लोगों को प्रेरित करने का अभियान चला रहे हैं प्रकाश कुमार
बेगूसराय (नगर) : रक्त का जीवन में बड़ा महत्व है. सब कुछ रहते हुए अगर शरीर में खून की कमी है और समय पर लोगों को खून उपलब्ध नहीं हो, तो उसे मौत के मुंह में जाने से कोई नहीं बचा सकता है.
इसके लिए बस एक ही उपाय है कि समाज में अधिक-से-अधिक लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाय. 14 जून को रक्तदान दिवस है. इसी के तहत हमने जिले के एक ऐसे समाजसेवी को खोज निकाला है, जो हमेशा दूसरे की जिंदगी बचाने के लिए रक्तदान करते रहे हैं और दूसरे लोगों को भी इस नेक काम के लिए हमेशा प्रेरित करते रहे हैं.
गरीबी में गुजारा बचपन
शहर के तिलक नगर निवासी 54 वर्षीय प्रकाश कुमार सिन्हा ने अत्यंत गरीबी में बचपन गुजारने के बावजूद अपने जीवन को हर वक्त समाजसेवा व संघर्ष में लगाये रखा. रक्तदान जीवनदान नारे से प्रभावित होकर वे रक्तदान के लिए विचारगोष्ठी व रैली का आयोजन करा रहे हैं.
श्री सिन्हा ने एक दर्जन से अधिक लोगों को संकट के समय में रक्तदान कर उनका जीवन बचाने की मिसाल कायम की है. साथ ही उन्होंने अपने मित्र, पत्नी व समाजसेवी साथियों के सहयोग से सैकड़ों लोगों को रक्त देकर मौत के मुंह से निकाला है.
बरौनी स्टेशन पर 1992 में 14 वर्षीया भतीजी की इज्जत बचाने के क्रम में दोनों पैर गंवा चुके असम निवासी विष्णु सइकिया के मामले को कौन नहीं जानता है. बरौनी प्लेटफॉर्म पर रात्रि में जीआरपी के कुछ जवानों ने बच्ची का अपहरण कर उसकी इज्जत लूटने की चेष्टा की.
इसका विरोध चाचा व भतीजी ने किया. इसी बीच चलती ट्रेन से कट कर विष्णु के दोनों पैर शरीर से अलग हो गये. दोनों पैर गंवा कर विष्णु ने अपनी भतीजी की इज्जत बचा ली. जब विष्णु सइकिया को सदर अस्पताल में भरती कराया गया, तो समाजसेवी प्रकाश कुमार सिन्हा के साथ दो दर्जन युवकों ने रक्तदान कर विष्णु का जीवन बचाया.
एसपी के परिजन को भी दिया रक्त
1992 में राजेंद्र पुल पर बस व ट्रक की टक्कर में घायल बसचालक को रक्त देकर उसका जीवन बचाया. 1994 में पुलिस अधीक्षक, जहानाबाद गुप्तेश्वर पांडेय के परिजन को पटना में जाकर रक्तदान देकर जीवन बचाने का कार्य किया. 1995 में शहर के एक नर्सिग होम में मौत से जूझते घायल व्यक्ति को अपना रक्त देकर जीवन बचाने का सराहनीय कार्य किया.
इसी तरह नगर पार्षद, लोहियानगर जितेंद्र कुमार को रक्त देकर उनका जीवन बचाया. समाजसेवी श्री सिन्हा ने रोटरी ब्लड बैंक में अग्निपीड़ित को रक्तदान कर जीवन बचाया. 2013 में आंबेडकर जयंती के मौके पर सिविल सजर्न की मौजूदगी में वे व उनकी पत्नी प्रभारी महापौर अर्चना देवी ने भी रक्तदान किया.
इसके कारण रक्तदान की प्रशंसा जिले में सर्वत्र होने लगी. इनकी लोकप्रियता बढ़ी और इसी का नतीजा हुआ कि शहर के वार्ड नंबर 11 से पार्षद के रूप में निर्वाचित हुए. इसके बाद इनकी पत्नी अर्चना देवी पार्षद के रूप में निर्वाचित होकर उपमहापौर बनीं. अब दोनों पति-पत्नी समाजसेवा के क्षेत्र में आगे आकर रक्तदान कर मौत के मुंह में जानेवाले लोगों को बचाने का कार्य कर रहे हैं.
श्री सिन्हा का कहना है कि समाजसेवा ही मेरी पूंजी है. अंतिम सांस तक भी जरू रतमंद लोगों की सेवा के लिए एक-एक बूंद खून देने के लिए संकल्पित हूं.
डीएम ने किया था रक्तदान
रक्तदान महादान की महत्ता को समझते हुए पिछले दिनों बेगूसराय में संपन्न हुए बिहार दिवस के मौके पर गांधी स्टेडियम में जिलाधिकारी मनोज कुमार ने स्वास्थ्य मेले में रक्दान कर सबको हैरत में डाल दिया था. इसी का नतीजा हुआ कि जिलाधिकारी के रक्दान के बाद कई लोगों ने रक्तदान किया. जिलाधिकारी ने आम लोगों को संदेश देते हुए कहा कि रक्तदान से बढ़ कर समाज में कोई नेक कार्य नहीं है.
दिनकर ब्लड बैंक 24 घंटे कार्यरत
जिला प्रशासन के निर्देश पर सदर अस्पताल, बेगूसराय में राष्ट्रकवि दिनकर के नाम से ब्लड बैंक संचालित है. यहां 24 घंटे ब्लड उपलब्ध रहने की व्यवस्था की गयी है. इस संबंध में सिविल सजर्न डॉ सोनेलाल अकेला ने बताया कि ब्लड बैंक पर पूरी निगरानी रखी जाती है, ताकि किसी भी जरूरतमंद को ब्लड के लिए निराश न लौटना पड़े.
– विपिन कुमार मिश्र –