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घर-घर पेयजल पहुंचायेगा पीएचइडी
विकास. ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट के समाधान को कई योजनाअों पर तेजी से काम जिले के विभिन्न प्रखंडों में 17 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाअों को नये सिरे से दुरुस्त किया जा रहा है. पांच जगहों पर विद्युत चलित जलापूर्ति योजना भी शुरू होगी. मनोज उपाध्याय बांका : साल के आठ महीने पेयजल के लिए तरसते […]
विकास. ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट के समाधान को कई योजनाअों पर तेजी से काम
जिले के विभिन्न प्रखंडों में 17 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाअों को नये सिरे से दुरुस्त किया जा रहा है. पांच जगहों पर विद्युत चलित जलापूर्ति योजना भी शुरू होगी.
मनोज उपाध्याय
बांका : साल के आठ महीने पेयजल के लिए तरसते बांका जिले की ग्रामीण आबादी केलिए पूरे साल घर- घर पीने का पानी उपलब्ध कराने की योजना लोक स्वास्थ्य एवं अभियंत्रण विभाग की है.
इसके लिए जिले में विभागीय स्तर पर एक वृहत कार्य योजना पर काम चल रहा है. जिले के विभिन्न प्रखंडों में 17 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को नये सिरे से दुरुस्त किया जा रहा है. जबकि पहले चरण में सौर उर्जा मिनी जलापूर्ति योजना (फ्लोराइड रिमूवल संयंत्र सहित) के लिए 157 गांवों का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा जिले के 5 महत्वपूर्ण स्थानों पर विद्युत चालित मिनी जलापूर्ति योजनाएं भी शुरू की जा रही हैं.
17 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं पर नये सिरे से काम : जिले में वर्ष 1984 में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 17 जलापूर्ति योजनाएं शुरु की गयी थीं. इनमें से 3 तो कभी चालू ही नहीं हो सकीं. जबकि शेष में से आधे दर्जन ने चालू होने के कुछ माह के भीतर ही दम तोड़ दिया. इन योजनाओं ने अपने जीवन काल के 32 वर्षों के दौरान कई उतार चढ़ाव देखे. लेकिन अब इनके दिन फिरने वाले हैं. हालांकि इनमें से 8 अब भी बंद पड़े हैं.
जबकि एक खेसर के चालू होने में जमीन संबंधी अड़चने सामने आ रही हैं. फिर भी 6 योजनाओं गुलनी कुसाहा, डुमरामा, फुल्लीडुमर, सतपट्टी, खेसर एवं ककवारा के लिए कार्यादेश जारी किया जा चुका है. खड़हरा एवं सुखनियां बौंसी की योजनाएं भी तकनीकी स्वीकृति हेतु भेजी गयीं हैं. शेष 8 योजनाएं बाराहाट, पंजवारा, बेलहर, शंभुगंज, कटोरिया, चांदन, धोरैया एवं रजौन में चालू हालत में हैं.
नयागांव योजना भी चालू थी लेकिन तकनीकी खराबी की वजह से इस पर फिलहाल काम चल रहा है.पांच विद्युत चालित मिनी जलापूर्ति योजनाएं भी : इसके अलावा जिले के धोरैया प्रखंड अंतर्गत गंगदौरी, कटोरिया प्रखंड अंतर्गत जयपुर, बौंसी प्रखंड अंतर्गत खोड़ीमोड़ एवं चुआंपानी तथा बाराहाट प्रखंड के लीलावरण में विद्युत चालित मिनी जलापूर्ति योजनाएं शुरु की जा रही हैं. इन योजनाओं से ग्रामीणों को सालों भर निर्बाध पेयजल आपूर्ति का लक्ष्य है.
उल्लेख्य है कि राज्य सरकार की नयी नीति के तहत चापाकलों की स्थापना से लेकर रख रखाव की जिम्मेदारी पीएचईडी के हाथों से निकल कर ग्राम पंचायतों को चली गयी है. जिले में लगे कुल 25 हजार 643 चापाकलों में से 5 हजार 727 खराब होकर बंद पड़े हैं. ऐसे में जिले में पेयजल संकट की गंभीरता का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है. गर्मी शुरु होते ही पूरा जिला पेयजल संकट की संभावित भयावहता को लेकर सिहरने लगता है.
सौर उर्जा संचालित 157 जलापूर्ति योजनाएं
जिले में सौर उर्जा संचालित 157 मिनी जलापूर्ति योजनाओं पर भी काम तेजी से चल रहा है. इनमें से 6 योजनाओं को चालू कर दिया गया है. जबकि 5 योजनाओं के मार्च के अंत तक चालू हो जाने की उम्मीद है.
इस योजना के तहत 72 स्कीमों का कार्यावंटन इंफ्रास्ट्रक्चर एजेंसी को दिया गया है, जबकि 65 स्कीम इनवायरोटेक प्राइवेट लिमिटेड के जिम्मे सौंपे गये हैं. 18 स्कीम निविदा प्रक्रिया में हैं. इस योजना के तहत बोरिंग से सौर उर्जा संचालित सबमर्सिबल मोटर के जरिये पानी निकाल कर 10 हजार लीटर की टंकी में जमा करना है. संग्रहित पानी को फ्लोराइड रहित करने के बाद 1 किलोमीटर की दूरी तक इसकी आपूर्ति 15 स्टैंड पोस्ट एवं 3600 लीटर के 3 वैक्स स्टोरेज से ग्रामीणों को पीने के लिए पानी उपलब्ध कराया जाना है.
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