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बाढ़ में घिरे हैं दो लाख लोग

विपिन कुमार मिश्र बेगूसराय (नगर): जिले के कई प्रखंडों में बाढ़ की विनाशलीला जारी है. अगर यही स्थिति अगले कुछ दिनों तक बनी रही, तो प्रलय मच सकता है. एक माह से अधिक समय से बाढ़ के पानी में चारों तरफ से घिर कर लोगों में त्रहिमाम मचा हुआ है. अब बाढ़ पीड़ित धैर्य खो […]

विपिन कुमार मिश्र

बेगूसराय (नगर): जिले के कई प्रखंडों में बाढ़ की विनाशलीला जारी है. अगर यही स्थिति अगले कुछ दिनों तक बनी रही, तो प्रलय मच सकता है. एक माह से अधिक समय से बाढ़ के पानी में चारों तरफ से घिर कर लोगों में त्रहिमाम मचा हुआ है. अब बाढ़ पीड़ित धैर्य खो चुके हैं. उनका मानना है कि इससे अच्छा मौत है. बाढ़ ने जिस तरह से तबाही मचा रखी है, उससे लोगों का अब घर से निकलना मुश्किल हो गया है. कई जगहों पर लोग मकान की छत पर रह रहे हैं. बाढ़पीड़ित मदद की आस में पूरे दिन टकटकी लगाये रहते हैं.

भूखे सो रहे हैं लोग

कई परिवारों को भोजन बनाने के लिए राशन उपलब्ध नहीं हो रहा है, वहीं कई परिवार जलावन के अभाव में भूखे सो रहे हैं. बाढ़ ने इस बार जिस तरह तांडव मचा रखा है, उसमें लोगों का कहना है कि इस तरह की प्रलयंकारी बाढ़ 40 वर्षो के बाद आयी है. 1971 और 1976 में इस तरह की बाढ़ आयी थी. ठीक उसी तरह से इस बार भी बाढ़ अपना विकराल रू प धारण कर कोहराम मचा रही है. बाढ़ के पानी में लगातार घिरे होने से बाढ़ पीड़ितों के साथ-साथ मवेशियों की भी जान पर आफत आ गयी है. कहीं भी सूखा हुआ स्थान नहीं है, जहां मवेशी किसी तरह बैठ भी सकें. इसी का नतीजा है कि लगातार पानी का सामना करते हुए अब बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत होने लगी है. कुछ पशुपालक जो साधन संपन्न थे, वो नाव किराये पर लेकर पशुओं के साथ कहीं पलायन कर चुके हैं. लेकिन, जिनके पास कोई साधन नहीं है, वे अपने मवेशी के साथ बाढ़ के पानी में संघर्ष कर रहे हैं. शाम्हों प्रखंड के पशुपालक सुरेश मिश्र, राजाराम यादव, मोहन साव, तिलकधारी राम, मटिहानी के रामबदन यादव, मोती सिंह, सोहन राय आदि ने बताया कि साधन नहीं रहने से पशुओं साथ पानी में फंसे हुए हैं. इन पशुपालकों का कहना है कि लगातार पानी में रहने से अब पशुपालक दम तोड़ने लगे हैं. अगर समुचित नाव की व्यवस्था रहती तो किसी तरह से अपने पशुओं के साथ पलायन कर जाते.

बांध पर भी मंडरा रहा है खतरा

लगातार पानी में वृद्धि होने से बाढ़ का संकट गहराता जा रहा है. नतीजा है कि जिले के कई बांधों पर खतरा मंडरा रहा है. तेघड़ा अनुमंडल के सनहा बांध, बछवाड़ा रानी का रिंग बांध पर लगातार दबाव बना हुआ है. कभी बड़ा हादसा होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि, इन बांधों को बचाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा युद्धस्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं. जिले के बाढ़ग्रस्त प्रखंडों में नावों की घोर कमी से बाढ़पीड़ित जूझ रहे हैं. नाव नहीं रहने के कारण लोगों की परेशानियां बढ़ गयी हैं. लोग एक जगह से दूसरी जगह पर जा नहीं पा रहे हैं. शासन व प्रशासन द्वारा उपलब्ध करायी गयी नाव व राहत बाढ़पीड़ितों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा के समान साबित हो रहा है. कई जगहों पर तो नाव है ही नहीं. इससे लोगों का सिरदर्द और बढ़ गया है. लोग किसी तरह से केले का थम, ड्रम व अन्य जुगारू नाव बना कर आना-जाना कर रहे हैं.

