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नक्सली हमले में शहीद हुआ मंझौल का लाल अमरेश

मंझौल : छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला अंतर्गत राव घाट में 134 बटालियन के बीएसएफ जवान मंझौल पंचायत एक निवासी उमेश प्रसाद के पुत्र अमरेश कुमार के शहीद होने की खबर से क्षेत्र में सनसनी फैल गयी. उक्त खबर मिलते ही हर ओर मातमी सन्नाटा पसर गया.लोग शहीद जवान के परिजनों को सांत्वना देने उनके घर […]

मंझौल : छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला अंतर्गत राव घाट में 134 बटालियन के बीएसएफ जवान मंझौल पंचायत एक निवासी उमेश प्रसाद के पुत्र अमरेश कुमार के शहीद होने की खबर से क्षेत्र में सनसनी फैल गयी. उक्त खबर मिलते ही हर ओर मातमी सन्नाटा पसर गया.लोग शहीद जवान के परिजनों को सांत्वना देने उनके घर पहुंचने लगे.

शहीद जवान की माता मंजू देवी के चीत्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया. लोग नम आंखों से परिजनों को सांत्वना देने में लगे थे. सूचना मिलते ही बीडीओ संजय कुमार दास, ओपीध्यक्ष मनीष कुमार सिंह, मुखिया प्रतिनिधि बीरेश हजारी, मुखिया विकेश कुमार उर्फ ढुनमुन सिंह, भाजपा नेता अमरेश कुमार,पंसस मनोज भारती, कांग्रेस के युवा विधानसभा अध्यक्ष प्रभात भारती सहित दर्जनों जनप्रतिनिधि शहीद जवान के घर पर पहुंचे और अपनी शोक संवेदना व्यक्त की.

हंसमुख स्वभाव का था अमरेश : शहीद अमरेश कुमार की शिक्षा दीक्षा मंझौल में ही हुई. जयमंगला उच्च विद्यालय मंझौल से मैट्रिक पास करने के बाद आरसीएस कालेज मंझौल से ग्रेजुएशन किया.इसके बाद जनवरी 2012 में बीएसएफ जवान के तौर पर चयन हुआ. चयनित होते ही घर परिवार के लोगों को आर्थिक तंगी से निजात मिलने की उम्मीद जगी थी. परंतु कौन जानता था कि यह खुशी अधिक दिनों तक चलने वाली नहीं है. ग्रामीण शहीद के साथी बताते हैं वह काफी हंसमुख एवं सुशील स्वभाव का व्यक्ति था.
छुट्टी में जब कभी वह घर आते तो अपने तमाम साथियों से मिलते. ड्यूटी पर जाने से पूर्व भी अपने सभी दोस्तों एवं नातेदारों से अवश्य मुलाकात करते.
शहीद के पिता वर्षों से बेचते आ रहे हैं अखबार
शहीद जवान के पिता उमेश प्रसाद वर्षों से अखबार बेचने का काम करते आ रहे हैं. सूत्रों की मानें तो शहीद के पिता कठोर परिश्रम से अपने पुत्र को सफलता के मुकाम तक पहुंचाया. सूत्र बताते हैं अखबार पढ़ने वाले लोगों को भी हर सुबह उमेश जी का हंसमुख अंदाज में मुस्कुराते हुए आदाब, प्रणाम तथा राधे राधे की आवाजों के साथ दरवाजे पर दस्तक देने का इंतजार रहता है. परंतु उक्त घटना ने परिजनों की कमर तोड़ दी है. जानकारी अनुसार शहीद जवान दो भाइयों में छोटे भाई हैं. बड़े भाई रूपेश कुमार बाल-बच्चेदार हैं. परंतु प्राय: अस्वस्थ रहते हैं.जिसके फलस्वरूप घर का सारा भार शहीद जवान पर ही था.

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