गड़बड़ी. विश्वविद्यालय से ही भेजे दस्तावेज के जरिये आया संज्ञान में
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पदस्थापित लिपिक के बारे में कॉलेज प्रशासन को पता नहीं
गड़बड़ी. विश्वविद्यालय से ही भेजे दस्तावेज के जरिये आया संज्ञान में पीबीएस कॉलेज में पदास्थापित एक लिपिक के बार में कॉलेज प्रशासन को भी पता नहीं था. विवि से भेजे पत्र के बाद यह संज्ञान में आया. कॉलेज में कर्मियों की कमी है. इसके बावजूद कर्मियों को अनुपस्थित रहने की खुली छूट शिक्षा को चौपट […]
पीबीएस कॉलेज में पदास्थापित एक लिपिक के बार में कॉलेज प्रशासन को भी पता नहीं था. विवि से भेजे पत्र के बाद यह संज्ञान में आया. कॉलेज में कर्मियों की कमी है. इसके बावजूद कर्मियों को अनुपस्थित रहने की खुली छूट शिक्षा को चौपट करने की दिशा में ही ले जायेगी. इस अोर कार्रवाई की जरूरत है.
बांका : स्थानीय पीबीएस कॉलेज में एक लिपिक मार्च 2015 से ही पदस्थापित है और कॉलेज प्रशासन को पता तक नहीं. वह तो एक सप्ताह पूर्व विश्वविद्यालय से ही भेजे गये एक दस्तावेज के जरिये कॉलेज के संज्ञान में यह बात आयी तो कॉलेज प्रशासन भी हतप्रभ रह गया. यह सब कुछ तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन की मेहरबानी से हुआ. हालांकि उक्त लिपिक अब भी स्थानीय पीबीएस कॉलेज में पदस्थापित जरूर है.
लेकिन कार्यरत नहीं. ज्ञात हो कि पीबीएस कॉलेज बांका जिले में भागलपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत एक मात्र अंगीभूत इकाई है, इस कॉलेज में फिलहाल शिक्षकेतर कर्मचारियों का घोर अभाव है. बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन की मेहरबानी से उपलब्ध कर्मियों में से भी दो इस कॉलेज की बजाय विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्त हैं.
पदस्थापना बांका कॉलेज में, कार्यरत कहीं और: जानकारी के अनुसार पिछले सप्ताह विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से स्थानीय बीपीएस कॉलेज में जब बजटीय दस्तावेज भेजे गये तब इसके अध्ययन के बाद कॉलेज प्रशासन को पता चला कि इस कॉलेज में अतहर आलम, पिता मो मसूद आलम नाम का एक एलडीसी भी पदस्थापित है. इस कर्मचारी की नियुक्ति 20 मार्च 2015 को हुई थी. 20 मार्च 2015 से ही बांका पीबीएस कॉलेज में उनकी ज्वाइनिंग दिखायी गयी है, जबकि उन्होंने कभी इस कॉलेज में दर्शन ही नहीं दिया. इस बात की पुष्टि कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुबास चंद्र सिंह ने भी की. उन्होंने बताया कि अतहर आलम की बहाली अनुकंपा के आधार पर हुई, लेकिन उन्होंने कभी कॉलेज में योगदान नहीं किया.
13 साल की नौकरी में कॉलेज में काम सिर्फ साल भर : इसी तरह वर्ष 2003 में नियुक्त कॉलेज के एक और सहायक दीपक चौधरी भी अपनी नियुक्ति के बाद से अब तक तकरीबन साल भर से ज्यादा इस कॉलेज में कार्य नहीं किया. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सिंह ने इस बात की तसदीक करते हुए कहा कि वे यहां सिर्फ नाम के लिए पदस्थापित हैं. उनकी प्रतिनियुक्ति फिलहाल भागलपुर विश्वविद्यालय में ही है. प्राचार्य ने कहा कि दीपक चौधरी अपनी नियुक्ति के बाद ही ज्यादातर समय भागलपुर में हैं. पिछले 13 वर्षों के दौरान साल भर से ज्यादा उन्होंने इस कॉलेज में काम नहीं किया.
कर्मियों के अभाव में कॉलेज की प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित : पीबीएस कॉलेज में शिक्षिकेतर कर्मियों का भारी अभाव है. 24 की जगह सिर्फ 7 सहायकों के भरोसे काम चल रहे हैं. चतुर्थ वर्गीय कर्मचारिंया जिनमें नाइट गार्ड और स्वीपर भी शामिल है, की संख्या सिर्फ 15 है. कॉलेज में सिर्फ 6 पियुन कार्यरत हैं.
जबकि उनके स्वीकृत पदों की संख्या 15 हैं. कॉलेज में सहायकों की भी 24 पद स्वीकृत हैं, जबकि कार्यरत सिर्फ 7 हैं. प्राचार्य ने कहा कि इस वर्ष के अंत तक दो और कर्मचारी अवकाश प्राप्त करेंगे जबकि पिछले कुछ माह के भीतर 3 पहले ही रिटायर्ड कर चुके हैं. इससे पहले दो कर्मियों का निधन हो चुका है. इन रिक्त पदों पर अब तक नियुक्ति नहीं हो सकी है.
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