सड़क टूटने से खतरा

लगातार बाढ़ के पानी में घिरे पीड़ितों को जरू रत का सामान नहीं मिल पा रहा है. सबसे समस्या यह है कि लोग पानी अधिक होने के कारण एक जगह से दुसरी जगह पर नहीं जा पा रहे हैं. राशन का सामान नहीं मिलने से लोगों को दोनों समय भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. बताया जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की तेज धार ने सड़क को ध्वस्त कर नदी में तब्दील कर दिया है. इससे लोगों में हमेशा खतरा बना रहता है. लगातार बाढ़ के पानी से घिरे होने को लेकर बाढ़2पीड़ितों में दहशत देखी जा रही है. बाढ़पीड़ित रात में सो नहीं पाते हैं. उन्हें हमेशा पानी आने का खतरा बना रहता है. जिले के हजारों घरों में चार से पांच फुट पानी लगा हुआ है. कई लोगों की झोंपड़ियां पानी में विलीन हो चुकी हैं. बाढ़ग्रस्त इलाके में दर्जनों स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र समेत अन्य सरकारी भवनों में बाढ़ का पानी लंबे समय से लगा हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों में इन सभी संस्थानों को अनिश्चितकालीन बंद कर दिया गया है.

टापू में तब्दील हुआ शाम्हो प्रखंड

जिले की मात्र तीन पंचायतों वाला शाम्हो प्रखंड बाढ़ के पानी से घिरा हुआ है. इस प्रखंड में एक मात्र शाम्हों-सूर्यगढ़ा मुख्य पथ का अस्तित्व समाप्त हो चुका है. यह सड़क अभी टापू में तब्दील हो गया है. प्रखंड मुख्यालय से संपर्क भंग होने के बाद इस प्रखंड के लोग त्रहिमाम में हैं. नाव का अभाव, राहत की कमी, दवा की अनुपलब्धता लोगों की परेशानी को और बढ़ा रहा है. सबसे अधिक समस्या इस प्रखंड में नाव को लेकर है. नाव नहीं रहने से हजारों लोग यत्र-तत्र फंसे हुए हैं. पूरा शाम्हों प्रखंड बेजान बना हुआ है. बाढ़ की गंभीर स्थिति में सरकारी सुविधा की भी महज इस प्रखंड में खानापूर्ति हो रही है.

राहत शिविरों से लाभ नहीं

बाढ़ग्रस्त इलाके शाम्हो व मटिहानी में सरकारी स्तर पर खोले गये राहत शिविरों से लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है. इन शिविरों में बने-बनाये भोजन की बंदरबांट हो रही है. जरू रतमंद लोगों तक राहत की खिचड़ी उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इससे बेसहारा बने बाढ़पीड़ितों का दर्द बढ़ रहा है. जिन प्रखंडों में बाढ़ की स्थिति गंभीर है, वहां बाढ़पीड़ितों की सुविधा को देखते हुए राहत शिविर नहीं खोला गया है. नतीजा है कि इन राहत शिविरों में बाढ़ पीड़ितों को पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अगर इन शिविरों तक आने-जाने में नाव की व्यवस्था करायी गयी होती, तो लोगों को राहत मिल सकती थी.

विधायक बांट रहे हैं भोजन

बाढ़ की विभीषिका को लेकर मटिहानी के विधायक नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह द्वारा प्रतिदिन चार से पांच हजार भोजन के पैकेट बना कर बाढ़पीड़ितों को मटिहानी व शाम्हो में पहुंचाया जा रहा है. विधायक का कहना है कि सेवा ही धर्म है. बाढ़ की विनाशलीला के मद्देनजर विभिन्न दलों के जनप्रतिनिधि बलिया, शाम्हो, मटिहानी, तेघड़ा, बछवाड़ा के विभिन्न इलाकों में जाकर उनके दर्द को बांटने में लगे हुए हैं. अभी तक बेगूसराय के सांसद डॉ मोनाजिर हसन, आपदा प्रबंधन मंत्री रेणु कुमारी कुशवाहा, समाज कल्याण मंत्री परवीन अमानुल्लाह, पूर्व मंत्री श्रीनारायण यादव, जदयू जिलाध्यक्ष प्रमोद कुमार शर्मा, नगर जदयू अध्यक्ष भूमिपाल राय, भाजपा जिलाध्यक्ष संजय सिंह, भाकपा नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, भाकपा के राज्य सचिव राजेंद्र प्रसाद सिंह, एटक के राज्य अध्यक्ष चंदेश्वरी प्रसाद सिंह, नगर विधायक सुरेंद्र मेहता, बछवाड़ा के विधायक अवधेश कुमार राय, कांग्रेस नेत्री अमिता भूषण, कांग्रेस जिलाध्यक्ष अभय कुमार साजर्न, पूर्व मंत्री रामदेव राय, समाजसेवी सव्रेश कुमार समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का मुआयना कर शासन और प्रशासन से राहत वितरण, नाव की उपलब्धता, पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था, बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में मेडिकल टीम की प्रतिनियुक्ति की मांग कर चुके हैं.

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