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2015 : बदले जनप्रतिनिधि, पर नहीं बदली तकदीर

2015 : बदले जनप्रतिनिधि, पर नहीं बदली तकदीरफोटो : 28 बांका 2 और 3, 4 : पुराना अस्पताल, अर्धनिर्मित पार्क व भागलपुर हंसडीहा मुख्य मार्ग की तस्वीर नेताओं की घोषणाओं में बीत गया सालसबसे ज्यादा सड़क व बिजली पर हुई राजनीतिकनहीं बदला भागलपुर-हंसडीहा मुख्य मार्ग की तस्वीरनहीं चालू हो पाया अनुमंडल अस्पतालपार्क का नहीं हो […]

2015 : बदले जनप्रतिनिधि, पर नहीं बदली तकदीरफोटो : 28 बांका 2 और 3, 4 : पुराना अस्पताल, अर्धनिर्मित पार्क व भागलपुर हंसडीहा मुख्य मार्ग की तस्वीर नेताओं की घोषणाओं में बीत गया सालसबसे ज्यादा सड़क व बिजली पर हुई राजनीतिकनहीं बदला भागलपुर-हंसडीहा मुख्य मार्ग की तस्वीरनहीं चालू हो पाया अनुमंडल अस्पतालपार्क का नहीं हो पाया निर्माण बांका. तीन दिनों के बाद लोग एक-दूसरे को नये साल की मुबारकवाद देंगे, वर्ष में उन्नति करने का आशीर्वाद देंगे, लेकिन इस जिले की उन्नति कहीं से दिखायी नहीं दे रही है. कई योजनाएं है तो ठंडे बस्ते में है तो कई योजनाएं है जो धरातल पर आ गयी है , लेकिन अब तक पूरा होने की संभावना दिखायी नहीं देती. –आये थे प्रधानमंत्री इस वर्ष विधानसभा का चुनाव होना था. इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली चुनावी रैली भी इसी धरती शुरू की थीनवंबर में आया फैसला 16 वीं विधानसभा चुनाव की अधिसूचना 19 सितंबर को जारी की गयी थी. जिसमें चुनाव आयोग ने इस जिले के लिए पहले चरण में ही मतदान की घोषणा कर दी थी. चुनावी वैतरणी को पार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सहित कई नेता यहां पहुंचे थे. जब आठ नवंबर को नतीजा आया तो जिले के पांचों विधानसभा सीट में से चार सीट पर कोई बदलाव नहीं हुआ. कटोरिया सीट पर राजद ने भाजपा को करारी शिकस्त देते हुए अपना परचम लहराया. —ग्रामीण सड़क को छोड़ कुछ नहीं बदलाजिले के पांचों विधानसभा सीट की बात करे तो एक मात्र सीट कटोरिया में ही जनता ने बदलाव करते हुए वहां से स्वीटी सीमा हेंब्रम को विधायक चुना है. शेष चारों सीटों पर जनता ने अपने पुराने प्रतिनिधि पर ही भरोसा दिखाया, लेकिन अगर साल के 12 महीने में से दो महीने को चुनाव चक्र के कारण हटा दिया जाय तो चारों विधायक को विकास के लिए इस वर्ष दस माह का वक्त मिला था, लेकिन चारों विधानसभा बांका, अमरपुर, धोरैया और बेलहर में पुल- पुलिया और ग्रामीण सड़क को छोड़ विकास के लिए कोई ठोस पहल नहीं हुआ. –नहीं बदली भागलपुर- हंसडीहा मुख्य मार्ग की तस्वीरपिछले दो साल से लोग अपने मार्ग को बदल कर भाया अमरपुर- भागलपुर की यात्रा कर रहे है, लेकिन इस वर्ष भी भाया रजौन-भागलपुर जाने वाली सड़कों की स्थिति जस की तस ही रह गयी. इस मार्ग से होकर झारखंड व बंगाल के कई जिले के लिए रोजाना सैकड़ों वाहन गुजरते है. लेकिन इस साल भी पथकी तस्वीर नहीं बदली. इस पथ के तस्वीर बदलने को लेकर चुनाव में राजनीति तो बहुत हुई, लेकिन लोक हीत के लिए किसी भी जनप्रतिनिधि की ओर से ठोस पहल नहीं हुई. –अब तक नहीं बना पार्कशहर में बच्चों को खलने व मनोरंजन के लिए कोई उपयुक्त स्थान नहीं है. समाहरणालय गेट के समीप व विजय नगर में पार्क बनाने के लिए सरकारी खजाना खाली भी हुआ. लेकिन खजाने के पैसे का सदुपयोग अब तक नहीं हो पाया है. –नहीं चालू हुआ अनुमंडल अस्पतालअनुमंडल अस्पताल अपने प्राथमिक अस्तित्व में नहीं आ पाया. यहां के लोग प्राथमिक इलाज के लिए भी पांच किलोमीटर दूर जाते हैं, लेकिन अगर इस वर्ष बीच बाजार का पुराने अस्पताल (अनुमंडल अस्पताल) अपना अस्तित्व में आ जाता तो लोगों को रात व दिन प्राथमिक उपचार यहीं हो जाता.

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