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खतरे में पवित्र पापहरणी का अस्तित्व
पवित्र पापहरणी का अस्तित्व खतरे में पड़ता दिखायी दे रहा है. सरोवर का जल इतना दूषित हो गया है कि इसमें स्नान करना बीमारी को निमंत्रण देने जैसा हो गया है. बौंसी : पवित्र पापहरणी इन दिनों श्रद्धालुओं का पाप धोते धोते इतनी मैली हो गयी है कि अब उसके अस्तित्व पर ही संकट उत्पन्न […]
पवित्र पापहरणी का अस्तित्व खतरे में पड़ता दिखायी दे रहा है. सरोवर का जल इतना दूषित हो गया है कि इसमें स्नान करना बीमारी को निमंत्रण देने जैसा हो गया है.
बौंसी : पवित्र पापहरणी इन दिनों श्रद्धालुओं का पाप धोते धोते इतनी मैली हो गयी है कि अब उसके अस्तित्व पर ही संकट उत्पन्न हो गया है. सरोवर में श्रद्धालु स्नान करने के साथ साथ बडे़ पैमाने पर गंदगी छोड़ जाते हैं. जिसकी वजह से सरोवर का जल इतना दूषित हो गया है कि इसमें कई प्रकार के कीड़े मकोड़े तैर रहे हैं और ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि इसमें नहाने से चर्म रोग भी हो सकते हैं. सरोवर के चारों तरफ किनारों पर हरे रंग के गंद्गी का लेयर पानी पर तैर रहा है.
पुराणों में वर्णित इस सरोवर को कभी पुष्करणी सरोवर भी कहा जाता था और ऐसी मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने से तमाम प्रकार के शारीरिक व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है.14 जनवरी को लगने वाले मकर संक्रांति मेला के अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतो से आए हिंदु व सफा मतावलंबी इस सरोवर में मकर स्नान करते हैं.
बिहार ही नहीं झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल आदि राज्यों से आए सफा धर्म के आस्थावान श्रद्धालु तो इस पवित्र सरोवर के जल का प्रसाद स्वरुप पीते भी हैं और बोतल में भरकर अपने घर ले जाते हैं. उनका कहना है जब वह बीमार पड़ते हैं तो दवा स्वरुप इस जल का सेवन करते हैं. धार्मिक ग्रंथों व ऐतिहासिक पुस्तकों के अनुसार एक समय चोल वंश के शासक को कुष्ट रोग हो गया था तभी रानी कोन देवी ने इस सरोवर का निर्माण कराया था और इसमें स्नान करने से राजा का कुष्ट रोग समाप्त हो गया था.
तब से इस सरोवर में लोग आकर स्नान करने लगे. इस सरोवर में जल का स्त्रोत मंदार पर्वत है जहां से झरना के माध्यम से वर्षा का पानी सरोवर में आता है और सरोवर का गंदा पानी आउट लेट के जरीए बाहर चला जाता है. इससे सरोवर का प्रदूषित पानी बाहर होता था और निर्मल जल सरोवर में रह जाता था. लेकिन पिछले कुछ सालों से कम वारिस होने की वजह से सरोवर का पानी भर तो जाता है लेकिन बाहर नहीं निकल पा रहा जिससे सरोवर की गंदगी इसमें ही रह जाती है. दूसरे सरोवर में पहले काफी संख्या में मछलियां थी जो सरोवर की गंदगी को निगल जाती थी और जल को स्वच्छ करती थी. तीन चार सालों के दौरान चोरों ने सरोवर की मछलियों की चोरी कर ली और वर्तमान में दस प्रतिशत भी मछली इस सरोवर में नहीं बची है. जिला मत्स्य विभाग एवं स्थानीय अंचल प्रशासन के द्वारा समय समय पर इसमें चुना, हल्दी एवं फिटकिरी आदि डाला जाता था. जिससे जल स्वच्छ होता था यह पिछले कुछ सालों से पूरी तरह से बंद है. कभी कभार खानापूरी के नाम पर कुछ चुना का पैकेट डलवाया जाता है. पीएचइडी के द्वारा सरोवर के चारों तरफ स्वच्छता संबंधित स्लोगन लिखवाए गये हैं लेकिन इसकी सफाई करने वाला कोई नहीं है. अगर समय रहते इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो इतना महत्वपूर्ण सरोवर के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो सकता है.
पापहरणी सरोवर हो गयी है मैली.
क्या कहते हैं चिकित्सक
इस संबंध में चिकित्सक डाॅ ऋषिकेष सिंहा ने बताया कि गंदे पानी में अक्सर एमेबियेसिस नामक बैक्टेरिया सहित अन्य बैक्टेरिया पनपता है जिससे तमाम प्रकार के स्कीन संबंधित रोग होते हैं. जिसमें सोराईसिस, एक्जिमा, दाद खाज, खुजली आदि रोग होते हैं. इसलिए गंदे जल को स्वच्छ करना अत्यंत ही जरूरी है.
कहते हैं सीओ
इस वावत पुछे जाने पर अंचलाधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि सरोवर में चुना डलवाया जाएगा जिससे गंद्गी साफ हो जायेगी.
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