बांका: निर्दलीय सांसद पुतुल कुमारी पर भगवा रंग क्या चढ़ा कि बांका लोकसभा की राजनीतिक फिजा भी रंगीन हो चली है. सभी अपने- अपने रंग में रंगे परिभाषित बयानबाजी कर रहे हैं. सभी जातिगत व कैडर वोट को ही अपना मजबूत पक्ष बता रहे हैं.
कुछ पार्टी जैसे भाजपा, राजद के कथित उम्मीदवार के नाम से परदा हटने के बाद अब जदयू खेमे में सरगरमी तेज हो गयी है. जिसमें एक महत्वपूर्ण बात सामने निकल कर आ रही है कि राजद-माय समीकरण, जदयू विकास व अल्पसंख्यक तथा पिछड़ा वर्ग, कांग्रेस केंद्र सरकार के काम व अल्पसंख्यक, धर्म निरपेक्षता तथा भाजपा अति पिछड़ी, पिछड़ी, अगड़ी, अल्पसंख्यक व देश में फैल रही अराजकता, भ्रष्टाचार, कमजोर लोकतंत्र को राजनीतिक पार्टी अपना चुनावी एजेंडा के रूप में जनता के समक्ष ला रही है. पार्टी संगठन के द्वारा इसी को आधार मान कर लोकसभा के गणित को सुलझाया जा रहा है.
जदयू का मिशन लोकसभा
भागलपुर प्रमंडल की संकल्प यात्र पर सूबे के सरकार अल्प संख्यक बाहुल रजाैन के चकमुनिया गांव 29 जनवरी को पधार रहे है. पुतुल कुमारी के जदयू में शामिल होने के खत्म हुए आसार ने नये बहस को जन्म दे दिया है. अब इस बात की चर्चा तेज है कि आखिर जदयू की बांका में पसंद कौन बनेगा. इस बात को लेकर बस इतना ही कहा जा रहा है कि संकल्प यात्र का इंतजार करें.
भूमिका पर सबकी नजर
इतिहास गवाह है कि एक पूर्व सांसद की चुनावी कवायद के कारण हमेशा से बांका लोकसभा चुनाव के टक्कर दिलचस्प व कांटेदार हो जाते हैं. इस बार भी ऐसे ही दिलचस्प मुकाबले के आसार बढ़ गये हैं. उक्त विधायक ने पहले भी अपनी मंशा जाहिर कर दी है. एक और विधायक जी अपनी आलाकमान से ग्रीन सिगAल की बात कह रहे हैं.
भाजपाइयों का यू टर्न
मिशन लोकसभा चुनाव में अभी से उतार-चढ़ाव आरंभ हो गये हैं. निर्दलीय सांसद पुतुल कुमारी की भाजपा के साथ चुनाव लड़ने की घोषणा के 24 घंटे बाद ही भाजपाइयों के सुर बदलने लगे हैं. संगठन के वरीय व जिला संगठन के पदाधिकारी द्वारा पुतुल कुमारी की भाजपा में स्वागत के ठीक बाद ही उनकी ही पार्टी में नाराजगी के स्वर भी मुखर हो रहे हैं. जिला महामंत्री दिगंबर यादव के बाद शुक्रवार को भाजपा के उगेंद्र मंडल मंत्री मानवाधिकार मंच प्रदेश एवं बिहार प्रदेश के अति पिछड़ा मंच के सदस्य केदार सिंह ने भी प्रेस नोट जारी कर अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया है. केंद्रीय चुनाव समिति के निर्णय के बिना ही किसी के द्वारा भाजपा से चुनाव लड़ने की घोषणा राजनीतिक अपरिपक्वता है. भाजपा संघ परिवार का कोई भी सदस्य इस प्रकार की घोषणा नहीं कर सकता है. सांसद की घोषणा को अवसरवादिता करार दिया है. वहीं कहा कि सांसद ने हमेशा जययू का साथ दिया. भाजपा के इन नेताओं ने इस पर पूर्ण विचार के लिए पत्र प्रदेश कार्यालय को भेजा है.