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पशुपालकों की नहीं सुधर रही माली हालत

परेशानी. बैंक व विभाग की मनमानी का शिकार बनी गव्य विकास योजना गव्य विकास योजना सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. इसका उद्देश्य पशुपालकों की आर्थिक स्थिति मजबूत करना है. जिले में यह योजना बैंक व विभाग की मनमानी के कारण सफल नहीं हाे पा रही है. इससे जिलेे के पशुपालक परेशान है. बांका : […]

परेशानी. बैंक व विभाग की मनमानी का शिकार बनी गव्य विकास योजना

गव्य विकास योजना सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. इसका उद्देश्य पशुपालकों की आर्थिक स्थिति मजबूत करना है. जिले में यह योजना बैंक व विभाग की मनमानी के कारण सफल नहीं हाे पा रही है. इससे जिलेे के पशुपालक परेशान है.
बांका : किसानों की माली हालत को सुधारने के लिए सरकार भले ही कई प्रकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए प्रयासरत है लेकिन अधिकारी उसको धरातल तक पहुंचने नहीं दे रहे हैं. किसान की माली हालत को सुधारने के लिए सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजनाएं गव्य विकास है.
इसका उद्देश्य किसानों को गाय पालन कर अपनी आमदनी को बढ़ाना है. इसके लिए सरकार ने बैंकों को अनुदान देने के लिए एक लक्ष्य व विभाग द्वारा किसानों को इस योजना का लाभ देने का लक्ष्य दे रखी है लेकिन जिले के विभागीय अधिकारी से लेकर बैंक के अधिकारी तक इस योजना को अपने आमदनी का जरिया बनाये हुए हैं. विभाग से लेकर बैंक वैसे ही किसानों को इस योजना का लाभ दे रही है जो लक्ष्मी की पूजा करते हैं.
विभाग व बैंक को भी मिला है लक्ष्य
जानकारी के अनुसार सरकार ने गव्य विभाग को क्षेत्र में पशुपालकों के बीच गाय पालन के लिए लक्ष्य निर्धारित कर दिये हैं. योजना का मुख्य उद्देश्य तो किसानों की माली हालत को सुधारना है ही साथ ही क्षेत्र में दूध की उपलब्धता को भी ध्यान में रखा गया है. विभाग को 2015-16 में दो गाय के लिए 75 यूनिट को स्वीकृति देना है. वहीं पांच गाय के लिए 20 यूनिट का लक्ष्य विभाग को सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है. अनुसूचित जाती के लिए दो गाय की 35 यूनिट व 5 गाय के लिए 6 यूनिट का लक्ष्य है. जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए 2 गाय का 25 यूनिट है.
कहां होती है लक्ष्मी की पूजा
विभाग से मिले आंकड़ों पर अगर गौर किया जाय तो समझ में आने लगता है कि लक्ष्मी की पूजा कहां पर होती है. सरकार के द्वारा मिले लक्ष्य से अधिक आवेदन किसानों के द्वारा किये जा चुके हैं. आवेदन मिलने के बाद से लेकर बैंक व विभाग कुवेर की राह देखते रहते हैं. जिस आवेदन पर चढावा मिल जाता है उसका आवेदन स्वीकृत हो जाता है.
स्वलागत योजना का भी किसान ले सकते हैं लाभ
विभाग की मानें तो उनके पास वैसे किसानों के लिए भी स्वलागत योजना है जिसके तहत किसान अपनी पूंजी लगाकर गौ पालन करने के बाद अनुदान का लाभ ले सकते हैं.
क्या है योजना
राज्य सरकार ने ग्रामीण व शहरी किसानों के लिए गाय पालन की योजना चालू है. इसके तहत खेतिहर किसानों को दो गाय से लेकर पांच गाय का पालन कर उसके दूध को बेच कर आमदनी करना है. उस आमदनी का कुछ हिस्सा बैंक को भी देना है. इस योजना को पाने के लिए किसान जिले के गव्य विभाग में अपना आवेदन करते हैं.
जिसके बाद विभाग की टीम उनके क्षेत्र निरीक्षक करते हुए आवेदन की जांच करती है. जांच में सब कुछ सही पाये जाने के बाद विभाग इसे बैंक के पास अनुदान के लिए भेजती है.
अगर किसान को दो गाय लेनी है तो एक लाख 30 हजार चार सौ रुपये निर्धारित है. इसमें अनारक्षित किसानों को 50 प्रतिशत व एससी-एसटी किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान बैंक के द्वारा दिया जाता है. वहीं पांच गाय के लिए तीन लाख 36 हजार रुपये निर्धारित है. इसमें भी अनारक्षित किसानों को 50 प्रतिशत व एससी-एसटी किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान मिलता है.
कैसे मिलेगा लाभ
किसान जब विभाग के पास आवेदन करते हैं तो उसमें उस क्षेत्र की पूरी जानकारी सम्मिलित होनी चाहिए. जिन स्थानों पर पशुपालक या किसान अपने पशुओं का पालन करेंगे उक्त स्थल के जमीन के कागजात, सीओ से एनओसी, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र के अलावे पूर्व में किसी भी योजना या बैंक से ऋण ना लिये हो. वैसे किसानों को विभाग गव्य विकास योजना के लिए स्वीकृति दे सकती है. अगर इसमें से किसी भी प्रकार के कागजात में कोई कमी पायी जाती है तो किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सकता है.
कोटि लक्ष्य आवेदन विभाग से स्वीकृति बैंक से स्वीकृत
अनारक्षित, दो गाय के लिए 75 163 141 35
अनारक्षित, पांच गाय के लिए 20 58 12 5
एससी, दो गाय के लिए 35 61 47 10
एससी, पांच गाय के लिए 6 5 1 1
एसटी, दो गाय के लिए 25 49 42 13
बोले गव्य विकास पदाधिकारी
आवेदन का जांच एक कमेटी के द्वारा की जाती है. जांचोपरांत सही पाये जाने पर उनका आवेदन बैंक भेज दिया जाता है.
नंद कुमार सिंह, गव्य विकास पदाधिकारी
कहते हैं एलडीएम
बैंक को आवेदन जांच कर जल्द से जल्द ऋण मुहैया कराने का आदेश दिया गया है. अगर किसी वजह से किसानों का आवेदन रद्द हो जाता है तो उसे 45 दिनों के अंदर सूचित करने के आदेश भी दिये गये हैं.
सुधांशु शेखर, एलडीएम

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