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दो सर्जनों के कंधों पर 10 स्वास्थ्य केंद्रों की जिम्मेदारी

बलिया : जनपद का स्वास्थ्य महकमा मौजूदा समय में लाचारी की मार झेलने को विवश है. जिला महिला व पुरुष अस्पताल में डॉक्टरों व कर्मचारियों की कमी के बीच पूरे जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बात करें तो मात्र दो ही सर्जन है. जबकि स्वीकृत पद कुल दस है. ऐसे में 17 ब्लॉकों के […]

बलिया : जनपद का स्वास्थ्य महकमा मौजूदा समय में लाचारी की मार झेलने को विवश है. जिला महिला व पुरुष अस्पताल में डॉक्टरों व कर्मचारियों की कमी के बीच पूरे जनपद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बात करें तो मात्र दो ही सर्जन है. जबकि स्वीकृत पद कुल दस है. ऐसे में 17 ब्लॉकों के लगभग 35 लाख आबादी का इलाज रामभरोसे चल रहा है.

गौरतलब है कि स्वास्थ्य महकमे में पंगु हुई व्यवस्था के क्रम में पिछली सीरिज में प्रभात खबर में बीते दो जनवरी के अंक में प्रकाशित किया था कि जिला अस्पताल में मौजूदा समय में बेडों की संख्या में इजाफा होने के बावजूद चिकित्सक बढ़ने के बजाय घटकर 29 से 23 हो गयी है.
जबकि चार जनवरी के अंक में प्रकाशित डॉक्टर व कर्मचारी के अभाव में महिला अस्पताल पंगु के क्रम में आपको जानकारी दी थी कि मौजूदा समय में जिला महिला अस्पताल में चिकित्सक और कर्मचारियों का कुल 89 पद रिक्त चल रहा है. इसमें जहां दस की जगह एक इएमओ कार्यरत है, वहीं अस्पताल में एक भी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है.
ये तो था जिला अस्पताल व महिला अस्पताल का सूरत-ए-हाल. अब यदि जनपद के 17 ब्लॉकों में स्थापित 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बात करें तो स्वीकृत 10 पदों की जगह मात्र दो ही सर्जन नियुक्त है. अब इन दो सर्जन के भरोसे मरीजों का इलाज कैसे होता है, इसका आकलन आप सह ही लगा सकते हैं.
सर्जन के अभाव में माइनर केस भी रेफर होता है जिला अस्पताल
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सर्जन के अभाव में माइनर केस में भी मरीजों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर रोजाना औसतन चार या पांच ही गंभीर मरीज आते हैं, जिनका सिर्फ मरहम पट्टी कराकर तुरंत जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. ऐसे में कई बार ऐसा होता है कि जिला अस्पताल ले आते-आते मरीज दम भी तोड़ देता है.
ठहरने का उत्तम प्रबंध न होना पद रिक्त होने की बड़ी वजह
जनपद में स्वीकृत दस सर्जन की जगह मात्र दो ही सर्जन का रह जाना, इसके पीछे कई वजह है. जैसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों के ठहरने का कोई उत्तम प्रबंध नहीं है. मकान जर्जर होने के कारण उन मकानों में कोई रहना पसंद नहीं करता, नतीजनत जब कभी भी किसी सर्जन की नियुक्ति भी हुई तो यहां से कहीं अन्यत्र चला जाना ही मुनासिब समझे.

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