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दिन प्रतिदिन घट रहा बौंसी मेले का स्वरूप

दिन प्रतिदिन घट रहा बौंसी मेले का स्वरूप फोटो 14 बांका 13 बौंसी मेले में शिला-पाटी बेचते दुकानदार नवनीत, बांका मकर संक्रांति के अवसर पर लगने वाले पूर्व बिहार का प्रसिद्ध बौंसी मेले के स्वरूप में आयी गिरावट से बांका की जनता हतोत्साहित है. इसके लिए कहीं न कहीं जनप्रतिनिधि सहित अधिकारी भी दोषी हैं, […]

दिन प्रतिदिन घट रहा बौंसी मेले का स्वरूप फोटो 14 बांका 13 बौंसी मेले में शिला-पाटी बेचते दुकानदार नवनीत, बांका मकर संक्रांति के अवसर पर लगने वाले पूर्व बिहार का प्रसिद्ध बौंसी मेले के स्वरूप में आयी गिरावट से बांका की जनता हतोत्साहित है. इसके लिए कहीं न कहीं जनप्रतिनिधि सहित अधिकारी भी दोषी हैं, इसका खमियाजा मेले का आनंद लेने पहुंचे बिहार, बंगाल, यूपी सहित देश के अन्य प्रांतों से आने वाले श्रद्धालुओं को उठाना पड़ता है. समुद्र मंथन के समय मंदार पर्वत पर मथानी के रूप में उपयोग किया गया था. जिसकी चर्चा वेद पुराणों में है. इसी जिज्ञासा के वसीभूत होकर देश एवं विदेशों से श्रद्धालु मकर संक्रांति के अवसर पर लगने वाले मेले का आनंद लेने मंदार पहुंचते हैं लेकिन यहां पहुंचने के बाद सिर्फ निराशा हाथ लगती है. कारण चाहे जो भी हो. मेले में गिरावट के कराणबौंसी मेले में पिछले वर्ष से सुरक्षा के मद्देनजर थियेटर के प्रदर्शन पर जिला प्रशासन द्वारा रोक लगा दी गयी है. जिस कारण से मेले में भीड़ भाड़ की कमी आयी है. साथ ही जिला प्रशासन के द्वारा विगत वर्षों से मेले के उद्घाटन के पांचवे दिन ही मेला समापन की घोषणा कर दी जाती है. यह भी एक प्रमुख कारण है गिरावट का. पूर्व में मेला की समयावधि अधिक थी90 के दशक में बौंसी मेला कम से कम 12 दिनों का होता था. बौंसी में लगने वाला मेला ही यहां से उठ कर झारखंड जाकर गोड्डा जिला में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर लगने वाले मेले में जाता था. लेकिन वर्तमान में मेले की समापन के घोषणा के साथ ही सभ्य परिवारों के सदस्य मेला आने से कतराने लगे हैं. चूंकि समापन के साथ ही मेला से पुलिस प्रशासन व सरकारी महकमा हटा लिये जाते हैं.कहते हैं मेले में पहुंचे दुकानदारबौंसी मेले में करीब 25 वर्षों से शिल-पाटी का दुकान लगाने वाले झारखंड साहबगंज के दुकानदार सुरेश रजक व विनोद कुमार एवं झारखंड के ही पीरपैंती के दुकानदार मुकेश कुमार एवं सुरेश मोदी बताते हैं कि बौंसी मेले के स्वरूप में प्रतिवर्ष गिरावट आ रही है. मेले के उद्घाटन के समय जनप्रतिनिधि द्वारा बोला जाता है इसे राष्ट्रीय मेला घोषित किया जायेगा. लेकिन आज तक घोषणा पर मुहर न लग पायी है. इस वर्ष लग रहा है कि दुकान लगाने में जो खर्च आयी उसकी भी वसूली हो पायेगी या नहीं?

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