न रतन, न लखन, जल गयी लालटेन की बत्ती बेगूसराय (नगर). माया मिली न राम यह उक्ति तो आपने सुनी ही होगी. देखने के लिए तेघड़ा विधानसभा का बीहट गांव है. जहां दो दिग्गज प्रत्याशी रामलखन और रामरतन दो अलग-अलग पार्टियों से अपनी किस्मत आजमा रहे थे. गांव के लोग पूरे चुनाव के दौरान गुनगुना रहे थे कि मेरे दो अनमोल रत्न एक रामलखन तो एक है रामरतन. संयोग से ये राम के रतन यहीं रह गये और तेघड़ा के मतदाताओं का रतन गंगा पार वीरेंद्र बन गये. तेघड़ा और बरौनी विधानसभा क्षेत्र के 63 वर्ष के इतिहास में पहली दफा कोई विधानसभा क्षेत्र से बाहर का प्रत्याशी आया और झटके में विजय पताका लेकर विधानसभा पहुंच गया. ज्ञात हो कि तेघड़ा विधानसभा क्षेत्र मास्को के रूप में लंबे समय से प्रसिद्ध रहा था. वर्ष 2010 के चुनाव में इस मास्को को भाजपा प्रत्याशी ललन कुंवर ने ध्वस्त किया था. इस बार पार्टी ने प्रत्याशी बदल कर एक बार फिर से इस सीट पर केसरिया झंडा फहराने की तैयारी की थी लेकिन इस बार तेघड़ा की इस सीट पर लालटेन की बत्ती जल उठी है.
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न रतन, न लखन, जल गयी लालटेन की बत्ती
न रतन, न लखन, जल गयी लालटेन की बत्ती बेगूसराय (नगर). माया मिली न राम यह उक्ति तो आपने सुनी ही होगी. देखने के लिए तेघड़ा विधानसभा का बीहट गांव है. जहां दो दिग्गज प्रत्याशी रामलखन और रामरतन दो अलग-अलग पार्टियों से अपनी किस्मत आजमा रहे थे. गांव के लोग पूरे चुनाव के दौरान गुनगुना […]
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