बीसी वन में शामिल हुए पैरघा जाति के लोग
प्रभात खबर लगातार प्रमुखता से उठाता रहा है यह मुद्दा
बांका: लंबी लड़ाई और जन आंदोलन के बाद अपने पहचान से महरूम पैरघा जाति को आखिर कार पहचान मिल ही गयी. कैबिनेट ने इनकी मांगों को जायज ठहराते हुए सहमति की मुहर लगा दी है. इन्हें सूची में बीसी-1 में शामिल किया गया है, जिससे दो लाख लोग इस सूची में जुड़ गये. सिर्फ बांका के 32 गांव में लोगों ने खुशी का इजहार करते हुए जीत का जश्न मनाया साथ ही एक दूसरे को अबीर लगाया. मुख्य संरक्षक मनोज बाबा ने बताया कि हमारी जाति को आजाद भारत में लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी तब जाकर नीतीश की सरकार ने उन्हें जाति की सूची में शामिल कर लिया.
उन्होंने प्रभारी मंत्री नीतीश मिश्र का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उनके द्वारा किया गया वादा पुरा हुआ. अपनी पहचान के लिए लगातार बांका में पैरघा उत्थान समिति ने आंदोलन चला रखा था. सभी आमरण अनशन पर बैठे थे, जिसे सीएम के आश्वासन के बाद तोड़ा गया था. उन्होंने मीडिया के सहयोग को भी सराहा. साथ ही उन्होंने नाराजगी का इजहार करते हुए कहा कि उनकी दयनीय स्थिति को देखते हुए उन्हें महादलित श्रेणी में रखना चाहिए था. खैर इसके लिए आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने पांच फरवरी 2014 को महारुद्र यज्ञ में शामिल होने के लिए अपने जाति के लोगों से अपील की. हर्ष व्यक्त करने वालों में राजेंद्र सिकदर, प्रेम लाल यादव, सीता राम, प्रेम शंकर राय त्यागी, नारायण राउत, वीरेंद्र राउत शामिल है.