बेलगाम हुए अपराधी. पिछले छह महीने में हुई दर्जन भर हत्या
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हत्याओं से दहला बांका
बेलगाम हुए अपराधी. पिछले छह महीने में हुई दर्जन भर हत्या लगातार हो रही हत्या से बांकावासी दहशत में हैं. उसमें भी ज्यादातर मामलों में हत्यारे अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. बांका : बांका में यह क्या हो रहा है? जिले के संवेदनशील लोग इन दिनों यही सवाल परस्पर एक दूसरे से […]
लगातार हो रही हत्या से बांकावासी दहशत में हैं. उसमें भी ज्यादातर मामलों में हत्यारे अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.
बांका : बांका में यह क्या हो रहा है? जिले के संवेदनशील लोग इन दिनों यही सवाल परस्पर एक दूसरे से पूछ रहे हैं. यह सवाल उन हत्याओं को लेकर है जो इस जिले में इन दिनों लगातार होते चले जा रहे हैं. हत्या की लगातार हो रही घटनाओं से संपूर्ण बांका जिला दहल उठा है. पिछले छह माह के भीतर इस जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में दर्जनभर हत्याएं हो चुकी हैं. इन में कम से कम चार छात्र छात्राओं और तीन हाई प्रोफाइल हत्याओं के मामले शामिल हैं. दो छात्रों की हत्या तो इधर एक सप्ताह के भीतर हुई. इससे जिले में एक अजीब तरह का भय और और असुरक्षा का माहौल कायम हो गया है.
तीन छात्र भी हुए हत्या के शिकार: नवीनतम मामला शंभूगंज थाना अंतर्गत वारसावाद गांव के इंटरमीडिएट छात्र संजीव कुमार की हत्या का है. हत्यारों ने अपहरण कर उसकी हत्या कर दी. संजीव की लाश 17 जुलाई को खानकाह के समीप डांड़ से बरामद की गई. वह 15 जुलाई को अपने चचेरे भाई की बारात में शामिल होने के लिए घर से निकला था. इससे कुछ रोज पहले 12 जुलाई को शंभूगंज थाना क्षेत्र के ही मिर्जापुर गांव के छात्र विराट आनंद की हत्या तारापुर बाजार से अगवा करने के बाद हत्यारों ने कर दी. विराट की लाश एक दिन बाद समीप के केबीसी कैनाल से बरामद की गई थी. जबकि कुछ ही रोज पूर्व धोरैया थाना क्षेत्र के चलना गांव में एक छात्र की हत्या कर दी गई.
अंकुश लगा पाने में विफल रही है पुलिस: जिले में हत्या की लगातार हो रही घटनाओं के सिलसिले को रोक पाने में पुलिस प्रशासन विफल साबित हो रहा है. बौंसी के बीज व्यवसाई की हत्या के मामले को छोड़ अन्य ज्यादातर मामलों में हत्यारे अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. पुलिस अनुसंधान के बाद कुछ कह पाने की बात करती है. लेकिन लोगों में इस बात को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है कि पुलिस एक तो हत्या की घटनाओं को रोक नहीं पा रही, ऊपर से हत्यारों को बेनकाब कर पाने में भी इस की विफलता अब खुलकर सामने आने लगी है. अमरपुर थाना क्षेत्र के प्रेमचक कुशमाहा गांव की छात्रा की गैंग रेप के बाद की गई हत्या के मामले में पांच अभियुक्त नामजद किए गए थे. जिनमें से तीन अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. इधर राजीव भगत हत्याकांड को लेकर भी अब तक पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा है. जबकि यह 30 जून की घटना है. इसे लेकर लोग आंदोलित भी हो गए. धरना, प्रदर्शन और सड़क जाम किया गया.
लंबी है हत्याओं की फेहरिस्त
इससे पहले के मामले और भी ज्यादा संगीन है. विगत 3 जुलाई की रात बौंसी के बीज व्यवसायी दिलीप पंजियारा की उस वक्त हत्या कर दी गई जब वह दुकान बंद कर अपने घर वापस लौट रहा था. दिलीप की हत्या बौंसी रेफरल अस्पताल के समीप गोली मारकर की गई. इससे 3 दिन पूर्व रालोसपा नेता एवं भदरिया पंचायत के पूर्व मुखिया राजीव भगत की अमरपुर थाना क्षेत्र के रघुनाथपुर के समीप सरेशाम गोली मारकर हत्या कर दी गई. हत्याओं की फेहरिस्त इधर इतनी लंबी होती चली गई कि लोग पुराने मामले भूलते चले गए. बांका- बाराहाट रेलवे लाइन पर मुड़हरा हाल्ट के समीप खड़ियारा के एक गैराज मालिक की हत्या कर दी गई. शंभूगंज में भी एक व्यक्ति की हत्या कर दी
गई जिस के विरोध में लोग आक्रोशित होकर थाना पर चढ़ गए और आग लगा दी. बेलहर थाना क्षेत्र के बहोरना गांव में चुनाव संबंधी विवाद को लेकर एक बुजुर्ग की पीट पीटकर हत्या कर दी गई. 7 मार्च को धोरैया के रबीडीह गांव में इंटरमीडिएट के एक छात्र की हत्या कर दी गई. मिर्चीनी नदी के किनारे स्थित एक ईंट भट्ठे से उस का शव बरामद किया गया. 14 फरवरी को बाराहाट के तिनफेडिया गांव में एक महिला की उसके ही पति ने जलाकर हत्या कर दी.
जबकि 13 फरवरी की रात अमरपुर थाना क्षेत्र के प्रेमचक कुशमाहा गांव की एक छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई. आनंदपुर ओपी क्षेत्र के भी चंदूवारी गांव में एक नवविवाहिता को जलाकर मार डाला गया. हाल की एक घटना बांका सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत पथरा बालू घाट की है जहां बम मारकर एक मजदूर की हत्या कर दी गई. मजदूर मंझियारा गांव का था.
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