अंधेरा वाली कहावत हो रही है चरितार्थ
बेगूसराय(नगर) : तापमान की बढ़ती तपिश में बिजली भी लोगों को दगा दे रही है. 24 घंटे बिजली देने का दावा करने वाला विभाग महज तीन से चार घंटे बिजली मुहैया करा कर ही दम तोड़ने लगी है. इससे लोगों का आक्रोश चरम पर न सिर्फ पहुंचने लगा है वरन आंदोलन की भी सुगबुगाहट शुरू हो गयी है. कई संगठनों के द्वारा आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जा रही है. अगर समय रहते बिजली विभाग अपने रवैये में सुधार नहीं किया तो आने वाले समय में बिजली के लिए जोरदार आंदोलन चलाया जायेगा.
बिजली के लिए लगातार चलाया जा रहा है आंदोलन :
बिजली की बदतर स्थिति से मुक्ति दिलाने के लिए पिछले लंबे समय से जिले के विभिन्न संगठनों द्वारा न सिर्फ चरणबद्ध आंदोलन चलाया गया वरन कुछ संगठनों के द्वारा पावर हाउस में घेरा-डालो-डेरा डालो कार्यक्रम भी चलाया गया. इसके बाद भी बिजली की व्यवस्था में सुधार नहीं होना बिजली विभाग और सरकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है. आखिर यह भी बेगूसराय के लोगों के लिए बदकिस्मती ही कहा जाये कि बेगूसराय जिले में चिराग तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. बेगूसराय में थर्मल पावर रहने के बाद भी यहां के लोगों को समुचित बिजली नहीं मिल रही है.
दुरुस्त नहीं हैं साधन व संसाधन :
बेगूसराय में बार-बार बिजली के लिए हंगामा व आंदोलन का प्रमुख कारण यह भी है कि यहां साधन व संसाधनों की घोर कमी है. पहले तो यहां कर्मियों की भारी किल्लत है. दूसरे पावर हाउस में जो भी संसाधन हैं वह भी दुरुस्त नहीं है. इसका खामियाजा यहां आने वाले पदाधिकारियों को भुगतना पड़ता है. इसके अलावा पावर हाउस में तकनीशियनों की भी भारी कमी है.ट्रांसफॉर्मर समेत अन्य उपकरणों में खराबी होने पर पटना से विशेषज्ञों को बुलाना पड़ता है. तब तक लोगों को समुचित रूप से बिजली नहीं मिल पाती है. इस समस्या की ओर भी कई बार ध्यान आकृष्ट कराया गया लेकिन आज तक इस दिशा मेंं कोई ठोस पहल नहीं हुई.
कार्य करने वाली कंपनी का नहीं है संतोषप्रद कार्य :बिजली विभाग में कार्य के लिए जब भी कोई कंपनी को कार्य करने के लिए दिया जाता है उन कंपनियों के द्वारा ठोस काम नहीं किया जा सका है. नतीजा है कि बिजली विभाग में समस्या घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. अभी वर्त्तमान में ए टू जेड कंपनी के द्वारा जो भी कार्य किया गया है वह संतोषप्रद नहीं है. जहां तहां तार झंझर पड़े हैं. उपभोक्ताओं को गलत बिजली बिल दिया जा रहा है. इससे उपभोक्ताओं को मानसिक तनाव से जूझना पड़ता है.कई बार इन कंपनियों के विरोध में विभिन्न संगठनों के द्वारा आवाज उठायी गयी है लेकिन यह समस्या जस की तस बनी है.
70 मेगावाट की जगह बेगूसराय को मिल रही 15 मेगावाट बिजली :जिले में 70 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है. उसके एवज में महज 15 मेगावाट बिजली ही बेगूसराय पावर हाउस को मिल रही है. इससे यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस भीषण गरमी और कड़ाके की धूप में लोग कैसे गरमी का सामना कर रहे हैं. शहर हो या गांव हर जगह लोग बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं.
रतजगा करने को हैं मजबूर : भीषण गरमी में बिजली नहीं मिलने से लोग रतजगा करने को मजबूर हैं. सरकारी दफ्तर हो या निजी कार्यालय, या फिर व्यवसायिक प्रतिष्ठान हर जगहों पर बिजली की समस्या दिन-प्रति दिन जटिल होती जा रही है. पूरे जिले में बिजली की बदतर स्थिति को लेकर लोगों में आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है.

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